बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट में 3 रेलवे कर्मचारियों को CBI ने किया गिरफ्तार, सबूत मिटाने और गैर इरादतन हत्या की लगाई धारा

बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट की तस्वीर (फोटो साभार: WION news)

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन एक्सीडेंट की जाँच कर रही सीबीआई ने तीन रेलवे कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। इन कर्मचारियों की पहचान अरुण कुमार मोहंता, मोहम्मद अमीर खान और पप्पू कुमार के तौर पर बताई गई है। मोहंता सीनियर सेक्शन इंजीनियर और खान सेक्शन इंजीनियर हैं। कुमार टेक्नीशियन के तौर पर रेलवे में कार्यरत हैं।

तीनों पर गैर इरादतन हत्या और सबूतों को मिटाने के आरोप में केस दर्ज किया गया है। इन पर आईपीसी की धारा 304 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया है। बालासोर में 2 जून को हुए रेल हादसे में 292 लोगों की मौत हुई थी। करीब 1000 लोग घायल हुए थे। मृतकों में से कई के शव की पहचान अब तक नहीं हो पाई है।

आपको बता दें कि आईपीसी की 201 के तहत केस सबूत नष्ट करने पर दर्ज किया जाता है। वहीं धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज होता है। आईपीसी की धारा 304 में सजा का प्रावधान अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है। आजीवन कारावास और जुर्माना का प्रावधान इसमें शामिल है।

इस हादसे की CRS जाँच पूरी हो चुकी है। इसमें हादसे के पीछे किसी भी साजिश से इनकार किया गया है। सिग्नल और ट्रैफिक ऑपरेशन विभाग में तैनात कर्मचारियों की गलती को हादसे की वजह बताया गया है। हालाँकि सीबीआई जाँच के कारण यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा था, “बालासोर में हुए ट्रेन हादसे की CRS रिपोर्ट रेलवे द्वारा सार्वजनिक नहीं की जाएगी। चूँकि इस मामले की जाँच सीबीआई भी कर रही है। ऐसे में सीआरएस रिपोर्ट से सीबीआई जाँच प्रभावित हो सकती है। दोनों रिपोर्ट के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी।”

सीआरएस ने 28 जून 2023 को अपनी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नल मेंटनेंस करने वाले अधिकारी ने नियम के तहत काम किया। उसने मेंटनेंस करने से पहले और उसके बाद क्रमशः डिस्कनेक्शन और रीकनेक्शन मेमो स्टेशन मास्टर को सौंपा था। इसका मतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम पूरी तरह सही था। लेकिन रेलवे ट्रैक से ट्रेन को निकलने की अनुमति देने से पहले सिग्नलिंग सिस्टम की जाँच के लिए सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था।

यही नहीं, मेंटेनेंस अधिकारी द्वारा रीकनेक्शन मेमो जारी किए जाने के बाद बाद भी सिग्नलिंग स्टाफ काम कर रहा था। ऐसे में दुर्घटना के लिए स्टेशन के सिग्नलिंग विभाग के साथ ही ट्रैफिक ऑपरेशन विभाग भी जिम्मेदार है। रिले रूम में जाने के लिए बने प्रोटोकॉल में भी खामियाँ पाई गईं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रिले रूम इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम का सेंटर होता है। सारी चीजें यहीं से ऑपरेट होती हैं। इसकी जवाबदेही सिग्नलिंग विभाग और स्टेशन मास्टर दोनों की होती है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन से जाने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया था। लेकिन ट्रेन की दिशा बताने वाला ट्रैकिंग सिस्टम ट्रेन को लूप लाइन में जाने का सिग्नल दे रहा था। इसी वजह से यह हादसा हो गया। गौरतलब है कि 2 जून, 2023 की शाम करीब 6:55 मिनट पर ओडिशा के बालासोर जिले के महानगा गाँव के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरियों से उतर गई थी। इसके बाद वह ट्रेन लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। मालगाड़ी से टक्कर होने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे बगल वाली पटरी पर चले गए। इस पटरी पर दूसरी दिशा से यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन आ गई और कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों में जाकर टकरा गई। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया