बंगाल में ₹5000 करोड़ के घोटाले को पार्थ चटर्जी ने अकेले नहीं दिया अंजाम, TMC विधायक मणिक भट्टाचार्य भी थे साथ: ED ने गिरफ्तार किया

ED ने टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य को किया गिरफ्तार (फोटो साभार: Times Now)

पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में तृणमूल कॉन्ग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य (Trinamool Congress MLA Manik Bhattacharya) को गिरफ्तार किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार (11 अक्टूबर 2022) की सुबह भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर चार्जशीट में यह खुलासा किया गया था कि पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य ने मिलकर शिक्षक भर्ती में धांधली की है। पार्थ चटर्जी के फोन से भी जाँच एजेंसी को माणिक भट्टाचार्य के बारे में कई जानकारियाँ मिली थीं।

अधिकारियों ने टीएमसी के विधायक को सोमवार (10 अक्टूबर 2022) को पूछताछ के लिए बुलाया था। रातभर चली लंबी पूछताछ के बाद उन्हें आज गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में भट्टाचार्य केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी की जाँच के दायरे में थे। जुलाई 2022 में जाँच एजेंसियों ने उनके घर की तलाशी ली थी। वहाँ से उन्होंने एक हार्ड डिस्क ड्राइव भी बरामद किया था, जिसमें भर्ती घोटाले में नौकरी पाने वाले अयोग्य उम्मीदवारों की सूची दिखाई गई थी।

माणिक भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने सितंबर 2022 में उन्हें प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने का आदेश दिया था।

बताया गया था कि सुप्रीम और हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद माणिक सीबीआई दफ्तर में नहीं पहुँचे थे। उनका मोबाइल फोन भी बंद था। इसके बाद हाई कोर्ट की तरफ से इस मामले के लिए नियुक्त किए गए एसीपी ने जादवपुर थाने जाकर उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालाँकि, माणिक के घरवालों ने कहा था कि वे सुबह ही निकल गए थे। जबकि उनके कुछ करीबियों के मुताबिक वे दिल्ली में थे।

बता दें कि पश्चिम बंगाल के शिक्षक घोटाले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को ईडी ने 23 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया था। अपनी करीबी अर्पिता मुखर्जी के अलग-अलग फ्लैटों में मिले करोड़ों रुपए को लेकर पार्थ चटर्जी ने अलग ही कहानी बयाँ की थी। 28 सितंबर, 2022 को पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पार्थ को जमानत देने का विरोध किया था। ED ने अपने 14,643 पन्नों के दस्तावेज कोर्ट में जमा किए थे। एजेंसी ने खुलासा किया था कि पार्थ ने अपनी पत्नी की मौत के बाद उसकी कंपनी टेक्स्ट फैब प्राइवेट लिमिटेड के अधिकांश शेयर अर्पिता के नाम कर दिए थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया