साल 2020 में महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिंचिंग कर साधुओं की हत्या कर दी गई थी। हत्या के इस मामले में महाराष्ट्र सरकार रुख बदलते हुए इसकी जाँच सीबीआई को सौंपने को तैयार हो गई है। मंगलवार (11 अक्टूबर 2022) को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की भाजपा-शिंदे सरकार ने कोर्ट से कहा है कि उन्हें इस मामले की जाँच सीबीआई से कराने में कोई आपत्ति नहीं है। इससे पहले, तत्कालीन उद्धव सरकार ने सीबीआई जाँच कराने से इनकार कर दिया था।
दरअसल, अप्रैल 2022 में महाराज कल्पवृक्ष गिरि और सुशील गिरि महाराज को पालघर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। जब यह घटना हुई थी तब दोनों साधु मुंबई से सूरत की यात्रा कर रहे थे। इस यात्रा के दौरान, उनकी कार को 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने रोक लिया था। इसके बाद भीड़ ने पथराव करने के बाद उनकी कार को उलट दिया था। जिसके बाद, साधुओं की इतनी पिटाई की गई थी कि उन्होंने दम तोड़ दिया था।
इस घटना के बाद, जून 2020 में पंच दशाबन जूना अखाड़े के हिंदू साधुओं और दो मृतक साधुओं के रिश्तेदारों ने मामले की जाँच कर रहे राज्य के अधिकारियों पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से एनआईए/सीबीआई जाँच की माँग की थी।
इस मामले में, भाजपा समर्थित एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे दाखिल कर कहा कि वह पालघर हिंसा मामले में दो साधुओं समेत 3 लोगों की हत्या के मामले की जाँच को सीबीआई को सौंपने के लिए तैयार है। इस जाँच से सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी।
गौरतलब है कि इससे पहले जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जाँच का विरोध किया था। उद्धव ठाकरे सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है। साथ ही, जिन पुलिसकर्मियों ने इसकी जाँच में लापरवाही की थी उनके खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है।