यौन शोषण, सत्ता की हनक, प्रेस की आजादी छीनी, पीड़िताओं को ही किया परेशान: जानें संदेशखाली में अब तक क्या-क्या हुआ, कहाँ है TMC का शाहजहाँ शेख

संदेशखाली में प्रदर्शन करतीं महिलाएँ और सीएम ममता बनर्जी (चित्र साभार: NDTV & India Today)

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज वाले पश्चिम बंगाल के संदेशखाली का मुद्दा इस समय सुर्ख़ियों में है। यहाँ बड़ी संख्या में महिलाओं ने सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के नेता शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों पर घर से उठाने और यौन शोषण करने के आरोप लगाए हैं। शाहजहाँ शेख पहले से ही फरार है। वहीं, संदेशखाली की सच्चाई दिखाने वाली मीडिया को बंगाल पुलिस उठा कर ले जा रही है।

इतना ही नहीं, तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता शाहजहाँ शेख की सच्चाई बताने वाली पीड़ित महिलाओं की पहचान उजागर की जा रही है और उन पर दमन चक्र चलाया जा रहा है। इस बीच देश की परंपरागत मीडिया ने इस खबर ना उतनी तवज्जो दी है और ना ही इस मामले में ढिलाई बरतने पर ममता बनर्जी सरकार की आलोचना हुई है।

सुंदरबन के द्वीपीय इलाके संदेशखाली में अब तक क्या हुआ, घर से महिलाओं को उठाकर ले जाने और उनका यौन शोषण करने के आरोप कहाँ से आए, बंगाल पुलिस ने इस मामले में अब तक क्या किया, बंगाल की सरकार प्रेस की आजादी को कैसे छीन रही है और हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार से क्या कहा….. ये सब जानने की जरूरत है।

मीडिया की आजादी पर हमला, पत्रकारों पर FIR

संदेशखाली पर रिपोर्ट करने से रोकने के लिए ममता सरकार का दमनचक्र जारी है। सरकार के निशाने पर मीडियाकर्मी हैं, जो संदेशखाली का सच देश को दिखाना चाहते हैं। बंगाल की पुलिस ऐसे पत्रकारों को कैमरे के सामने से उठाकर ले जा रही है और उन पर FIR दर्ज कर रही है। इस मामले में सबसे पहले रिपब्लिक बांग्ला के रिपोर्टर संतू पान को 19 फरवरी, 2024 को गिरफ्तार किया गया।

संतू को जिस समय गिरफ्तार किया गया, उस समय वे लाइव थे। उन्हें कैमरे के सामने से ही बंगाल पुलिस उठा ले गई। संतू की पत्नी ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत की है। संतू पान संदेशखाली का सच अपने दर्शकों को लगातार दिखा रहे थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद भी जब सच बाहर आता रहा तो बंगाल पुलिस ने एक और पत्रकार सुमन डे के खिलाफ FIR दर्ज कर ली।

सुमन ABP आनंद (बांग्ला चैनल) से जुड़े हैं। उन पर संदेशखाली से सम्बंधित एक शो करने के लिए FIR दर्ज की गई है। बंगाल की पुलिस ने उनके इस शो को गलत बताया और उन पर मामला दर्ज कर लिया। संदेशखाली में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और यहाँ की हकीकत को बाहर नहीं आने दिया जा रहा है।

गिरफ्तार किए गए पत्रकार संतू को गुरुवार (22 फरवरी 2024) को जमानत मिल गई है। उनके खिलाफ एक महिला के घर में घुसने का मामला दर्ज कर दिया गया है। उनको कहीं ले भी जाया गया है। यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि उन्होंने संदेशखाली का सच दिखाने की हिम्मत की थी। संतू की गिरफ्तारी के बाद बंगाल से लेकर दिल्ली तक पत्रकारों ने प्रदर्शन किए हैं।

बंगाल पुलिस ने ही उजागर कर दी पीड़िता की पहचान

एक तरफ बंगाल सरकार पत्रकारों का दमन कर रही है तो दूसरी तरफ संदेशखाली की पीड़िताओं की पहचान भी उजागर कर रही है। इसको लेकर बंगाल की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई है। भाजपा ने पीड़िताओं से मिलने और इनकी बात सुनने की माँग के साथ-साथ आरोपितों पर कार्रवाई की माँग की है।

इस बीच ममता सरकार ने महिलाओं की पीड़ा सुनने के बजाय इस बात में दिलचस्पी दिखाई कि इस पूरे मामले को कैसे पूरी तरह दबा दिया जाए। बंगाल सरकार ने यहाँ बड़ी संख्या में पुलिस तैनात किया है। ये आरोप भी सामने आए हैं कि बंगाल पुलिस पीड़िताओं को ही परेशान कर रही है। दरअसल, बंगाल पुलिस बलात्कार के मामले को पहले ही खारिज कर चुकी है।

बंगाल पुलिस ने एक महिला का असली बयान सुनाने के नाम पर उसकी पहचान उजागर कर दी। साथ ही उसका फोटो भी सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसका विरोध हुआ तो ट्वीट हटा लिया गया। ऐसे भी आरोप हैं कि पुलिस पीड़िताओं को चुप कराने की कोशिश कर रही है। महिलाओं का आरोप है कि उनके घरों में पुलिस की वर्दी में लोग घुसे और धमकाया। महिलाओं ने बताया कि वे डर के साए में जी रही हैं।

क्या है संदेशखाली की वर्तमान स्थिति?

संदेशखाली में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और विपक्षी नेता भी पहुँचे। महिलाओं ने आपबीती NCW चीफ से सुनाई है। महिलाओं के साथ हुई बर्बरता को सुनकर NCW चीफ ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की माँग की है। देश भर में आलोचना के बाद वहाँ बलात्कार के 2 मामले दर्ज किए गए हैं। एक FIR बलात्कार, जबकि दूसरी सामूहिक बलात्कार की दर्ज हुई है।

एक FIR तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता शिबू हाजरा और उसके दो गुर्गों- उमर अली गाजी और भानू मंडल के विरुद्ध दर्ज की गई है। वहीं, एक मामले में उत्तम सरदार और शिबा हाजरा को आरोपित बनाया गया है।हालाँकि, इन दोनों ही मामलों में मुख्य आरोपित शाहजहाँ शेख का नाम नहीं है। पीड़िताओं ने शाहजहाँ को ही सरगना बताया है। शाहजहाँ को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी बताया जाता है।

जहाँ उत्तम सरदार और शिबू हाजरा की गिरफ्तारी हो चुकी है, वहीं शेख शाहजहाँ अब भी बंगाल पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका है। वह जनवरी से ही गायब है। उसको पकड़ने के लिए राज्य की पुलिस की कोई ख़ास तत्परता भी सामने नहीं आई है। इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी बंगाल पुलिस और सरकार को फटकार लगाई है।

संदेशखाली में विपक्षी नेताओं के जाने पर भी ममता सरकार ने प्रतिबन्ध लगा रखा है। भाजपा के नेता सुवेंदु अधिकारी को इसके लिए कोर्ट तक का सहारा लेना पड़ा। दरअसल, यहाँ की अधिकांश पीड़िताएँ अनुसूचित जाति/जनजाति समाज से हैं। इस कारण इसका संज्ञान राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने लिया है। मानवाधिकार आयोग ने राज्य के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी से जवाब माँगा है।

क्या है पूरा मामला, कहाँ से हुई शुरुआत?

बंगाल में एक जिला है उत्तरी 24 परगना। यहाँ के सुंदरबन डेल्टा में टापू पर बसा हुआ है संदेशखाली। यहाँ 5 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम CRPF के कुछ जवानों के साथ पहुँची थी। यह टीम बंगाल में हुए राशन घोटाला मामले में स्थानीय तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता और पंचायत सदस्य शाहजहाँ शेख से पूछताछ करने आई थी। इस दौरान टीम पर हमला हो गया और कई अधिकारी एवं जवान घायल हुए।

यह मामला मीडिया में कुछ दिन तक चला और दब गया। शाहजहाँ शेख वहाँ से फरार हो चुका था और उसके घर पर ताला लटक रहा था। इस घटना के एक महीने बाद यानी 8 फरवरी 2024 को यहाँ बड़ी संख्या में महिलाएँ सड़क पर उतरीं। इन्होंने जो खुलासे किए वह सन्न करने वाले थे। महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाहजहाँ शेख और उसके चेले शिबू हाजरा और उत्तम सरदार ने यहाँ अपना आतंक कायम कर रखा है।

महिलाओं ने कहा कि शाहजहाँ और उसके गुर्गों को जो भी महिला पसंद आती है, उसे वे घर से उठा ले आते हैं। जितने दिन मन होता है, उसे अपने पास रखते हैं और फिर ‘मन भर जाने’ पर महिला को वापस कर देते हैं। यदि कोई महिला इसका विरोध करती है तो उसके घरवालों को प्रताड़ित किया जाता है और हत्या तक की धमकी दी जाती है। इन आरोपों के कई वीडियो भी सामने आए।

महिलाओं ने प्रदर्शन के दौरान झाडुओं और लाठियों के साथ टीएमसी के गुंडों को दौड़ाया भी। आरोप सामने आने के बाद मामले को दबाने के लिए शाहजहाँ के आदमी दबाव बनाने लगे। महिलाओं ने बताया कि उनके घरों पर रात में टॉर्च मारी जाती है और उनके दरवाजों को पीटा जाता है। यौन शोषण के अलावा महिलाओं ने आरोप लगाए कि ये लोग मछली पालन के लिए उनकी जमीनों पर कब्जा कर चुके हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया