केरल में RSS कार्यालय पर फेंका बम, BJP नेता ने पुलिस पर लगाया मिलीभगत का आरोप

केरल में RSS ऑफिस पर बम से हमला (फोटो साभार: ANI)

केरल के कन्नूर जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के ऑफिस पर बम से हमला किया गया। हमला कन्नूर जिले के पय्यानूर में हुआ। पय्यानूर पुलिस के मुताबिक घटना मंगलवार (12 जुलाई 2022) की सुबह हुई। बताया गया है कि हमले में ऑफिस की खिड़की के शीशे टूट गए। बम दस्ते ने हमले के बाद आरएसएस कार्यालय की जाँच की।

बम फेंके जाने के बाद RSS ऑफिस की कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं। इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कुर्सियाँ उल्टी पड़ी हुई हैं और खिड़कियों के शीशे टूटे हैं। हालाँकि किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। हैरानी की बात यह है कि जिस जगह पर यह ऑफिस स्थित है, उसके पास में ही पुलिस स्टेशन भी है। इसके बावजूद बम फेंकने की इस घटना को अंजाम दिया गया।

इस घटना पर भाजपा नेता टॉम वडक्कन ने रिपब्लिक टीवी से बात करते हुए कहा कि यह बेहद चौंकाने और हैरान करने वाला है। कानून व्यवस्था इतनी गिर गई है कि सामाजिक संगठनों के ऑफिसों पर अब बम फेंके जा रहे हैं। यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरएसएस के दफ्तरों और कार्यकर्ताओं पर इस तरह के हमले पहले भी हो चुके हैं। ऐसी कानून-व्यवस्था से जल्द से जल्द निपटना होगा। पुलिस और प्रशासन इसके लिए जवाबदेह है। केरल की जनता इस घटना को ऐसे ही नहीं जाने देगी।

वडक्कन ने कहा कि पुलिस की मिलीभगत बहुत खतरनाक है। ऐसे उदाहरण हैं जहाँ पुलिस स्टेशन 100 मीटर दूर है और फिर भी कुछ नहीं होता है। कार्यालयों को खास तौर पर कन्नूर जैसे संवेदनशील जिले में सुरक्षा दिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। ऐसे में यह न सिर्फ लापरवाही, बल्कि मिलीभगत भी है। उन्होंने कहा, “मुझे यह कहते हुए खेद हो रहा है, मगर राज्य में किसी भी राजनीतिक कार्यालय को नुकसान के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।”

उल्लेखनीय है कि 9 जुलाई को आरएसएस ने राजस्थान के उदयपुर में हुई कन्हैया लाल की बर्बर हत्या की निंदा की थी और मुस्लिम समुदाय से एसी घटनाओं के खिलाफ आगे आने की अपील की थी। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि ऐसी घटनाएँ समाज या देश के हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमारे अपने देश में लोकतंत्र है। अगर किसी को कुछ पसंद नहीं है, तो उस पर प्रतिक्रिया देना लोकतांत्रिक का एक तरीका है।”

उन्होंने कहा था, “हिंदू समाज शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। मुस्लिम समाज से भी ऐसी घटना पर रोक लगाने की उम्मीद की जाती है। कुछ बुद्धिजीवियों ने इसका विरोध किया है, लेकिन मुस्लिम समाज को भी आगे आना चाहिए और इसका कड़ा विरोध करना चाहिए। ऐसी घटनाएँ न तो समाज के हित में है और न ही देश के हित में। इसे पूरी तरह से खारिज करने की आवश्यकता है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया