मथुरा में बिहारी जी के प्राचीन मंदिर पर कब्जा कर बनाई मजार, दस्तावेजों में हेरफेर कर सपा नेता ने जमीन करवाया कब्रिस्तान के नाम

मंदिर की जमीन पर मजार बनाने के मामले में 23 के खिलाफ FIR (फोटो साभार: दैनिक जागरण)

उत्तर प्रदेश के मथुरा के कोसी कला थाना क्षेत्र में बिहारी जी के एक प्राचीन मंदिर पर कब्जा कर मजार बनाने का मामला सामने आया है। जमीन हथियाने की साजिश में सपा का नेता भी शामिल है। उसने ही ग्राम प्रधान रहते मंदिर की जमीन दस्तावेजों में हेरफेर कर कब्रिस्तान के नाम पर करवाया था।

मामला सामने आने के बाद 23 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। बिहारी जी महाराज सेवा ट्रस्ट की भूमि के दस्तावेजों में हेराफेरी को लेकर तत्कालीन तहसीलदार, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक और ग्राम प्रधान समेत सपा नेता को भी आरोपित बनाया गया है। दस्तावेजों में हेराफेरी 2004 में की गई। उसके बाद जमीन पर कब्जा करने के लिए करीब 15 साल तक इंतजार किया गया। इसके खिलाफ ग्रामीण राम अवतार सिंह ने तहरीर दी थी। अब जाँच से यह बात सामने आई है कि मंदिर की जमीन को फर्जीवाड़े से कब्रिस्तान के नाम किया गया था।

क्या है मामला

आरोप है कि शाहपुर गाँव में 2004 में तत्कालीन ग्राम प्रधान और सपा नेता भोला खाँ पठान ने लेखपाल के साथ मिलकर बिहारी जी महाराज सेवा ट्रस्ट की भूमि के कागजातों में हेराफेरी करते हुए इसे कब्रिस्तान भूमि के तौर पर दर्ज करवा दिया। इसके लिए उसने अपने लेटरपैड पर ग्रामीणों का फर्जी हस्ताक्षर भी करवाया था। यह बात करीब 15 साल बाद तब सामने आई, जब मुस्लिम पक्ष जमीन पर कब्जा करने पहुँचा।

जानकारी के मुताबिक देखभाल के अभाव में खंडहर हो चुके बिहारी जी मंदिर परिसर में 15 मार्च 2020 की रात ईदू, नासिर पठान, हनीफ खाँ, शहीद, अशफाक, रिजवान, सलीम, राजू, जमाल, अख्तार, सुलेमान, अजीज, शकील, इंसाद, जाहिरा, मुस्ताक, जमील, शाहिद समेत 30 लोगों ने मंदिर के सिंहासन को तोड़कर उसे मजार में तब्दील कर इबादत करना शुरू दिया। साथ ही यहाँ पूर्व में ही बने कुएँ को भी तहस-नहस कर दिया गया था। जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो आरोपितों ने इसे कब्रिस्तान की जमीन बताया। प्रशासनिक अफसरों को दो सितंबर 2004 में बदले गए खसरा संख्या के संबंधित कागजात दिखाकर गुमराह कर दिया गया। आरोप है कि कागजों में खसरा नंबर 108 को 1081 कर दिया गया। 

सपा नेता समेत 23 पर FIR

राम अवतार सिंह की तहरीर पर मामले की जाँच शुरू की गई तो दस्तावेजों में हेराफेरी सामने आई। पुलिस की जाँच के बाद यह साजिश सामने आई कि लखनऊ तक भेजी गई फाइल में कब्रिस्तान के लिए प्रस्तावित जमीन का खसरा 108 दिखाया गया, जबकि तहसील में इसे 1081 कर दिया गया। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक एसपी (ग्रमीण) श्रीश चंद ने जाँच में खसरे के नंबर में फर्जीवाड़ा पाया। 

राम अवतार सिंह का कहना है कि दिसंबर 2004 में प्रशासन ने अपर वक्फ आयुक्त से भी इस संबंध में सूचना माँगी थी। उन्होंने भी बताया कि यह जमीन वक्फ कार्यालय में रजिस्टर्ड नहीं है। राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म रक्षा संघ सौरभ गौड़ ने भी बताया कि वक्फ बोर्ड कमेटी ने लिखकर दिया है कि यह जमीन कब्रिस्तान की नहीं है। उनके यहाँ यह दर्ज नहीं है। जाँच में भी पूरी तरह से यह जगह बिहारी जी के मंदिर की निकली।

उन्होंने कहा, “हम लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द वह जगह हिंदू समाज को सौंपी जाए और मजार हटाया जाए, जिससे हम वहाँ पर भव्य और दिव्य बिहारी जी का मंदिर का निर्माण कर सकें। आज की तारीख में वह मजार एक कलंक के रूप में बिहारी जी के मंदिर के ऊपर बनाई हुई है।”

वहीं एसपी ग्रामीण श्रीश चंद ने बताया कि तत्कालीन सपा अध्यक्ष भोला खाँ पठान, रामवीर प्रधान, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, शौकत, अहमद, युसूफ, अजीज, लुकमान, नवाब कुरैशी, नासिर पठान, अशरफ एहसान, हनीफ, इमरान, इरशाद, जफर, शमशाद, सलीम, शकील, असगर, नवाब खान समेत 23 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज किया गया है। आरोपितों को जल्द पकड़ा जाएगा। DM नवनीत चहल ने भी रिपोर्ट दर्ज होने की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि जल्द ही आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया