CCD के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ का नेत्रवती नदी किनारे मिला शव, व्यापार में घाटे से थे परेशान

नेत्रवती नदी के किनारे से मिला वीजी सिद्धार्थ का शव

सोमवार से लापता चल रहे कैफे कॉफी डे के संस्थापक और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएस कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ की लाश उल्लाल के निकट नेत्रवती नदी किनारे मिली। उनका शव वहाँ मौजूद स्थानीय मछुआरों ने निकाला। मेंगलुरु के विधायक यूटी खादर के मुताबिक सिद्धार्थ के मित्र और संबंधियों ने उनके शव की पुष्टि की। पुलिस पोस्टमार्टम के बाद सिद्धार्थ का शव उनके परिवार को सौंप देगी।

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जानकारी के मुताबिक स्थानीय मछुआरों ने ही पुलिस को नदी किनारे शव होने की सूचना दी थी। जिसके बाद पुलिस वहाँ पहुँची और संदेह जताते हुए कहा कि ये शव वीजी सिद्धार्थ का प्रतीत हो रहा है। उन्होंने बताया, “हमें आज सुबह लाश मिली। इसकी पहचान के लिए हमने परिवार के सदस्यों को सूचित कर दिया है। अभी शव को पोस्टमार्टम के लिए वेनलॉक हॉस्पिटल ले जा रहे हैं।”

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गौरतलब है वीजी सिद्धार्थ के गायब होने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि उन्होंने नेत्रवती नदी के पुल पर से छलांग लगा दी होगी क्योंकि सोमवार को अपने ड्राइवर के साथ नेत्रवती नदी के पुल पर पहुँचने के बाद वह अकेले निकल पड़े थे। इस दौरान उन्होंने पुल घूमने की इच्छा जताई थी। लेकिन डेढ़ घंटे बाद भी जब वह अपनी गाड़ी के पास नहीं पहुँचे तो ड्राइवर ने उनकी चिंता में खोजबीन शुरू कर दी। उनका मोबाइल भी बंद आ रहा था।

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इसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई। ड्राइवर के बयान पर मंगलुरु में एफआईआर दर्ज की गई। ड्राइवर ने बताया कि सिद्धार्थ हसन जिले में स्थित सकलेशपुर के लिए निकले थे लेकिन वे मंगलुरु चले गए। इसके बाद माना गया कि उन्होंने नदी से छलांग लगा दी।

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आयकर विभाग ने किया आरोपों को खारिज

बता दें विजय सिद्धार्थ बीते दिनों बिजनेस में होते घाटे से काफ़ी परेशान थे। उन्होंने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के नाम लिखी चिट्ठी में देनदारों का अत्यधिक दबाव होने की बात कही थी और बताया था कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने असत्यापित पत्र में आयकर विभाग के पूर्व डीजी पर आय संबंधी जाँच के दौरान काफ़ी प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया था। हालाँकि हालिया बयान में आयकर विभाग ने अपनी जाँच के दौरान उन्हें प्रताड़ित करने के आरोपों से इंकार कर दिया और बताया कि उनकी जाँच के दौरान उद्योगपति ने अपने और अपने प्रतिष्ठानों पर छापों के बाद कुछ आय छिपाकर रखना स्वीकार किया था।

विभाग ने अपनी ओर से जारी बयान में कहा कि उन्होंने जो किया वो आयकर कानून के प्रावधानों के अनुरूप किया। उनके मुताबिक सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे पत्र की सत्यता को प्रमाणित नहीं किया जा सकता क्योंकि सिद्धार्थ का हस्ताक्षर ‘‘उससे मेल नहीं खाता’’ जो कंपनी के वार्षिक रिपोर्ट के रूप में विभाग के पास उपलब्ध हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया