कलकत्ता हाई कोर्ट न होता तो ममता बनर्जी के बंगाल में रामनवमी की शोभा यात्रा भी न निकलती: इसी राज्य में ईद पर TMC बाँटती है लुंगी और नमाजी टोपी

कलकत्ता हाई कोर्ट ने रामनवमी शोभायात्रा की दी अनुमति (फोटो साभार HT)

पश्चिम बंगाल के जादवपुर में 21 अप्रैल 2024 को विश्व हिूंद परिषद रामनवमी पर शोभा यात्रा निकाल रही है। शाम को 6 बजे से इस यात्रा को मंजूरी कलकत्ता हाई कोर्ट ने दी है। कलकत्ता हाई कोर्ट में विश्व हिंदू परिषद ने अपील की थी कि ममता सरकार रामनवमी की शोभा यात्रा की परमिशन नहीं दे रही है और ट्रैफिक जैसे बहाने बना रही थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने प्रशासन को फटकार तो लगाई ही, साथ ही विश्व हिंदू परिषद को राम नवमी की शोभा यात्रा की अनुमति दे दी। सोचिए, अगर कलकत्ता हाई कोर्ट नहीं होता तो?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की। कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “प्रत्येक नागरिक को खुद को अभिव्यक्त करने या अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार है, हालाँकि उचित प्रतिबंधों के अधीन और इसी तरह की कई रैलियाँ 21 अप्रैल को आयोजित करने की अनुमति दी गई है। इसलिए मुझे याचिकाकर्ता को अनुमति न देने का कोई कारण नहीं दिखता है।”

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पाया कि विश्व हिंदू परिषद ये शोभा यात्रा रविवार (21 अप्रैल 2024) को निकाल रही है। इस दिन छुट्टी है, तो सड़क पर भारी ट्रैफिक की समस्या नहीं होगी। इसके साथ ही एनडीए या अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं भी शाम 5 बजे तक समाप्त हो जाएँगी। इसलिए प्रशासन ने जो बहाने किए हैं, वो पोषनीय नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक के नाम पर शोभा यात्रा पर रोक लगाना सही नहीं, इसलिए शाम को 6 बजे से इस शोभा यात्रा को निकालने की अनुमति दी जाती है।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने प्रशासन से समुचित सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है, साथ ही यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्जन की भी सुविधा देने के लिए कहा है। कलकत्ता हाई कोर्ट का ये फैसला स्थानीय प्रशासन के लिए झटके की तरह है, क्योंकि प्रशासन ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर शोभा यात्रा को अनुमति देने से ही इनकार कर रहा था।

वीएचपी ने कोर्ट को बताया कि वो 2016 से रामनवमी के बाद पहले रविवार को इस तरह का जुलूस निकालती रही है, लेकिन राज्य सरकार ने विहिप की याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि 21 अप्रैल को रैली आयोजित करने का कोई धार्मिक महत्व नहीं है। राज्य ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के कारण पुलिस कर्मियों की कमी है। इसके साथ ही 21 अप्रैल को परीक्षाएं भी आयोजित की जानी हैं, इसके परीक्षा केंद्र उस रोड पर हैं, जहाँ रैली निकाली जानी है। हालाँकि कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ रैली को अनुमति दे दी।

बता दें कि ये उस पश्चिम बंगाल राज्य का मामला है, जहाँ राम नवमी पर तो शोभा यात्रा निकालने तक की अनुमति कोर्ट में जाकर लेनी पड़ रही है, वहीं, ईद के मौके पर लुंगी व अन्य सामान बाँटे जाते हैं। कुछ दिन पहले एक वीडियो सामने आया था, जिसमें सत्ताधारी दल के लोग ईद के मौके पर उपहार बाँठ रहे थे। वीडियो में दिख रहा था कि लोगों को बैग दिए गए। इन बैग में लुंगी (तहमद), नमाजी टोपी, साड़ियाँ, लच्छा (जिससे सेवइयाँ बनती हैं) और ड्राई फ्रूट भरे हुए थे। बैगों के ऊपर ‘इफ्तार सामग्री, ईद उपहार’ लिखा हुआ था, तो ‘अल्पसंख्यक मोर्चा पुरुलिया जिला’ भी लिखा हुआ था। हालाँकि इस मामले में सत्ताधारी दल टीएमसी के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, इस बात का पता नहीं चल पाया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया