‘हर दिन आती है चुनावी हिंसा की खबरें, बंगाल में 5 साल के लिए तैनात कर देंगे CAPF’: ममता सरकार को हाई कोर्ट ने फटकारा, DGP से माँगी FIR की सूची

ममता बनर्जी सरकार और कलकत्ता हाई कोर्ट (फोटो साभार: ABP/Tribune)

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की है। हाई कोर्ट ने गुरुवार (6 जून 2024) को कहा कि अगर राज्य सरकार हिंसा को रोकने में विफल रहती है तो वह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को अगले पाँच वर्षों तक राज्य में तैनात रहने के लिए कह सकता है।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौशिक चंदा और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे की खंडपीठ ने राज्य की ममता बनर्जी की सरकार को निर्देश दिया कि वह हिंसा से प्रभावित लोगों को ईमेल के माध्यम से राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को शिकायत दर्ज करने की अनुमति दे। पीठ ने कहा, “हम किसी भी कीमत पर राज्य के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं।”

यह याचिका राष्ट्रवादी आइनजीवी नाम के संगठन द्वारा दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं को लोकसभा आम चुनाव 2024 के तुरंत बाद एक विशिष्ट राजनीतिक दल से जुड़े होने के कारण चुनाव के बाद की हिंसा का सामना करना पड़ा था। याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि स्थानीय पुलिस अधिकारियों द्वारा उनकी शिकायतें दर्ज नहीं की जा रही हैं।

अदालत ने डीजीपी संजय मुखोपाध्याय को 10 दिनों के भीतर चुनाव बाद हिंसा की मिली शिकायतों की संख्या, दर्ज की गई एफआईआर की संख्या और उसके बाद की गई कार्रवाई (यदि कोई हो) पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया। अदालत ने पुलिस को प्राप्त शिकायतों को तुरंत अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का भी निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सुस्मिता साहा दत्ता की वकील ने अदालत को बताया कि पिछले शनिवार (1 जून 2024) को राज्य में सात चरणों के मतदान समाप्त होने के बाद से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। दत्ता ने अदालत को बताया, “1 जून को चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गई थी। उसके बाद गुरुवार तक चुनाव बाद की हिंसा में 11 लोगों की मौत हो चुकी है।”

इसके बाद दो जजों की खंडपीठ ने पूछा, “हम कैसे मान लें कि 11 लोग मारे गए हैं?” इस पर दत्ता ने जवाब दिया, “हमारे पास पर्याप्त दस्तावेज हैं।” राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “ये सच नहीं हैं।”

जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा, “हम हर दिन मीडिया में चुनाव के बाद की हिंसा के बारे में देख रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद जो हुआ, वही इस बार भी हो रहा है। आपको (राज्य को) शर्म आनी चाहिए। अगर राज्य इस हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो हमें यह निर्णय लेना होगा कि अगले पांच वर्षों तक केंद्रीय बल इस राज्य में रहेंगे।”

बता दें कि पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी गुरुवार (6 जून 2024) को राज्यपाल सीवी आनंद बोस को पत्र लिखकर चुनाव बाद की हिंसा में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की कथित भूमिका पर चिंता जताई। उन्होंने अपने पत्र में राज्यपाल से साल 2021 में चुनाव के बाद ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को लिखे पत्र में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि 4 जून 2024 के संसदीय चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद पश्चिम बंगाल में ‘सत्तारूढ़ सरकार के गुंडे’ भाजपा के कार्यकर्ताओं को लेकर पागल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह हिंसा पश्चिम बंगाल के लिए पर्याय बन चुकी है।

भाजपा नेता ने कहा, “यह बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद हुई घटनाओं की पुनरावृत्ति प्रतीत होती है, जिसके परिणामस्वरूप कई भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी।” उन्होंने कहा कि चुनावों के बाद केंद्रीय सशस्त्र बलों का उपयोग बिगड़ती स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नहीं किया जा रहा है और सत्तारूढ़ पार्टी के गुंडे भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया