CM योगी का मुखौटा पहना घसीटा-मारा: केरल में इस्लामी संगठन PFI का कारनामा, इसी के सदस्य को धरा था UP पुलिस ने

CM योगी का मुखौटा पहना घसीटा-मारा: केरल में इस्लामी संगठन PFI का कारनामा, इसी के सदस्य को धरा था UP पुलिस ने (साभार: सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक घृणित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। यह वीडियो केरल में बनाया गया है। इसमें आप देख सकते हैं कि सीएम योगी का मुखौटा लगाए और उन्हीं की तरह भगवा वस्त्र धारण करने वाले एक व्यक्ति को तीन ओछी मानसिकता वाले लोग गाना गाते हुए रस्सी से बाँधकर घसीटते हुए ले जा रहे हैं।

सीएम योगी से नफरत करने वाले तीनों लोग उस व्यक्ति को थप्पड़ मारने का नाटक करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। यह घिनौना वीडियो इंटरनेट पर वायरल है। बताया जा रहा है कि वीडियो को इस्लामिक ग्रुप कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा की गई रैली के दौरान शूट किया गया था, जो सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ मुकदमा चलाने को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। दरअसल, 8 पीएफआई कार्यकर्ताओं में से एक पर हाथरस की घटना के दौरान सांप्रदायिक अशांति भड़काने का आरोप लगाया गया था। बता दें कि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया इस्लामिक संगठन पीएफआई (PFI) की छात्र शाखा है।

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यूपी पुलिस ने हाथरस की घटना को लेकर अशांति फैलाने के आरोप में सिद्दीकी कप्पन सहित पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। उन्होंने इस मामले में कप्पन को गिरफ्तार किया था, वह तब से जेल में बंद है। यही कारण है कि इन लोगों ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नफरत भरा वीडियो बनाया है।

सिद्दीकी कप्पन नामक एक पत्रकार को किया गया था गिरफ्तार

इस साल अक्टूबर की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के हाथरस केस के दौरान सिद्दीकी कप्पन नामक एक पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था। इसके खिलाफ यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स ने 5,000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी। हलफनामे में एक जाँच अधिकारी का डायरी नोट भी था। इसमें उन्होंने कप्पन के उन 36 आर्टिकल्स को हाईलाइट किया था, जो उसके लैपटॉप से बरामद हुए थे। इन लेखों में निजामुद्दीन मरकज, एंटी सीएए प्रोटेस्ट, दिल्ली दंगे, राम मंदिर, शरजील इमाम जैसे मुद्दों पर बात की गई थी।

हलफनामे में यह भी बताया गया था कि कप्पन जिम्मेदार पत्रकार की तरह नहीं लिखता था। उसका काम सिर्फ मुस्लिमों को भड़काने का था। उसकी संवेदनाएँ माओवादी और कम्युनिस्टों के साथ थीं। एएमयू में हुए सीएए प्रोटेस्ट पर लिखे लेख में उसने ऐसे दिखाया था जैसे पीटे गए मुस्लिम पीड़ित हों और पुलिस ने उन्हें पाकिस्तान जाने को कहा हो। एसटीएफ ने इस प्रकार की लेखनी को सांप्रदायिक बताया था। कप्पन सिर्फ और सिर्फ मुस्लिमों को भड़काता था, जो कि पीएफआई का छिपा हुआ मुख्य एजेंडा है।

सीएफआई की उत्पत्ति आतंकी संगठन सिमी से हुई

साल, 2009 में शुरू किया गया कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने खुद को ‘नव-सामाजिक छात्र आंदोलन’ के रूप में पेश किया, जिसका उद्देश्य नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाना था। हालाँकि, यह समाज के उत्पीड़ित वर्गों की आवाज होने का दावा करता है। लेकिन इस संगठन की उत्पत्ति का मूल स्रोत आतंकवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) था, जिसे 1970 के दशक के अंत में जमात-ए-इस्लामी-ए-हिंद के समर्थकों के एक समूह द्वारा बनाया गया था।

PFI की छात्र शाखा CFI, चरमपंथी इस्लामी संगठन

कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई का हिंसा फैलाने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान पीएफआई की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। साथ ही, पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार भी किया गया था। इसके अलावा, पिछले साल नवंबर में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगे और हिंसा उकसाने के आरोपित किसानों के सरकार विरोधी प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया था। उसने प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया