ज्ञानवापी ढाँचे में घुसी 26 लोगों की टीम, जहाँ मिला शिवलिंग वहाँ शुरू हुई साफ़-सफाई: हिन्दू पक्ष के आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश, मुस्लिम बताते हैं ‘वजूखाना’

वाराणसी के ज्ञानवापी ढाँचे में जहाँ मिला शिवलिंग उस कथित वजूखाने की साफ़-सफाई शुरू

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी ढाँचे के भीतर स्थित जगह, जिसे मुस्लिम वजूखाना बताते हैं, उसकी सफाई शनिवार (20 जनवरी, 2024) को शुरू हो गई है। ये वही जगह है जहाँ पर ASI के सर्वे के दौरान शिवलिंग होने का खुलासा हुआ है। वहाँ नमाजी अक्सर अपने हाथ-पाँव धोते थे। वर्षों से शिवलिंग को अपमानित किया जा रहा है। ज्ञानवापी का मामला अदालत में चल रहा है। अब कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आला अधिकारियों की उपस्थिति में उस स्थल की साफ़-सफाई की जा रही है।

असल में इसके लिए हिन्दू महिलाएँ सुप्रीम कोर्ट पहुँची थीं, जिसमें जिस जगह पर शिवलिंग मिली वहाँ स्वच्छता बनाए रखने की माँग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस आवेदन को स्वीकार कर लिया था। हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि कथित वजूखाना काफी गंदा हो गया था, जिस कारण ये माँग की गई। ज्ञानवापी ढाँचा, जिसे मुस्लिम मस्जिद कहते हैं, उसमें घुसने से पहले सफाई कर्मचारियों की पहचान की भी जाँच की गई। 16 जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट ने इसकी साफ़-सफाई का आदेश दे दिया था।

इस दौरान न सिर्फ मंदिर और मस्जिद दोनों पक्षों के लोग मौजूद रहे, बल्कि पूरा काम खुद जिलाधिकारी अपनी निगरानी में करा रहे हैं। इससे पहले दोनों पक्षों ने आपस में बैठक की। ‘ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति’ का कहना है कि वो पानी टंकी की सफाई का भी समर्थन करती है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से पिछले 2 वर्षों से सील है। कई मछलियों के मरने के कारण भी टंकी से दुर्गन्ध आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट को दिए गए आवेदन में इसकी जानकारी दी गई थी।

इसमें कहा गया था कि पवित्र शिवलिंग को गंदगी और मृत जानवरों से दूर रखा जाना चाहिए, ऐसे में उसका मरी हुई मछलियों के बीच होना ठीक नहीं है। DM के साथ 26 लोगों की टीम अंदर साफ़-सफाई के लिए गई। सुबह 10 बजे ही टैंक की सफाई शुरू हो गई, जो दोपहर तक चली। टैंक से पानी निकालने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ भी बुलाई गई हैं। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी भी हो रही है। पानी निकालने के लिए 3 मोटर का इस्तेमाल किया गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया