‘युवाओं का पार्टी करना, तेज म्यूजिक बजाना, उसमें शराब पीना अपराध नहीं’: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, पड़ोसी की याचिका खारिज

पार्टी को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला (साभार: बार एंड बेंच/जनसत्ता)

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि युवाओं की पार्टियों प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। युवाओं द्वारा पार्टी आयोजित किया जाना आम बात है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन पार्टियों ने शराब सेवन को अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट उस मामले की सुनवाई में यह बात कही, जिसमें एक फ्लैट में युवकों द्वारा तेज म्यूजिक के साथ शराब पीने को लेकर याचिका दाखिल की गई थी।

न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने इस टिप्पणी के साथ ही इस मामले को खारिज कर दिया। दरअसल, एक निजी अपार्टमेंट में आयोजित पार्टी के दौरान ‘बेहद तेज संगीत’ बजाने और शराब पीने का आरोप के मामले में 10 लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था। यह मामला पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति ने दर्ज कराई थी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “आजकल आम बात है कि युवा ऐसी जगह पर मिलन समारोह और पार्टियाँ आयोजित करते हैं, जहाँ वे इकट्ठा हो सकें और उन पर किसी तरह पाबंदी ना लगाई जा सके। इसमें कोई विवाद नहीं है कि पार्टी याचिकाकर्ता के स्वामित्व वाले फ्लैट में चल रही थी। केवल शराब के सेवन को अपराध नहीं माना जा सकता है।”

अदालत इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि ये बताने के लिए कोई ठोस सामग्री नहीं है कि इन आरोपितों ने कोई अपराध किया है। इसको देखते हुए अदालत ने आरोपितों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। इस तरह अदालत ने आरोपितों की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की की माँग की गई थी।

बार एंड बेंच के अनुसार, यह पूरा मामला गोरखपुर के एक निवासी से संबंधित है। याचिकाकर्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके इलाके में तेज संगीत बजाया जा रहा है, जिसके कारण उसे या उसके बुजुर्ग पिता को सोने में दिक्कत हो रही थी।

इस पर बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह पार्टी एक निजी फ्लैट में आयोजित की गई थी और संगीत स्वीकृत सीमा के भीतर बजाया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इमारत में रहने वाले एक अन्य निवासी को फ्लैट के मालिक के खिलाफ व्यक्तिगत शिकायत थी और इसलिए उसने झूठी शिकायत की थी।

वहीं, सरकारी वकील ने तर्क दिया कि जब किसी पार्टी के कारण पड़ोसी असुविधा महसूस करते हैं और उसकी शिकायत पुलिस से करते हैं तो उस पर कार्रवाई करना पुलिस का दायित्व बन जाता है। इस पर आरोपितों के वकील ने कहा कि अगर पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज करने के बजाय पार्टी को रोक दिया होता तो यह काफी होता।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया