रोज के ₹300, शराब के साथ शबाब भी: देह व्यापार का अड्डा बना टिकरी बॉर्डर, टेंट में नंगे पड़े रहते हैं ‘किसान’

फर्जी किसानों के आंदोलन में शामिल होने पर 300 रुपए मिलते हैं

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में कथित किसान बीते 9 महीने से दिल्ली की सीमाओं को बाधित किए हुए हैं। हालाँकि, वक्त के साथ अब इस प्रदर्शन में किसान कम और किसानों का चोला पहने आंदोलनजीवी या यूँ कहें कि अय्याशजीवियों ने अपनी पैठ बना ली है।

इन फर्जी किसानों की अय्याशियों का खुलासा समय-समय पर होता रहा है। इसी कड़ी में जी हिंदुस्तान के अंडर कवर रिपोर्टर ने एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले इन फर्जी किसानों की सच्चाई को उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे टीकरी बॉर्डर पर रोहतक हाईवे (नेशनल हाईवे नंबर 9) के पास स्थित है बहादुरगढ़ का इलाका। जब से फर्जी किसानों ने यहाँ डेरा डाला है, तब से इस इलाके में देह व्यापार की एक अलग तरह की मंडी शुरू हो गई है। यहीं पास में एक गंदा नाला बहता है और उसी के आसपास की झाड़ियाँ इन फर्जी किसानों की अय्याशी का अड्डा बन गई हैं।

इन झाड़ियों के पीछे पैसे देकर लाए गए सेक्स वर्करों के साथ फर्जी किसान अय्याशी करते देखे जा सकते हैं। स्टिंग के दौरान रिपोर्टर ने सेक्स वर्कर समेत कई लोगों से बात की। एक फर्जी किसान के मुताबिक, आंदोलन साइट पर रुकने के लिए उसे प्रतिदिन 300 रुपए मिलते हैं। उसे ये पैसे टेंट का मालिक देता है, उसमें रहने के लिए। अगर दो लोग आंदोलन में शामिल होते हैं तो उन्हें संयुक्त रूप से 500 रुपए दिए जाते हैं।

एक सेक्स वर्कर ने बताया कि फर्जी किसान उनके पास आते हैं और 100 से लेकर 500 रुपए प्रति व्यक्ति देकर जाते हैं। रिपोर्टर ने जब फर्जी किसान (आंदोलनजीवियों का दलाल) से पूछा कि अगर वो भी आंदोलन में शामिल होता है तो उसका क्या फायदा होगा? इस पर फर्जी किसान ने कहा कि शराब और शबाब, यहाँ दोनों उपलब्ध है।

जी हिंदुस्तान के ऑपरेशन अय्याशजीवी के दौरान वही फर्जी किसान रिपोर्टर को टीकरी बॉर्डर पर गंदे नाले के पास स्थित फैक्ट्रियों में ले गया। वहाँ पर फैक्ट्री के चश्मदीद लोगों ने रिपोर्टर को बताया कि जंगल से लगी दीवार के पास देह व्यापार की ये मंडी बीते 8-10 सालों से चल रही है, लेकिन जब से ये कथित किसान यहाँ आंदोलन के लिए आए हैं तब से इसके रेट काफी बढ़ गए हैं।

टेंट में बिना कपड़ों के पड़े रहते हैं

चश्मदीदों के मुताबिक, यहाँ आने वाले फर्जी किसान अपने लोगों को वीडियो कॉलिंग कर बताते हैं कि वहाँ पर अय्याशी के सारे इंतजाम हैं और वो लोग भी इस कथित किसान आंदोलन में शामिल हो सकते हैं। नग्नता की हद तो ये है कि ये लोग नहाने के बाद टेंट में ऐसे ही नंगे ही रहते हैं। शरीर पर कपड़े के नाम पर कुछ भी नहीं होता।

रिपोर्ट के मुताबिक, टीकरी बॉर्डर पर खुलेआम शराब पीकर लोग झूमते दिखे। एक फर्जी किसान सड़क पर पड़ा दिखा। चश्मदीद ने बताया कि इसने अफीम या डोडापोस्त (इसे भुख्खी भी कहते हैं) खाया हुआ था। ये सभी किराए पर लाए गए फर्जी किसान हैं।

चश्मदीद के मुताबिक, यहाँ किसान आंदोलन के बहाने लोग अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए आते हैं। इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि किस तरह से किसान आंदोलन के नाम पर लोगों को बहकाकर आसपास के राज्यों से यहाँ लाया जाता है। राकेश टिकैत और गुरुनाम सिंह चढूनी जैसे किसान नेताओं की साजिश का पर्दाफाश हो चुका है कि किस तरह से किसान आंदोलन के बहाने ये सरकार और व्यवस्था को चुनौती देने की साजिश रच रहे हैं। यही नहीं, इन्होंने तो यहाँ तक ऐलान कर रखा है कि स्वतंत्रता दिवस पर वो हरियाणा में इस बार नेताओं को तिरंगा तक नहीं फहराने देंगे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया