झारखंड पुलिस कस्टडी में BJP कार्यकर्ता की मौत, बोले परिजन – टॉर्चर कर के मारा: CM सोरेन के क्षेत्र की घटना पर विधानसभा में भी हंगामा

झारखंड के साहिबगंज में देबु तुरी की पुलिस हिरासत में मौत (फोटो साभार: On The Spot 24)

झारखंड के साहिबगंज में देबू तुरी नाम के भाजपा कार्यकर्ता की पुलिस हिरासत में मौत का मामला जोर पकड़ रहा है। तालझारी थाना क्षेत्र में हुई इस घटना को लेकर शुक्रवार (25 फरवरी, 2022) को ग्रामीणों ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क जाम करते हुए स्थानीय थाना प्रभारी के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की। उग्र ग्रामीणों ने थाने पर हमला भी बोला। तोड़फोड़ के बाद पुलिस ने भी बल प्रयोग किया। आँसू गैस के गोले छोड़े गए।

करीब दो घंटे तक पुलिस थाने में यही सब चलता रहा। पुलिस का कहना है कि स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन दो जवान घायल हुए हैं। थाना परिसर में पुलिस के जवान कैंप कर रहे हैं। आधा दर्जन ग्रामीण भी चोटिल हुए हैं। सुरक्षा बल के जवानों को थाना परिसर में कैंप करने के लिए तैनात किया गया है। परिजनों का कहना है कि मौत से 4 दिन पहले पुलिस देबू तुरी को चोरी के आरोप में उठा कर ले गई थी। परिजनों का कहना है कि आरोप कबूल करवाने के लिए उन्हें कड़ी यातनाएँ दी गईं।

कहा जा रहा है कि पुलिस उन्हें घायल अवस्था में लेकर साहिबगंज सदर अस्पताल पहुँची, जहाँ उन्हें मृत घोषित किया गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि होंडा शोरूम में रविवार (20 फरवरी, 2022) को चोरी हो गई थी। पुलिस के अनुसार, रात के समय हुई इस चोरी की घटना में पूछताछ के लिए देबू तुरी को बुलाया गया था और उसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई। जबकि झरना टोला में रहने वाले देबू तुरी के परिजन पुलिस पर पिटाई और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगा रहे हैं।

देबू तुरी के बेटे मोनू का कहना है कि तालझारी पुलिस ने मौत के 4 दिन पहले ही उनके पिता को कस्टडी में ले लिया था। उन्होंने बताया, “पूछताछ के दौरान उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा गया। नियम के अनुसार, उन्हें हिरासत में लेने के 24 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। शव का पोस्टमॉर्टम भी कराया गया, लेकिन परिजनों को इसके रिपोर्ट में भी गड़बड़ी की आशंका है। हालाँकि, मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमॉर्टम किया है।

साहिबगंज पुलिस ने देबू तुरी की हत्या के मामले में जारी किया बयान

मामला इसीलिए भी तूल पकड़ रहा है, क्योंकि साहिबगंज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गृह जिला है। वो यहाँ के बरहेट क्षेत्र से लगातार दूसरी बार विधायक हैं। उन्होंने अपने एक करीबी को विधायक प्रतिनिधि बना रखा है, जो जिले में राजनीति की दशा और दिशा तय करता है। पुलिस की ‘अचानक तबीयत खराब होने’ वाली थ्योरी पर लोग विश्वास नहीं कर रहे हैं। जबकि पुलिस-प्रशासन का कहना है कि ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)’ के निर्देशों का पालन करते हुए कार्यवाही की जा रही है।

वहीं साहिबगंज के ही राजमहल क्षेत्र से विधायक और भाजपा नेता अनंत कुमार ओझा ने इस मामले को झारखंड विधानसभा में भी उठाया। उन्होंने कहा, “पुलिस अभिरक्षा में एक दलित युवक की हत्या कर दी है। मेरी सरकार से माँग है कि इस मामले की उचित जाँच कराई जाए।” परिजनों ने थाना और पुलिस पर ‘घूस खाने’ का आरोप लगाया है। मृतक की पत्नी अनुपमा हेम्ब्रम ने कहा कि पुलिस ने उन्हें धमकी भी थी और पूरे परिवार को उठाने की धमकी दी।

साहिबगंज के पुलिस अधिकारियों पर भी लोग कई आरोप लगा रहे हैं। सब-इंस्पेक्टर रूप तिर्की की संदिग्ध मौत के मामले में भी जिले के पुलिस अधिकारियों पर सवाल उठे थे। मई 2021 के उस मामले को लेकर बताया गया था कि दरोगा बनने का बाद रूप तिर्की जिन 11 मामलों की जाँच कर रही थीं, उनमें से 5 हाई प्रोफ़ाइल केसेज थे। फिर से साहिबगंज में इस तरह का मामला आने के बाद भाजपा भी राज्य की झामुमो सरकार पर उँगली उठा रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया