दिल्ली जल बोर्ड घोटाले का पैसा अधिकारियों और आम आदमी पार्टी को मिला, ईडी ने करोड़ों की संपत्तियाँ की जब्त

ईडी की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार : जागरण)

ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि दिल्ली जल बोर्ड के टेंडर घोटाले में भ्रष्टाचार का पैसा न सिर्फ अधिकारियों की जेबों में गया, बल्कि उसे आम आदमी पार्टी को भी दिया गया, वो भी राजनीतिक चंदे के रूप में। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार (02 अप्रैल 2024) को आप के खिलाफ भ्रष्टाचार के नए आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के एक पूर्व मुख्य अभियंता ने विभाग में अपने सहयोगियों को 2 करोड़ रुपये की रिश्वत राशि ‘हस्तांतरित‘ की थी। वहीं, ईडी ने छापेमारी करके अब तक 8.80 करोड़ रुपए की संपत्तियाँ भी जब्त की हैं।

इस बीच, ईडी द्वारा दायर की गई चार्जशीट का दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लिया है और उसे गुरुवार (04 अप्रैल 2024) के लिए सूचीबद्ध किया है। इसके सात ही कोर्ट ने देवेंदर मित्तल और तेजिंदर पाल सिंह को पेश होने के लिए समन जारी किया है, साथ ही जेल में बंद जगदीश अरोड़ा और अनिल अग्रवाल को पेश करने के लिए प्रोडक्शन वारंट भी किया है।

इस बीच, तत्कालीन मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा और उनकी पत्नी अलका अरोड़ा, इंटीग्रल स्क्रू इंडस्ट्रीज के मालिक अनिल कुमार अग्रवाल की 8.80 करोड़ रुपये की कुल कीमत वाली विभिन्न अचल और चल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। ईडी ने कहा है कि जगदीश अरोड़ा और अन्य के मामले में पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत उप-ठेकेदार और एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (डीजेबी के ठेकेदार) अचल संपत्तियां दिल्ली में स्थित हैं, जिन्हें कुर्क किया गया है।

दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में ईडी अपनी चार्जशीट दायर कर चुकी है। इसमें बताया गया है कि जल बोर्ड के तत्कालीन चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा ने जल बोर्ड के फ्लो मीटर कॉन्ट्रैक्ट को एनकेजी कंपनी को 38 करोड़ रुपए की बढ़ी हुई लागत पर दिए, जबकि, कंपनी तकनीकी पात्रता मानदंडों को भी पूरा नहीं करती थी। ईडी की जाँच में यह भी पता लगा है कि कंपनी ने जाली, नकली और झूठे दस्तावेज जमा करके बीड प्राप्त की थी। जल बोर्ड द्वारा प्राप्त 24 करोड़ रुपए की भुगतान में केवल 14 करोड़ रुपए की अनुबंध कार्य पर खर्च किए गए। बाकी बची राशि को रिश्वत के लिए निकाल लिया गया।

गौरतलब है कि दिल्ली जल बोर्ड मामले में सबसे पहले सीबीआई ने केस दर्ज किया था। इसके बाद इस मामले को आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस को टेकओवर किया था। सीबीआई ने 9 जुलाई 2022 को कई लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन किया और इस सर्च ऑपरेशन में कई महत्वपूर्ण सबूत मिले। इसके ईडी ने 23 जुलाई 2023 को नोएडा, हरियाणा के गुरुग्राम के साथ-साथ केरल, चेन्नई में भी आरोपियों से जुड़े अन्य लोकेशन पर छापेमारी की, जिसमें कई महत्वपूर्ण सबूत मिले।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया