पिता की मौत के बाद 10000 की ‘घर वापसी’ कराने वाला बेटा, चरण पखार आदिवासियों को मूल धर्म में ला रहे: मिलिए प्रबल प्रताप जूदेव से

चरण पखार घर वापसी करवाते प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, बाएँ उनके दिवंगत पिता दिलीप सिंह जूदेव

छत्तीसगढ़ के जशपुर में है- पत्थलगाँव। यहीं के खूँटापानी नाम के गाँव में हाल में ‘वैदिक ज्ञान गंंगा विश्व कल्याण महायज्ञ’ सम्पन्न हुआ है। इसी यज्ञ से कुछ तस्वीरें सामने आईं जिनमें एक युवक लोगों के चरण पखार उनकी हिन्दू धर्म में वापसी करवा रहा था। इस यज्ञ के जरिए 400 परिवारों के करीब 1200 ऐसे लोगों ने घर वापसी की जो ईसाई बन गए थे।

इन तस्वीरों ने देश को बीजेपी के दिग्गज नेता रहे जशपुर राजपरिवार से जुड़े दिलीप सिंह जूदेव की याद दिला दी। वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे जूदेव इसी तरह चरण पखारकर उन आदिवासियों की मूल धर्म में वापसी करवाते थे जो ईसाई मिशनरियों के झाँसे में आ धर्म परिवर्तन कर लेते थे। अगस्त 2013 में उनके निधन के बाद से इस सिलसिले को उनके बेटे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव आगे बढ़ा रहे हैं। प्रबल छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश मंत्री भी हैं।

राजपरिवार से जुड़े होने के बावजूद प्रबल जूदेव अपने पिता की तरह ही लगातार आदिवासी इलाकों में सक्रिय रहते हैं। ऑपइंडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, “पिता जी के दिवंगत होने के बाद से मैं इस कार्य को आगे बढ़ा रहा हूँ। छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में हमलोग 10 हजार से अधिक लोगों की इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए घर वापसी करवा चुके हैं। कोरोना महामारी के कारण बीच में करीब दो साल हमारा यह अभियान रुक गया था। अब फिर से हम इसे गति दे रहे हैं। यह पवित्र काम है। देश निर्माण का काम है। इसे मेरे पिता ने शुरू किया और इससे जुड़कर मैं बहुत गौरवान्वित हूँ।”

भाई दूज के मौके पर ग्रामीण महिलाओं के साथ प्रबल प्रताप जूदेव

छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाकों से धर्मांतरण और ईसाई मिशनरियों के विरोध की खबरें हाल में लगातार आ रही हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर प्रबल कहते हैं, “प्रदेश में खासकर जनजातीय क्षेत्रों में वर्षों से धर्मांतरण हो रहा है। विरोध के बावजूद ईसाई मिशनरियाँ सुधर नहीं रहीं। वे लोभ-लालच देकर, सेवा के नाम पर सौदा कर, हमारे हिंदू-देवी देवताओं का अपमान कर भोले-भाले गरीब लोगों का धर्मांतरण कर रहे हैं। उनका ब्रेनवॉश कर रहे हैं। आखिर यह सब कब तक चलेगा? कभी न कभी आक्रोश तो सामने आएगा ही। लोग अपनी सदियों पुरानी संस्कृति, धरोहर को बचाने के लिए कुछ तो करेंगे ही। यही कारण है कि अब मिशनरियों का लगातार विरोध हो रहा है।”

धर्मांतरण की दो वजह: कॉन्ग्रेस और कोरोना

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मामले बढ़ने की वे दो बड़ी वजह मानते हैं। पहली, कोरोना महामारी। दूसरी, राज्य की सत्ता में कॉन्ग्रेस का होना। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया, “कोरोना महामारी का फायदा उठाकर मिशनरी ने बड़े पैमाने पर लोगों को धर्मांतरित किया है। कॉन्ग्रेस की सरकार होने से भी उन्हें मदद मिल रही। जहाँ भी कॉन्ग्रेस है, मसलन आप पंजाब में ही देखिए सिखों का कितने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ है, इस तरह की गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं। वे इसे उद्योग की तरह चला रहे जिसके लिए फंड इटली से आ रहा है।” प्रबल कहते हैं, “उनकी नीति स्पष्ट है। तुष्टिकरण को बढ़ावा दो। धर्मांतरण होने दो। धर्मांतरित लोगों को वोट बैंक में बदलो और राज करो। यही कारण है कि कॉन्ग्रेस के शासनकाल में पूरे देश में जो हिंदुओं की दुर्दशा हुई है, वैसा कभी नहीं हुआ।”

उल्लेखनीय है कि बाइबिल का हर भाषा में अनुवाद करने के मिशन पर काम कर रही संस्था ‘अनफोल्डिंग वर्ल्ड’ के CEO डेविड रीव्स ने दावा किया था कि कोरोना महामारी के दौरान भारत में चर्चों ने 50,000 गाँवों को गोद लिया। 1 लाख लोगों का ईसाई धर्मांतरण किया गया। हर चर्च को 10 गाँवों में प्रार्थना आयोजित करने को कहा गया था। ‘मिशन न्यूज़ नेटवर्क (MNN) ऑनलाइन’ से बात करते हुए रीव्स ने कहा था कि भारत में महामारी के दौरान उतने चर्चों का निर्माण हुआ, जितने पिछले 25 सालों में हुआ था। उन्होंने कहा था, “लाखों लोग अब जीसस क्राइस्ट पर विश्वास कर रहे हैं और चर्च में प्रार्थना करने के लिए आ रहे हैं।”

ईसाई मिशनरियों के कामकाज करने के तरीके का जिक्र करते हुए प्रबल प्रताप सिंह जूदेव बताते हैं कि सुनियोजित तरीके से मिशनरियों की टीम आदिवासी इलाकों में सक्रिय हैं। वे गरीब परिवारों पर नजर रखते हैं। यह जानने की कोशिश करते हैं किसको क्या समस्या है। फिर उसके समाधान के नाम पर भोले-भाले लोगों का धर्म परिवर्तन करवा देते हैं। कभी ऐसा शिक्षा के नाम पर होता है तो कभी इलाज के नाम पर और कभी किसी और नाम पर। उन्होंने बताया कि मिशनरी अब इन आदिवासियों की पैतृक संपत्ति भी हड़प रहे हैं। बकौल जूदेव उनके पास ऐसी कई शिकायतें आई हैं जिसमें कोरवा लोगों की जमीन तक हड़प ली गई है।

उन्होंने बताया कि हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर मिशनरी के लोग केवल दुष्प्रचार ही नहीं करते। वे ऐसे हर तरीके आजमा रहे हैं जिससे लोगों में गलत धारणा पैदा हो। वे भ्रमित हों ताकि आसानी से उनका ब्रेनवॉश हो सके। वे कहते हैं, “एक बार कोई कन्वर्ट होता है तो उसका भारत माता के प्रति समर्पण पहले जैसा नहीं रह पाता। फिर इसका फायदा उठाया जाता है। असल में यह देश तोड़ने का षड्यंत्र है। लेकिन इसके खिलाफ घर वापसी का काम भी चलता रहेगा।”

गौरतलब है कि ऑपइंडिया के बिहार चुनाव कवरेज के दौरान वहाँ के ग्रामीण इलाकों में भी इस तरह का ट्रेंड देखा था, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं और उनके धर्मग्रंथों को लेकर गुमराह करने वाले दावे कर लोगों का धर्म परिवर्तन किया गया था। हमारे कैमरे पर ही मिशनरी से जुड़ा एक व्यक्ति ऋग्वेद और रामायण को लेकर झूठे दावे करते पकड़ा गया था। आप वह रिपोर्ट नीचे देख सकते हैं;

भाजपा नेता जूदेव के अनुसार छत्तीसगढ़ के जशपुर, सरगुजा जैसे ट्राइबल्स इलाकों में ईसाई मिशनरी ज्यादा ​सक्रिय हैं। वही अंबिकापुर जैसे इलाकों में मुस्लिम कट्टरपंथी भी बढ़ रहे हैं। वे कहते हैं, “हिंदू युवाओं को चाहिए कि वे अपने देश, अपनी संस्कृति, अपने धरोहर को पहचाने। दुनिया की इस सबसे प्राचीन संस्कृति के महत्व को समझें। हिंदुत्व को बचाने के लिए हमें संगठित होना होगा। हिंदू किसी जाति-धर्म का प्रतीक नहीं है। यह राष्ट्रीयता का प्रतीक है। धर्मांतरण का विरोध किसी और मजहब का अपमान नहीं है। लेकिन जब हमारे धर्म पर कोई आक्रमण करेगा तो हमें आत्मरक्षा के लिए खड़ा होना ही होगा। हमें बताना होगा कि न हम कन्वर्ट होंगे, न उन्हें लालच-दवाब देकर किसी को कन्वर्ट करने देंगे।”

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