अब कहीं से भी गृह क्षेत्र में डाल सकेंगे वोट, चुनाव आयोग का रिमोट वोटिंग सिस्टम तैयार: राजनीतिक दलों की सहमति के बाद हो सकेगा इस्तेमाल

ईवीएम (साभार: इंडियन एक्सप्रेस)

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने अपने मतदान क्षेत्र से दूर रहने वाले लोगों को मतदान के लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) नाम से एक रिमोट वोटिंग सिस्टम तैयार किया है। इसकी मदद से किसी दूसरे शहर और राज्य में रहने वाला वोटर अपने विधानसभा या लोकसभा चुनावों में वोट डाल सकेगा। इसके लिए उसे अपने घर नहीं आना पड़ेगा।

चुनाव आयोग ने इसके बारे में गुरुवार (29 दिसंबर 2022) को जानकारी दी। आयोग ने यह भी बताया कि 16 जनवरी 2023 को सभी राजनीतिक दलों को RVM का लाइव डेमोन्स्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है। इसके बाद सभी राजनीतिक दलों से इसको लेकर सुझाव माँगे जाएँगे। इसके बाद इसे लागू करने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगा।

बता दें कि अगले साल 2023 में जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और राजस्थान शामिल हैं। इसके अलावा, साल 2024 में लोकसभा के भी चुनाव होंगे।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि देश के युवा और शहरी मतदाताओं में वोट डालने को लेकर प्रतिबद्धता कम देखी जाती है। इसलिए मतदान में इनकी भागीदारी को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके कारण पढ़ाई-लिखाई और नौकरी के लिए दूसरे शहरों में रहने वाले लोग वोट डाल सकेंगे। एक अनुमान के मुताबिक, देश में 45 करोड़ लोग दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। इसका सेंट्रलाज्ड डेटा मौजूद नहीं है।

चुनाव आयोग ने कहा कि वह गृह क्षेत्र से दूर मतदान सुविधा प्रदान करने वाले बहु-निर्वाचन क्षेत्र रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को प्रायोगिक तौर पर शुरू करने के लिए तैयार है। IIT मद्रास की मदद से बनाई गई ईवीएम का यह संशोधित रूप एक एकल रिमोट पोलिंग बूथ से 72 विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान करा सकता है। 

बता दें कि 1977 में चुनाव आयोग ने हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। संस्थान ने भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड, बेंगलुरु के साथ मिलकर साल 1979 में इसका प्रोटोटाइप विकसित किया। उसके बाद चुनाव आयोग ने 1980 में इसे राजनैतिक दलों के सामने पेश किया।

इसका पहला प्रयोग 1982 में केरल के चुनावों में किया गया था। 1998 में मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में सीमित संख्या में किया गया था। 2001 के बाद सभी विधानसभा चुनावों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में 543 संसदीय क्षेत्रों में मतदान के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था।

EVM के बाद से मतदान करने और वोटों की गिनती की प्रक्रिया आसान हुई है। हालिया दिनों में चुनावों के प्रति युवाओं और शहरी लोगों के घटते रुझान की वजह से लंबे समय से रिमोट इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की आवश्कता महसूस की जा रही थी। अगर इसे लागू कर दिया जाता है तो यह मतदान प्रक्रिया में अहम सुधार होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया