कूच बि​हार में नेताओं की नो एंट्री, सुरक्षा बलों की 71 और कंपनियों को बंगाल भेजने का निर्देश: हिंसा के बाद EC सख्त

कूच बिहार में हिंसा के बाद तैनात सुरक्षाकर्मी (साभार: पीटीआई)

पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने कुछ सख्त कदम उठाए हैं। जिले में अगले 72 घंटों तक किसी भी राजनीतिक दल के नेता के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। एक बूथ पर दोबारा मतदान के आदेश दिए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को सुरक्षा बलों की 71 अतिरिक्त कंपनियों की राज्य में तैनाती के आदेश दिए हैं। रिपोर्टों के मुताबिक 5वें चरण के मतदान से पहले चुनाव प्रचार खत्म होने की समय सीमा 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दी है।

कूच बिहार में चौथे चरण के तहत शनिवार (10 अप्रैल 2021) को वोट पड़े थे। इस दौरान हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में 5 लोगों की मौत हो गई थी। जिले के सीतलकुची विधानसभा क्षेत्र के माथाभांगा ब्लॉक के जोर पाटकी इलाके में भीड़ ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बलों (सीआईएसएफ) की एक टीम पर हमला कर हथियार छीनने का प्रयास किया था।

इसके बाद आत्मरक्षा में सीआईएसएफ की टीम को ओपन फायर के लिए मजबूर होना पड़ा। फायरिंग में चार उपद्रवियों मोनिरुज्जमान, हमीदुल मियाँ, नूर अल्मा मियाँ और समीउल हक की मौत हो गई थी। एक अन्य घटना में उपद्रवियों की फायरिंग में पहली बार वोट डाल रहे अठारह वर्षीय आनंद बर्मन की मौत हो गई थी।

कूच बिहार के एसपी ने अराजक तत्वों के खिलाफ सीआईएसएफ की कार्रवाई को सही बताते हुए कहा था कि 300-350 लोगों की भीड़ ने CISF की टीम पर हमला किया था और हथियार छीनने की कोशिश की। जिसके बाद टीम उपद्रवियों पर गोली चलाने के लिए मजबूर हो गई। अधिकारी ने बताया था, “दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई और स्थानीय लोगों ने सीआईएसएफ का घेराव कर राइफल छीनने की कोशिश की, जिसके बाद सेंट्रल फोर्स ने ओपन फायरिंग की।”

इस घटना के बाद मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कूच बिहार जाने का ऐलान किया था। कानून-व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ने की किसी भी आशंका से बचने के लिए चुनाव आयोग ने कूच बिहार जिले में अगले 72 घंटों तक नेताओं के प्रवेश पर रोक लगाई है। आयोग ने कहा है, “निर्वाचन आयोग निर्देश देता है कि 5वें चरण (17 अप्रैल) के लिए चुनाव प्रचार नहीं होने की अवधि को बढ़ाकर 72 घंटे किया जाएगा। मतदान से 72 घंटे पहले प्रचार की इजाजत नहीं दी जाएगी जिससे स्वतंत्र, निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित हो सके।”

साथ ही चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पश्चिम बंगाल के शेष चार चरणों के चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से करवाने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की 71 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात करने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराने के लिए अब तक 1,000 कंपनियों की तैनाती हो चुकी है। नई 71 कंपनियों में बीएसएफ (33), आईटीबीपी (13), सीआरपीएफ (12), एसएसबी (9) और सीआईएसएफ (4) से लिया गया है।

कूच बिहार की हिंसा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कल सिलीगुड़ी की रैली में जिक्र किया था। उन्होंने ममता बनर्जी पर ‘केंद्रीय बलों के खिलाफ लोगों को उकसाने’ का आरोप लगाया था। साथ ही चुनाव आयोग से हिंसा के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मॉंग की थी। दूसरी ओर, तृणमूल कॉन्ग्रेस ने इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जिम्मेदार बताया था। पार्टी ने कहा था कि केंद्रीय बलों ने शाह के इशारे पर हमला किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया