कमलनाथ के राज में किसानों का बुरा हाल: मुआवजा न मिलने पर एक और किसान ने की आत्महत्या

दिल्ली बॉर्डर पर किसान ने की आत्महत्या (सांकेतिक तस्वीर)

देश भर में किसानों की बदहाली को मुद्दा बनाकर राजनीति करने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा शासित राज्य से किसान की आत्महत्या की घटना सामने आई है। कमलनाथ के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश में सत्ता पाते ही किसानों के लिए मुआवज़े की घोषणा की थी जिसके बाद दावा यह किया जा रहा था कि राज्य में किसानों की समस्याओं से निजात पा ली जाएगी। मगर ज़मीनी हालत कुछ और ही हैं, मध्यप्रदेश सरकार से फसल बर्बाद होने का मुआवजा न मिलने के चलते एक किसान ने ज़हर पीकर आत्महत्या कर ली।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आत्महत्या करने वाले कमल चंद ग्वाल राज्य के बीना शहर में किसानी करते थे और इस बार अपनी सोयाबीन की फसल बर्बाद होने के बाद से काफी परेशान थे। इसी के बाद कमलचंद ने रविवार को ज़हर का घूँट पी लिया जिसके बाद हालात बिगड़ते चले गए और सोमवार को उनकी मौत हो गई। भाजपा के एक स्थानीय नेता महेंद्र राय ने बताया कि ग्वाल ने ख़ुदकुशी इसलिए की क्योंकि उसे समय पर अपनी बर्बाद हुई फसल का मुआवजा नहीं मिल सका। राय ने बताया, “ग्वाल ने इस साल भारी बारिश के चलते बर्बाद हुई अपनी फसल के मुआवज़े के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई थी, मगर मुआवजा मिलने में देरी होने के चलते उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।”

बता दें कि इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों ने बीना में मृतक किसान का शव चौराहे पर रखकर उसके परिवार वालों की प्रशासनिक मदद लिए की माँग करते हुए प्रदर्शन किया। एसडीएम केएल मीणा द्वारा उनकी इस माँग पर आश्वासन देने के बाद जाकर यह प्रदर्शन ख़त्म हुआ।

बता दें कि मध्य प्रदेश की सत्ता में कॉन्ग्रेस पार्टी के आने के बाद से ही किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला बढ गया है। क़र्ज़ माफ़ी के वादे पर चुनाव जीतकर ‘जय किसान ऋण मुक्ति योजना’ वाली कमलनाथ सरकार इस मोर्चे पर पूरी तरह नाकामयाब साबित हुई है। सत्ता में आने के बाद कमलनाथ ने क़र्ज़ माफ़ी जैसे अपने पुराने वादों से खुदको बड़ी चतुराई से अलग कर लिया।

क़र्ज़ माफ़ी के झूठे वादे करने के बाद राज्य सरकार ने किसानों की आत्महत्याओं के आंकड़े में एक और योगदान दे दिया है। बता दें कि जनवरी में कमलनाथ की सरकार ने किसानों का 120 करोड़ रूपए का क़र्ज़ माफ़ करने का दावा किया था जो फर्जी था। इसका लाभ किसी भी किसान को इसका लाभ नहीं मिल सका था मगर राज्य सरकार ने किसानों की क़र्ज़ माफ़ी को लेकर अपनी पीठ खुद ही थपथपा ली थी। मध्य प्रदेश सरकार की इन्ही झूठ बोलने वाली हरकतों के चलते उनके राज्य में अधिकतर किसान और खेती से जुड़े लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो गए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया