ISI के सरगनाओं से मिला था गौतम नवलखा, सरकार के खिलाफ बुद्धिजीवियों को गोलबंद करने का दिया गया था टास्क

गौतम नवलखा हिंसक माओवादी संगठन के लिए कैडर की भर्ती करता था

तथाकथित एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को NIA ने भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उसके बारे में खुलासा हुआ है कि अर्बन नक्सली गौतम नवलखा अमेरिका में अपने एक कॉमन फ्रेंड के जरिए पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के सरगनाओं से मिला था। शुक्रवार (अक्टूबर 9, 2020) को NIA ने अपनी मुंबई स्थित स्पेशल कोर्ट में 8 अर्बन नक्सलियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

10,000 पेज के दस्तावेज में इसके पूरे डिटेल्स हैं कि कैसे इन सभी ने भीमा-कोरेगाँव में जाति आधारित हिंसा भड़काई। NIA के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी IANS को बताया, “अमेरिका में ISI ने गौतम नवलखा से संपर्क किया था, ताकि वो पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी को भारत में बेहतर जासूस मुहैया करा सके।” हालाँकि, ये किस वर्ष में हुआ, इस बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बताया गया है।

हालाँकि, NIA की चार्जशीट में इतना ज़रूर बताया गया है कि गौतम नवलखा लगातार ISI के संपर्क में था और उसे भारत में सरकार के खिलाफ तथाकथित बुद्धिजीवियों को गोलबंद करने का कार्य सौंपा गया था। गौतम नवलखा को कुछ फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी में भी शामिल किया गया था और साथ ही वो हिंसक नक्सली संगठन CPI (माओवादी) की गुरिल्ला गतिविधियों के लिए कैडर की भर्ती करने में लगा हुआ था।

गोवा में रहने वाले मिलिंद तेलतुंबे के बारे में भी बताया गया है कि वो ‘भीमा-कोरेगाँव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान’ का संयोजक था और दिसंबर 31, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में उपस्थित था, जहाँ ‘एल्गार परिषद’ के कार्यक्रमों को आयोजित किया गया था। उसने माओवादी संगठनों के साथ मिल कर फंडिंग जुटाने में खासी सक्रियता दिखाई। गौतम नवलखा को अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था। NIA जनवरी में ही इस मामले में केस दर्ज किया था।

इस पूरी हिंसा के मामले में ये पता चला है कि एल्गार परिषद के लोग प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लगातार संपर्क में थे और उन्हें गैर-क़ानूनी गतिविधियों के लिए फंडिंग दी गई थी। इस मामले में नवम्बर 2018 में पुणे पुलिस ने चार्जशीट दायर की थी। साथ ही फ़रवरी 2019 में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई। गौतम नवलखा से अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी-कश्मीरी आतंकी सैयद गुलाम नबी फाई से उसके संपर्कों को लेकर भी पूछताछ हुई थी, जिसे FBI ने धर-दबोचा था।

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फाई के ‘कश्मीरी अमेरिका काउंसिल (KAC)’ के लिए कार्यक्रम आयोजित करने हेतु गौतम नवलखा ने कई बार अमेरिका की यात्रा की थी। ये सभी अर्बन नक्सली सरकार को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुँचाना चाहते थे। ये सभी एक बड़ी सुनियोजित साजिश के तहत काम कर रहे थे। गौतम नवलखा के खिलाफ ‘मटेरियल एविडेंस’ भी कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं। भीमा-कोरेगाँव मामले में कुछ और बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है।

अमेरिकी अटॉर्नी नील मैकब्राइड के अनुसार, गुलाम नबी फई पाकिस्तानी खुफिया विभाग के लिए एक अग्रिम मोर्च के रूप में काम करता था और कश्मीर पर ISI के प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देता था। इससे पहले फई ने स्वीकार किया था कि उसे पाकिस्तान की सरकार की तरफ से फंडिंग मिलती है। नवलखा गुलाम नबी फई के समर्थन में खड़ा था और उसकी गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थन में एफबीआई को भी खत लिखा था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया