Tuesday, April 16, 2024
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NIA ने गौतम नवलखा से ISI एजेंट फई से लिंक को लेकर की पूछताछ: पत्रकार बावेजा सहित कई ‘बुद्धिजीवियों’ ने इवेंट में लिया था हिस्सा

भीमा-कोरेगाँव हिंसा का आरोपित अर्बन नक्सली गौतम नवलखा फिलहाल राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की हिरासत में है। गौतम नवलखा ने कश्मीर ने आतंकी गतिविधि को बढ़ावा देने के साथ ही भारत विरोधी भावनाओं का भी प्रसार किया। जिसके बाद NIA ने उसके खिलाफ पाकिस्तान के साथ संबंध होने की बात कही थी।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने अर्बन नक्सली गौतम नवलखा से सईद गुलाम नबी फई से लिंक को लेकर पूछताछ की। फई कुख्यात अपराधी और संयुक्त राज्य अमेरिका में आईएसआई का एजेंट है। बता दें कि गुलाम नबी फई कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और कश्मीर की आजादी के लिए प्रोपेगेंडा फैलाने में सबसे आगे रहा है।

भीमा-कोरेगाँव हिंसा का आरोपित अर्बन नक्सली गौतम नवलखा फिलहाल राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की हिरासत में है। गौतम नवलखा ने कश्मीर ने आतंकी गतिविधि को बढ़ावा देने के साथ ही भारत विरोधी भावनाओं का भी प्रसार किया। जिसके बाद NIA ने उसके खिलाफ पाकिस्तान के साथ संबंध होने की बात कही थी।

हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक यूएस अटॉर्नी नील एच मैकब्राइड के 2011 के हलफनामे का हवाला देते हुए, एनआईए ने गौतम नवलखा से पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के उच्च-स्तरीय अधिकारियों के साथ उसकी मुलाकात के बारे में पूछताछ की, जिसे खुद गुलाम नबी फई पोषित करता है।

अमेरिकी अटॉर्नी नील मैकब्राइड के अनुसार, गुलाम नबी फई पाकिस्तानी खुफिया विभाग के लिए एक अग्रिम मोर्च के रूप में काम करता है और कश्मीर पर ISI के प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देता है। इससे पहले फई ने स्वीकार किया था कि उसे पाकिस्तान की सरकार की तरफ से फंडिंग मिलती है।

इसके अलावा एनआईए गौतम नवलखा के लगातार संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्राओं की भी जाँच कर रहा है, जहाँ वह गुलाम नबी फई की कश्मीरी अमेरिकन परिषद (KAC) द्वारा आयोजित कश्मीर पर भारत विरोधी सेमिनार में भाग लेने के लिए जाया करता था।

फई के संगठन- ‘कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल (KAC)’ को भारत के खिलाफ कश्मीर के बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति को गलत तरीके से प्रभावित करने के लिए पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी, ISI द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।

एनआईए अधिकारियों के अनुसार, एजेंसी को यह भी पता चला है कि नवलखा गुलाम नबी फई के समर्थन में खड़ा था और उसकी गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थन में एफबीआई को भी खत लिखा था।

हरिंदर बावेजा, वेद भसीन, जस्टिस सच्चर ने भी इवेंट में लिया था हिस्सा

बता दें कि सिर्फ गौतम नवलखा ने ही नहीं, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर, हिंदुस्तान टाइम्स के ‘पत्रकार’ हरिंदर बावेजा और कश्मीर टाइम्स के एडिटर इन चीफ वेद भसीन ने भी 2010 में कश्मीरी अमेरिकन परिषद के सम्मेलन में भाग लिया था

गुलाम नबी फई द्वारा आयोजित सम्मेलनों में भारत विरोध बहुत स्पष्ट था और भारत के पत्रकारों, बुद्धिजीवियों ने अक्सर भारत को कश्मीर में एक दमनकारी शक्ति के रूप में चित्रित किया है।

2010 में आयोजित इसके एक सम्मेलन में अपनाए गए एक प्रस्ताव में कहा गया था कि प्रतिभागियों ने “सर्वसम्मति से” कश्मीर में बिगड़ते मानव अधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और भारत सरकार को नागरिक क्षेत्रों से सेना को वापस लेने के लिए बाध्य किया। इसने पारदर्शी तरीके से निष्पक्ष हत्याओं की जाँच करने की भी माँग की थी। इस सम्मेलन में गौतम नवलखा, हरिंदर बावेजा सहित अन्य भारतीय बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया था।

कौन है गुलाम नबी फई?

गुलाम नबी फई अमेरिका में रहने वाला पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी अलगाववादी है जिसे FBI ने 2011 में गिरफ्तार किया था और फिर दो साल की जेल काटनी पड़ी थी।

फई को पाकिस्तानी खुफिया नेटवर्क इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में कश्मीरी स्वतंत्रता की पैरवी करने के लिए दोषी ठहराया गया था।

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और एफबीआई के दस्तावेजों के मुताबिक, 2011 में गिरफ्तार किए गए फई को आईएसआई और पाकिस्तान सरकार से 1990 से 35 लाख डॉलर (26 करोड़ रुपए) मिल चुके थे। 7 दिसंबर 2011 को एक शपथपत्र वर्जिनिया कोर्ट में दाखिल करके मैकब्राइड ने कहा, ”पिछले 20 सालों से मिस्टर फई ने पाकिस्तानी इंटलिजेंस से लाखों डॉलर लिए और अमेरिकी सरकार से झूठ बोला।”

इसमें आगे कहा गया है कि पेड ऑपरेटिव के तौर पर वह अमेरिका के निर्वाचित अधिकारियों से भी मिला, हाई-प्रोफाइल कॉन्फ्रेंस को फंड किया और वॉशिंटन में नीति निर्माताओं के सामने कश्मीरी मुद्दे को उछाला। सभी आरोपों में दोषी पाए जाने के बाद फई को 2012 में दो साल की सजा सुनाई गई और बाहर आने के बाद 3 साल तक निगरानी की गई। 

गुलाम नबी फई को संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत विरोधी कश्मीरी लॉबी का सार्वजनिक चेहरा माना जाता है। उसने कश्मीर के मुद्दे पर भारत सरकार के खिलाफ लॉबिंग करने के लिए हाई-प्रोफाइल इवेंट आयोजित किए हैं। कथित तौर पर, फई की कई गतिविधियों का पैसा आईएसआई से आया था। पाकिस्तानी सरकार उसे प्रति वर्ष $ 500,000 से $ 700,000 का भुगतान कर रही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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