मिशनरी स्कूल ने लड़कियों के उतरवाए लेगिंग्स, कहा – ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं

(सांकेतिक चित्र)

पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले में एक मिशनरी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की जबरन लेगिंग्स उतरवाने का मामला सामने आया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि लेगिंग्स का रंग स्कूल की ड्रेस से मेल नहीं खाता था। यह घटना सोमवार (18 नवंबर) की है, लेकिन मामला सामने तब आया जब अगले दिन मंगलवार को छात्राओं के माता-पिता ने इस घटना के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि वह अपने बच्चों को ठंड से बचाने के लिए लेगिंग्स पहनाते हैं, ऐसे में स्कूल का ऐसा करना बेहद शर्मनाक है। बता दें कि यह स्कूल बोलपुर में स्थित है, जहाँ का तापमान काफ़ी कम रहता है।

आश्चर्य तो इस बात पर है कि इस शर्मनाक घटना की माफ़ी माँगने की बजाय स्कूल प्रशासन ने तर्क दिया कि कई बार माता-पिता को कहा गया था कि लेगिंग्स स्कूल ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं है। स्कूल की प्रधानाचार्या अर्चना फ़र्नांडिज ने इस बात का बचाव करते हुए कहा कि यह घटना छात्राओं को अपनी लेगिंग्स उतारने के लिए मज़बूर करने की घटना नहीं थी, बल्कि “छात्राओं को केवल लेगिंग्स देने को कहा था क्योंकि वे स्कूल की वर्दी से मेल नहीं खा रही थी।”

ख़बर के अनुसार, स्कूल के एक वरिष्ठ शिक्षक, जहीर अली मोंडल ने मीडियाकर्मियों से कहा,

“कुछ स्टूडेंट्स ने लेगिंग्स पहनी हुई थी। हमारे स्कूल में एक ड्रेस कोड है और कुछ स्टूडेंट्स ने ऐसे कपड़े पहने जो स्कूल ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हैं। लेकिन किसी को भी अपनी लेगिंग्स उतारने के लिए मजबूर नहीं किया गया। हमने बच्चों से कहा है कि वे इन लेगिंग्स को दोबारा न पहनें।”

वहीं, कुछ अभिभावकों ने शिक़ायत की है कि उनके बच्चों ने लेगिंग्स के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था और स्कूल ने उन्हें शर्मिंदा करने का काम किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सोमवार को पाँच से नौ वर्ष की बच्चियाँ सुबह ठंड होने के कारण लेगिंग्स पहनकर स्कूल गईं थी, लेकिन प्रधानाचार्या और अन्य शिक्षकों ने उनकी ड्रेस से मेल न खाने के कारण लेगिंग्स उतरवा दी। इस घटना पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए अभिभावकों ने स्कूल के ख़िलाफ़ शांतिनिकेतन पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया।

सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर रोष प्रकट किया जा रहा है।

https://twitter.com/Kannadanammamma/status/1197263490483814401?ref_src=twsrc%5Etfw

पश्चिम बंगाल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (WBCPCR) की अध्यक्ष अनन्या चटर्जी चक्रवर्ती ने कहा, “हमने स्कूल को लिखा है और स्पष्टीकरण माँगा है।” वहीं, स्कूल की एक अध्यापिका का कहना है,

“माता-पिता को पहले कई बार चेतावनी दी गई थी जब बच्चे ऐसे कपड़े पहन रहे थे, जो हमारे ड्रेस कोड में नहीं है। लेकिन बच्चों के कपड़े उतारने के जो आरोप लगाए गए, वह ग़लत हैं। मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि माता-पिता अभी भी क्यों विरोध कर रहे हैं।”

जानकारी के अनुसार, बोलपुर के पुलिस अधिकारी अभिषेक रॉय ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें अभिभावकों की ओर से शिक़ायत मिली है। इस सन्दर्भ में वो माता-पिता और अध्यापक दोनों से बात करेंगे। एक बच्ची के पिता का कहना है, “मैं अपनी बच्ची को उसकी लेगिंग्स के बिना स्कूल से बाहर आते हुए देखकर चौंक गया। उसके पास अंडरवियर नहीं था। यह अपमानजनक है। हेड मिस्ट्रेस को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।”

पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ने इस घटना के सन्दर्भ में कहा, “हमने कथित घटना को गंभीरता से लिया है।” इसके अलावा, ज़िला शिक्षा विभाग से भी स्कूल अधिकारियों से इस पर रिपोर्ट माँगने को कहा है। चटर्जी ने कहा, “रिपोर्ट मिलने के बाद मैं सुनिश्चित करूँगा कि उचित कार्रवाई की जाए। हम आईसीएसई बोर्ड से भी इस संबंध में बात करेंगे।”

शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को देखेगी, क्योंकि निजी स्कूल उनके दायरे में नहीं आते हैं। शिक्षाविद् पाबित्रा सरकार ने कहा, “अगर इस तरह की घटना हुई है, तो इसका बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ेगा।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया