NH के बीच आने वाले धार्मिक स्थलों को बचाने से केरल HC का इनकार, निजी मस्जिद बचाने के लिए राज्य सरकार ने दी सलाह

केरल हाईकोर्ट ने NH के बीच में आने वाले धार्मिक स्थलों को बचाने से किया इनकार (फाइल फोटो)

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार (23 जुलाई, 2021) को उस याचिका को रद्द कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ियों की बात की गई थी और उच्च-न्यायालय से इसमें हस्तक्षेप की माँग की गई थी। कोल्लम में NH-66 के निर्माण कार्य के बीच में धार्मिक स्थलों के आ जाने के कारण इस याचिका में उन्हें बचाने की माँग की गई थी, लेकिन केरल हाईकोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में न्यायालय को समीक्षा की अनुमति नहीं है, इसीलिए राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के कार्य में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने अपने फैसले में कहा कि अगर राजमार्ग के निर्माण कार्य से धार्मिक स्थल प्रभावित होते हैं तो भगवान हमें माफ़ कर देंगे। याचिकाकर्ता की मुख्य शिकायत ये थी कि इस मामले में राज्य सरकार के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है।

बताया गया है कि सड़क के बाईं ओर दो मंदिर और एक मस्जिद है, लेकिन सड़क के दाईं ओर दिखाई गई मस्जिद एक निजी मस्जिद है। केरल की सरकार ने इस निजी मस्जिद को बचाने के लिए अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए चौड़ीकरण की प्रक्रिया में बदलाव का सलाह दिया। इससे सड़क के बाईं ओर जहाँ दो मंदिर और एक मस्जिद स्थित है, अब राजमार्ग का निर्माण करू फ़ैल कर वहाँ आ गया है।

हालाँकि, केरल की सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारियों का कहना था कि याचिकाकर्ता ने जैसा बताया वैसा कुछ भी नहीं हुआ है और स्थान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। साथ ही दावा किया कि सड़क निर्माण के लिए माप, डिजाइन और आसपास के धार्मिक स्थलों को बचाने के लिए नियम का पालन किया गया है। याचिकाकर्ता का पूछना था कि क्या मौजूदा बदलाव ठीक है?

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केरल हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ एक वैध और प्रोफेशनल संस्था है, जो राजमार्गों के निर्माण से लेकर उनके प्रबंधन तक के कार्यों में विशेषज्ञता रखता है। NHAI ने कहा कि वो याचिकाकर्ता के सुझावों को मानने की स्थिति में नहीं है। केरल हाईकोर्ट ने भी पाया कि कुछ भी दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं किया गया है। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण के लिए कुछ भी छोड़ने की ज़रूरत नहीं है।

केरल हाईकोर्ट ने कहा, “सर्वशक्तिमान ईश्वर सर्वव्यापी है। वह पृथ्वी पर, आकाश में, खम्भों में और युद्ध के मैदान में – हर जगह है। वह दयालुता का ही एक रूप है और दया के प्रकाश के रूप में सभी के दिलों में निवास करता है। राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास के लिए यदि धार्मिक संस्थान प्रभावित होते हैं, तो ईश्वर हमें क्षमा करेंगे। परमेश्वर याचिकाकर्ताओं, अधिकारियों और इस निर्णय के लेखक की भी रक्षा करेंगे। भगवान हमारे साथ रहेंगे।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया