हाल ही में संपन्न हुए एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारतीय धावक गोमती मारीमुथु ने 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। ESPN की ख़बर के अनुसार, चेन्नई लौटने पर, 30 वर्षीय ने मारीमुथु ने अपने पिता को याद करते हुए उन्हें भावनात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की।
30 वर्षीय मारीमुथु ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए दौड़ में 2.02.70 का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “जब मैं खेल रही थी, उस समय मेरे पिता को पैर की बीमारी थी, और वह चलने में असमर्थ थे। उनके पास एक दोपहिया वाहन (एक TVS XL moped) था, और यह हमारे लिए एक बड़ी बात थी। हमारे पास शहर जाने के लिए बस की अच्छी सुविधा नहीं थी, मेरे शहर में बिजली नहीं थी, और सड़कें भी अच्छी नहीं थीं।”
गोल्ड मेडलिस्ट गोमती मारीमुथु ने ज़िंदगी में विषम परिस्थितियों से जूझकर सफलता की ये सीढ़ियाँ चढ़ी हैं। उनके इस जज़्बे को दुनिया सलाम करती है।
मारीमुथु ने अपने दिवंगत पिता के बलिदानों को याद करते हुए उनके महत्वपूर्ण योगदान के बारे में भी बताया, जिसमें हर सुबह चार बजे जागने से लेकर बीमारी के दौरान उनकी माँ की देखभाल करना तक शामिल है। उन्होंने कहा, “मुझे अपने पिता की याद आती है। चूँकि मैं खेलों में थी और हमारे पास ज़्यादा भोजन नहीं था, उन्होंने उस भोजन में से मेरे लिए पहले ही रख दिया था और ख़ुद उन्होंने मवेशियों का चारा खाया था।” उन्होंने बताया कि वो अपने पिता को भगवान की तरह मानती हैं।