खरगोन में जहाँ दंगाइयों ने जलाए थे हिंदुओं के घर-दुकान, अब वहाँ ‘सुरक्षा दीवार’: मीडिया बता रहा ‘नफरत की दीवार’, क्योंकि मुस्लिमों को नहीं आ रहा रास

मध्य प्रदेश के खरगोन में सुरक्षा अवरोधों को बताया जा रहा नफरत की दीवार

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले (Khargone, Madhya Pradesh) में 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी (Ram navami) की शोभा यात्रा पर उन्मादी भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले के बाद हिंसक भीड़ ने न सिर्फ पथराव और आगजनी की थी, बल्कि पुलिस अधीक्षक (SP) को भी गोली मारकर घायल कर दिया था।

हिंसा के बाद हमलावरों की धर-पकड़ शुरू हुई और प्रशासन ने आगे ऐसा न हो इसके लिए कुछ कदम उठाए। उन्हीं कदमों में से एक कदम कुछ हिस्सों में बैरिकेड और जालियाँ लगाना शामिल हैं। हालाँकि, सुरक्षा की दृष्टि से उठाए गए इन प्रशासनिक कदमों को लेकर कई मीडिया संस्थानों ने एजेंडा चलाना शुरू कर दिया।

एजेंडा मीडिया ने दिया अलग एंगल

प्रशासन के इस कदम के कुछ ही समय बाद इस पूरे मामले को एक अलग रंग देने की कोशिश की जाने लगी। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने इसे भारत-पाकिस्तान के बँटवारे से जोड़ दिया। ‘दैनिक भास्कर’ ने ‘शांति के लिए नफरत की दीवार’ जैसा शीर्षक दिया। ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने बैरिकेड से झाँकते बच्चे की इमोशनल फोटो के साथ खबर लगाई। ‘द क्विंट’ ने दीवार पर शांति का हवाला देते हुए सवाल खड़ा किया। ‘टू सर्किल’ ने ‘मुस्लिमों को कैदी’ जैसा बताया

मीडिया कवरेज

दीवार से हम सुरक्षित हो गए

खरगोन के हिंसा प्रभावित मोहल्ले भटवाड़ी के रहने वाले आशीष पंडित ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया, “मैं सेकेंड हैंड 2 पहिया गाड़ियों को खरीदने-बेचने का काम करता हूँ। मेरे घर पर पत्थरों और पेट्रोल बम से हमला हुआ था। मेरे चाचा कैलाश पंडित की दुकान को लूटकर जला दिया गया था। जो बीच में अवरोध (बैरिकेड) बनाया गया है, वो बहुत अच्छा काम हो रहा है। जिस रास्ते को रोका गया है उसी रास्ते से हमलावर एक बार नहीं, बल्कि कई बार आए थे। संकरी गलियों से वो आते हैं और फिर उधर से ही निकल जाते हैं।”

पहले भी हुआ है उन रास्तों का हिंसा में इस्तेमाल

आशीष ने बताया, “कुछ सालों से हमारी तरफ हिंसक घटनाएँ बढ़ गई थीं। 2018 के दशहरे और 2014 में भी हिंसा की घटनाएँ हुई थीं। उस समय उन्हीं गलियों का इस्तेमाल हुआ था, जहाँ अब बैरिकेड लगाए गए हैं। पथराव तो 2-4 बार पहले भी हुआ है। हमारा इलाका पूरा बॉर्डर इलाका माना जा सकता है। उस तरफ पूरा मुस्लिम बहुल क्षेत्र है।”

बैरिकेड का मतलब रास्ता रोकना नहीं

आशीष ने बताया, “जो बैरिकेड लगने को रास्ता रोक देना प्रचारित कर रहे हैं वो ये जान लें कि किसी का रास्ता नहीं रोका गया है। लोगों के आने और जाने के लिए अभी भी और कई रास्ते खुले हुए हैं। मेरे मोहल्ले में 2 जगहों पर बैरिकेड लगाए गए हैं, लेकिन किसी के भी निकलने का रास्ता नहीं रोका गया है। कई कनेक्टिंग रास्ते और भी हैं।”

जो घरों पर पत्थर मारे उनसे खरीदारी कैसे करें

आशीष ने आगे बताया, “जिस आटा चक्की वाले की खबर कई मीडिया वालों ने चलाई है वो तालाब चौक में मस्जिद के पास वाला हो सकता है। उसकी चक्की अभी भी चल रही है। ये सच है कि अब उसके यहाँ आटा पिसवाने हिन्दू कम जा रहे हैं। कोई भी खुद के घरों पर पत्थर मारने वाले से काम कैसे करवाएगा? इसके लिए कोई किसी को उकसा नहीं रहा, बल्कि लोग खुद ही झेल कर ऐसा कर रहे।”

जो गली बंद हुई वहीं से आकर मेरी दुकान लूटी और आग लगा दी

भटवाड़ी मोहल्ले में कौशिकी किराना की दुकान चलाने वाले कैलाश ने ऑपइंडिया से बात की। उन्होंने बताया, “प्रशासन ने जिस गली में बैरिकेड लगाया है वो काफी संकरी है। वहाँ से लगभग 150 की संख्या में भीड़ ने आकर मेरी दुकान लूट ली और जो बचा उसमें आग लगा दी थी। लोग डर से दुबक कर सब देखते रहे। उन्हें पुलिस के आँसू गैस से भगाना पड़ा था। तब तक लगभग 7 लाख रुपए का नुकसान हो चुका था। मुझे 2 लाख रुपए सरकार ने मुआवजा दिया है। यहाँ गेट लगना सुरक्षा की दृष्टि से बहुत सही है। भीड़ इसी राह से हथियार लेकर हमला करती है। बैरिकेड लगने से इतनी बड़ी संख्या में भीड़ अब नहीं आ पाएगी।”

ये तो बस बहाना है बाकी आने जाने के कई और रास्ते हैं

हिंसा पीड़ित कैलाश ने आगे कहा, “ये तो बस बहाना है। आने और जाने के कई रास्ते हैं। हालाँकि ये सरकार का लुकआउट है। जब हिंसा हुई थी तब पुलिस दिन और रात ड्यूटी पर रहती थी, लेकिन फ़िलहाल अब बैरिकेड पर पुलिसकर्मी तैनात नहीं होते। अब गेट लगने से अचानक उपद्रव थोड़ा कंट्रोल में रहेगा, क्योंकि भीड़ अचानक नहीं आ पाएगी। यहाँ भीड़ ने 3 हिन्दुओं के घर जला दिए थे।”

बैरिकेड लगा तो फिर से खोली दुकान

हिंसक भीड़ ने राजेश उर्फ़ राजू पाल की टेलरिंग शॉप को आग लगा दी थी। दुकान मालिक राजू ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा, “मेरी एन टेलर्स के नाम से दुकान थी, जिसमें लगभग 25 लाख रुपए का माल जलाकर राख कर दिया गया था। मुझे 2 लाख रुपए सरकार ने मुआवजा दिया है। अब सुरक्षा की दृष्टि से गेट लगाए गए हैं, जो बहुत जरूरी थे। अब छोटे बच्चे भले ही इसे पार कर के आ जाएँ पर भीड़ अचानक ही नहीं आ पाएगी। तब से अपनी खुद की जली दुकान के बदले दूसरी दुकान को किराए पर लेकर फिर से काम खड़ा करने की कोशिश कर रहा। अगर कोई इस बैरिकेड को गलत बता रहा तो ये बात सही नहीं है। ये हमारी सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।”

राजू पाल की दुकान जलाने के आरोपित

दोबारा दुकान खोलने के बाद फिर मिली धमकी

राजू पाल ने आगे बताया, “जब मैंने दुबारा अपनी दुकान खोली तब लगभग एक दर्जन मुस्लिम मुझे धमकाने आए। वो मेरी दुकान में आगजनी के बाद मेरे द्वारा कुछ लोगों को नामजद करने से नाराज थे। उन्होंने मुझे केस से मुस्लिमों के नाम वापस लेने की धमकी दी और कहा कि अगर मैं ऐसा नहीं करूँगा तो मेरी दुबारा खोली दुकान भी ज्यादा दिन नहीं चलने वाली। मैंने इस घटना की भी शिकायत पुलिस में की है। मेरी दुकान जलाने वाले उसी राह से आए थे, जहाँ अब बैरिकेड लगा है। हालाँकि, उस तरफ रहने वालों के आने-जाने के और भी रास्ते हैं।”

राजू पाल की जली दुकान

दीवार का विरोध सिर्फ मुस्लिम कर रहे

ऑपइंडिया से बात करते हुए लोकेन्द्र सेन ने कहा, “हिंसा के दौरान पथराव में मेरा छोटा भाई पवन सेन घायल हुआ था। अभी तक वो ठीक से चल नहीं पाता। वह जमींदार मोहल्ले में रहता है। वहाँ भी प्रशासन ने लोहे की जाली लगाई है। इसका विरोध सिर्फ मुस्लिम ही कर रहा होगा। हिन्दू तो अपनी सुरक्षा चाहता है। हिन्दू समाज प्रशासन के कदम से खुद को काफी सुरक्षित महसूस कर है है। जहाँ जाली लगी है, वहीं से हमलावर घुसकर हमला करते थे। यहीं पर शिवम नाम के लड़के को बुरी तरह मारा गया था। लेकिन, अब शायद ऐसा न कर पाएँ।”

पहले से चिह्नित थे हिंसा में प्रयोग होने वाले रास्ते

विश्व हिन्दू परिषद के खरगोन जिला महामंत्री विवेक सिंह ने ऑपइंडिया से कहा, “कुछ ख़ास रास्ते पहले से ही चिह्नित किए गए थे, जहाँ से भीड़ आकर हिंसा करके भाग जाती थी। ऐसे गिने-चुने रास्ते ही बंद किए गए हैं, न कि किसी को पैक कर दिया गया है। इस घटना से पहले भी पथराव करने वाले इन्हीं रास्तों का प्रयोग करते रहे थे। हिंसा के पीड़ित हिन्दुओं से पूछा जाए कि वो दीवार से संतुष्ट हैं या नहीं। अवरोधक हिन्दू समाज के पीड़ित लोगों की माँग पर बनाए गए हैं।”

भाजपा नेताओं ने भी बैरिकेड को जरूरी बताया

खरगोन के भाजपा नेता अनूप गोस्वामी और भाजपा से वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ रहे जिग्नेश पटेल ने भी बैरिकेड को लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया। इन दोनों के मुताबिक, स्थानीय स्तर पर इस बैरिकेड अथवा दीवार का कोई भी ऐसा विरोध नहीं, जो समाज में गलत संदेश दे रहा हो।

अवरोधक नगरपालिका प्रशासन ने लगवाए: पुलिस

खरगोन कोतवाली के TI ने बैरिकेड और अन्य अवरोध को पुलिस प्रशासन के बजाय नगरपालिका प्रशासन का निर्णय बताया। SP खरगोन ने भी इस मामले में कोई भी कमेंट करने से मना कर दिया। वहीं, DM ऑफिस का नंबर उठाया नहीं गया। किसी अधिकारी का वर्जन आने के बाद हम इस खबर में उसे अपडेट करेंगे।

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।