‘सड़कों पर हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दें क्या?’ पब्लिक प्लेस पर नमाज पढ़ने का गुरुग्राम पुलिस ने किया बचाव, भड़के लोग

सार्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़ने पर हुआ बवाल

हरियाणा के गुरुग्राम से पिछले दिनों एक वीडियो सामने आई थी जिसमें कुछ लोग सार्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़े जाने का विरोध कर रहे थे। अब उसी मामले में गुरुग्राम पुलिस ने एक ट्वीट किया है और समझाना चाहा है कि क्षेत्र में नमाज तो हिंदुओं और मुस्लिमों की आपसी सहमति से पढ़ी जा रही थी।

अपने आधिकारिक ट्विटर अकॉउंट पर पुलिस ने लिखा, “सार्वजनिक स्थल पर नमाज का स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों ने आपसी बातचीत के बाद तय किया है। यह जगह भी उनमें से एक है। सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और हम यह सुनिश्चित करेंगे।”

ये ट्विट कुछ दिन पहले का है जब गुरुग्राम निवासियों की वह वीडियो सामने आई थी जिसमें वह पब्लिक प्लेस पर नमाज पढ़े जाने का विरोध कर रहे थे। ये वीडियो इंटरनेट पर काफी वायरल हुई थी। सोशल मीडिया यूजर्स ने शहर में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाया था कि आखिर पुलिस ऐसी गतिविधियों को कैसे अनुमति दे सकते हैं।

गुरुग्राम पुलिस द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ने को जायज ठहराता देख यूजर भड़क गए और पूछने लगे कि आखिर लोगों के विरोध को वो कैसे नकार सकते हैं और कैसे चलती सड़क पर नमाज पढ़ने को जायज कहा जा सकता है।

स्थानीय पूछ रहे हैं कि क्यों नमाज को मस्जिद में बैठ कर नहीं पढ़ा जा सकता। उनका सवाल है कि क्या आपसी सहमति से पब्लिक प्लेस पर अतिक्रमण करना सही है? और अगर इस केस में प्रशासन इतना ही ढिलाई दे रहा है तो क्या वो भी सड़कों पर बैठकर हनुमान चालीसा पढ़ें और पूजा-अर्चना करना शुरू कर दें।

एक यूजर ने कहा, “इस्लामी देशों में भी सार्वजनिक संपत्ति पर नमाज पढ़ना हराम है।” यूजर बोला, नमाज पढ़ना आस्था की बात है जिसे मस्जिद जैसी जगह पर अदा किया जाना चाहिए। इसलिए इन लोगों को समझाएँ कि वे एक पवित्र अभ्यास को अपवित्र न करें।

पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने पूछा कि आखिर गुरुग्राम पुलिस विरोध करने वालों की आवाज क्यों दबा रही है।

एक अन्य ट्विटर यूजर ने गुरुग्राम पुलिस के रुख पर प्रकाश डाला और ये बताया कि कैसे ये चीजें सीएम खट्टर के विचारों के विरुद्ध हैं जिन्होंने कहा था मुसलमानों को नमाज मस्जिदों में अदा करनी चाहिए।

कुछ लोगों ने उन प्रतिनिधियों के बारे में सवाल किया जिन्होंने हिंदू समुदाय की ओर से मुस्लिमों के साथ समझौता किया और सार्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़ने को कह दिया। ये सवाल भी उठा कि क्या इस संबंध में अन्य धर्मों के लोगों से परामर्श लिया गया था।

एक यूजर सवाल करता है आपसी निर्णय से क्या मतलब है। क्या पुलिस अनुमति देती है दो समुदाय आपसी सहमति से कुछ ऐसा करें जो कानून व्यवस्था बिगाड़े।

गुरुग्राम में नमाज को लेकर शुरू हुआ विवाद

गौरतलब है कि पिछले दिनों गुरुग्राम के सेक्टर-47 में रहने वाले लोगों का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में दिख रहा था कि वह अपने पड़ोस में मुस्लिमों द्वारा सड़कों पर नमाज अदा करने से बेहद परेशान हैं। स्थानीय लोगों ने मौके पर इकट्ठा हुए मुस्लिमों का विरोध किया और उन पर कानून-व्यवस्था तोड़ने का आरोप लगाया।

सार्वजनिक स्थल पर नमाज का विरोध करने वाले स्थानीय निवासियों में से एक ने कहा था, “जिस तरह से मेरठ की लड़की को मारा गया और फरीदाबाद की लड़की को मौत के घाट उतार दिया गया, कहीं ये सब भविष्य में हमारी बेटियों का साथ भी ना हो जाए।” उन्होंने कहा, “पुलिस कुछ नहीं कर रही है, क्योंकि उनके पास हमारे खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश है।”

हिंदू समूहों के अनुसार, ये लोग दरगाहों का निर्माण कर भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने के लिए सार्वजनिक जगह पर नमाज अदा करते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है, “इससे महिलाएँ बेहद डरी हुई हैं। जब से सड़कों पर नमाज पढ़ना शुरू हुआ है, तब से चेन स्नेचिंग, छेड़खानी की घटनाएँ बढ़ गई हैं। सड़कों पर इस अवैध नमाज को रोका जाना चाहिए।” एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा, “हम यहाँ अवैध मस्जिद या मजार नहीं बनने देंगे।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया