‘वक्फ की संपत्ति है पूरा का पूरा ज्ञानवापी परिसर’: कोर्ट में बोले मस्जिद कमिटी के वकील अभय यादव – मुस्लिमों को नमाज का अधिकार

मुस्लिम पक्ष ने की शृंगार गौरी की पूजा वाली याचिका खारिज करने की माँग (फाइल फोटो)

ज्ञानवापी विवादित ढाँचे को लेकर वाराणसी कोर्ट में हो रही सुनवाई समाप्त हो चुकी है। वहीं कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख दी है। जिला जज डा.अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में आज सोमवार (30 मई, 2022) को करीब 2 घंटे तक सुनवाई चली जिसमें मुस्‍ल‍िम पक्ष ने विस्‍तार से अपनी बात रख दी है। वहीं फोटो और वीडियो के बारे में अदालत दिशा निर्देश तय करेगी और उसके बाद दोनों पक्षों को सर्वे की रिपोर्ट दे दी जाएगी। माना जा रहा है कि आज शाम को ही इस पर फैसला हो सकता है। अदालत के अनुसार इस पर आई आपत्तियों को देखते हुए इस पर आदेश आएगा।

आज की सुनवाई में ज्ञानवापी प्रकरण में जिला जज की अदालत में लंबित प्रकरण में पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन एवं उनके पुत्र वकील विष्णु शंकर जैन के साथ ही वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी एडवोकेट भी अदालत पहुँचे थे। जहाँ दोपहर दो बजे से ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के मामले में अदालत ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को विस्तार से सुना। आज केवल 13 से 39 पैरा तक ही बहस हो सकी है।

इससे पहले वाराणसी में दो अदालतों में सुनवाई पूरी हो गई है। जिला जज और सिविल जज की फास्ट ट्रैक कोर्ट में दो अलग-अलग मुकदमों में पक्षकारों ने अपना पक्ष रखा। बता दें कि चार जुलाई को भी विपक्ष अपनी बहस जारी रखेगा।

वहीं आज मामले की शुरुआत में परिसर में स्थित माँ श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा-अर्चना करने एवं अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने के जिला जज की अदालत में होने वाली सुनवाई के मामले में पक्षकार बनने के लिए स्वयंभू ज्योर्तिलिंग आदिविश्वेश्वर की तरफ से वकील विजय शंकर रस्तोगी ने पक्षकार बनने के लिए अदालत में अर्जी दी थी।

वाराणसी जिला न्यायालय आज भी सुनवाई के दौरान आज, माँ शृंगार गौरी से संबंधित मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है, इस दावे के साथ मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने अपनी दलीलें शुरू की। वहीं अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर आदेश में प्लेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट के 7 नियम 11 सीपीसी के तहत हिंदू महिलाओं द्वारा दायर याचिका को खारिज करने की माँग की गई।

वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वकील एडवोकेट अभय नाथ यादव ने दावा किया कि मस्जिद परिसर वक्फ संपत्ति नहीं है, ‘गलत’ है। उन्होंने इसके लिए दीन मोहम्मद केस का हवाला दिया। अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कोर्ट के सामने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद एक वक्फ संपत्ति है।

उन्होंने मामले में एक पुराने मामले का हवाला देते हुए कहा, “दीन मोहम्मद केस (1937) में कोर्ट ने फैसला किया कि कौन सा क्षेत्र मस्जिद की संपत्ति है और कौन सा क्षेत्र मंदिर की संपत्ति है। ज्ञानवापी मस्जिद का पूरा परिसर मुस्लिम वक्फ का है और मुसलमानों को इसमें नमाज अदा करने का अधिकार है।”

गौरतलब है कि आज वाराणसी की ज्ञानवापी विवादित ढाँचे को लेकर केंद्रीय ब्राह्मण महासभा की ओर से भी एक नई याच‍िका दाख‍िल कर दी गई है। इस तरह से ज्ञानवापी मसले पर याच‍िका की संख्‍या काफी तेजी से बढ़ती जा रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया