हल्द्वानी की ‘जोशी विहार’ को छोड़ चुके हैं 60 हिंदू परिवार, प्रवेश द्वार पर लिखा- ‘रजा गेट’: रिपोर्ट में बताया- मुस्लिमों के बसते ही बदली डेमोग्राफी

हल्द्वानी के वनभूलपुरा से सटी जोशी कॉलोनी में 6 साल के अंदर पलायन कर गए 60 हिंदू परिवार (चित्र साभार- दैनिक जागरण)

सरकारी जमीन पर कब्जों, पुलिस पर हमले को लेकर कुख्यात उत्तराखंड के हल्द्वानी का जोशी विहार कॉलोनी हिंदुओं के पलायन को लेकर चर्चा में है। यह कॉलोनी उसी बनभूलपुरा के पास का इलाका, जहाँ पिछले दिनों अतिक्रमण हटाने गई पुलिस और नगर निगम की टीम पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने हमला किया था।

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट बताती है कि जोशी विहार कॉलोनी से पिछले 6 साल में करीब 60 हिंदू परिवार पलायन कर चुके हैं। अब तीन हिंदू परिवार ही बचे हैं। इन्होंने भी अपने घरों का सौदा कर लिया है और अगले महीने इस कॉलोनी को छोड़ जाएँगे।

रिपोर्ट के अनुसार इस कॉलोनी की डेमोग्राफी मुस्लिमों के बसने के बाद तेजी से बदली है। रामपुर, पीलीभीत और स्वार जैसी जगहों से आकर मुस्लिम यहाँ बसे हैं। हिंदुओं के पलायन की खबर सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने डेमोग्राफी चेंज के कारणों की पड़ताल का भरोसा दिलाया है।

दैनिक जागरण द्वारा सोमवार (26 फरवरी 2024) को प्रकाशित की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि जोशी विहार साल 1954 में अल्मोड़ा से आए रामदत्त व देवीदत्त जोशी नाम के 2 भाइयों ने कई एकड़ जमीन खरीद कर बसाया था। बाद में दोनों भाई 5-5 बेटों के पिता बने। कालांतर में सभी बेटों में जमीनों का बँटवारा हुआ। बाद में इन्हीं में से कुछ ने जमीनें बाहरी लोगों को बेच दी।

बताया गया है कि 6 साल पहले रामपुर से आ कर मलिक नाम के एक व्यक्ति ने जोशी कॉलोनी में मकान खरीदा। इसके बाद यहाँ मुस्लिम आबादी और उनके परिवारों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई। कथित तौर पर शुरुआत में जमीन लालच में बेची गई। तब भूस्वामियों को 1 लाख रुपए की जमीन के 1 करोड़ रुपए तक मिले। बाद में गंदगी और मुस्लिम बहुलता होने की वजह से कई हिन्दू औने-पौने कीमत पर अपनी जमीन और मकान बेचने लगे। ऑपइंडिया से बात करते हुए हल्द्वानी के बजरंग दल पदाधिकारी जोगिंदर राणा उर्फ़ जोगी ने भी इसकी पुष्टि की है।

फिलहाल जोशी विहार कॉलोनी में मुस्लिमों के लगभग 150 मकान हैं। पूर्व ग्राम प्रधान मनोज मठपाल के मुताबिक इस समय जोशी कॉलोनी में जमीनों का रेट 4500 रुपए स्क्वायर फ़ीट चल रहा है। जोशी कॉलोनी बसाने वाले रामदत्त के ही वंशज देवेंद्र जोशी ने दैनिक जागरण को बताया कि जब बरसात में नाला उफान मारता है तो उनके घरों में गंदगी और माँस बह कर आ जाता है। घर बेचने को मजबूरी बताते हुए देवेंद्र जोशी ने बताया कि वे खुद अपना पुश्तैनी मकान 50 लाख रुपए में बेच चुके हैं।

देवेंद्र जोशी ने इलाके में डेमोग्राफी बदलाव के लिए उन कथित जरूरतमंदों को जिम्मेदार बताया, जिन्हें उनके परदादा ने कभी जमीन सस्ते दामों में दे दी थी। देवेंद्र का आरोप है कि इन्हीं लोगो ने बाद में कुछ फायदे के लिए बहरी लोगों को ऊँचे दामों में जमीनें बेच दीं। साल 2018 में जोशी कॉलोनी नगर निगम में आ गई। पहले यहाँ ग्राम प्रधान मनोज मठपाल हुआ करते थे। बाद में यहीं से रईस अहमद भी पार्षद बने। मुस्लिमों की अधिकतर आबादी रामपुर, मुरादाबाद और बिजनौर आदि जिलों की बताई जा रही है। अब जोशी कॉलोनी के आगे ‘रज़ा गेट न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी’ का बोर्ड लग चुका है।

पहले इस कॉलोनी में जोशी, साहू, गुप्ता और नैनवाल परिवार रहते थे। फ़िलहाल अब यहाँ जोशी परिवार के महज 3 घर बचे हैं। डेमोग्राफी बदलाव की इन खबरों का नैनीताल जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी संज्ञान लिया है। SDM परितोष जोशी ने जागरण को बताया कि वो स्थानीय लोगों से बातचीत करेंगे और आबादी असंतुलन की जाँच करवाएँगे। वहीं नैनीताल जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीणा ने कहा कि जोशी कॉलोनी में रहने वाले लोगों का वेरफिकेशन करवाया जाएगा। एसएसपी ने पूरे जिले में सत्यापन अभियान जारी होने की भी जानकारी दी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया