‘टीका लगवाया तो हमारे बच्चे नहीं होंगे…’: मुस्लिम बहुल नूंह कोरोना वैक्सीनेशन में फिसड्डी, कैंपेन में दिख रही सरकार की साजिश

मुस्लिम बहुल नूंह कोरोना वैक्सीनेशन में फिसड्डी प्रतीकात्मक तस्वीर, (साभार: इंडियन एक्सप्रेस)

दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना वैक्सीनेशन (Covid Vaccination) अभियान कुछ लोगों को सरकार की साजिश लगती है। उन्हें लगता है कि टीका लेने के बाद वे बच्चे नहीं पैदा कर पाएँगे। यह हाल हरियाणा के मुस्लिम बहुल जिले नूंह (Nuh) का है। हरियाणा (Haryana) के 22 जिलों में से एक नूंह, देश के उन 48 जिलों में से एक हैं जो कोरोना टीकाकरण (Corona Vaccination) में फिसड्डी है।

सरकारी आँकड़े बताते हैं कि नूंह में अब तक केवल 72 फीसदी लोगों ने ही वैक्सीन की पहली डोज ली है। दोनों डोज लेने वाले केवल 35 फीसदी हैं। यह हाल तब है जब वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुए साल भर के करीब हो चुके हैं। अब 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले और फ्रंट लाइन वर्कर को बूस्टर डोज भी लगनी शुरू हो चुकी है। बुस्टर डोज (Booster Dose) के मामले में भी नूंह का हाल बुरा है। अब तक केवल 821 लोगों ने ही यह डोज ली है।

बच्चों के वैक्सीनेशन का भी जिले में ऐसा ही हाल है। 15 से 17 साल की उम्र के करीब 90,000 बच्चे जिले में होने का अनुमान है। इनमें से अब तक 29,206 बच्चों को ही टीके की पहली खुराक मिली है।

इन आँकड़ों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा रखी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस स्थिति में सुधार के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। नवंबर 2021 में उन्होंने नूंह में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि जिले में कम टीकाकरण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंतित हैं। बताया जाता है जब से स्थानीय प्रशासन ने राशन, पेट्रोल, पेंशन, बैंकिंग आदि सेवा के लिए वैक्सीनेशन को अनिवार्य किया है, स्थिति में मामूली सुधार आया है।

कम टीकाकरण (Lowest Corona Vaccination in Nuh) की वजह जानने को लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने जिले में तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों से बात की है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, नूंह में तैनात डॉक्टर हर्षित गोयल ने बताया, “लोग अजीब तरह की दलीलें देते हैं। इनमें एक बहुत आम है कि टीका लगवाया तो हमारे बच्चे नहीं होंगे। हम लोगों को इस संबंध में जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन नूंह में साक्षरता दर बहुत कम होने के कारण हमारी कोशिशों को उस तरह की सफलता नहीं मिल रही।” इसी सामुदायिक केंद्र में तैनात एक अनाम स्वास्थ्यकर्मी के हवाले से बताया गया है, “यहाँ इंटरनेट वगैरह भी चलाना कम लोग जानते हैं। इससे उन्हें कोविन (COWIN) एप या पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने में भी परेशानी होती है। वे इससे बचने की कोशिश करते हैं। हालाँकि हम उनकी पूरी मदद कर रहे हैं।”

इसी तरह घसेरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात सुनीता ने बताया, “कुछ लोगों को कोरोना टीकाकरण में सरकार की साजिश नजर आती है। इस तरह की और भी कई अफवाहें हैं। इन्हें दूर करने के लिए हम पंचायतों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्हें टीकाकरण के फायदों के बारे में बता रहे हैं।” लेकिन जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुरेंद्र कुमार ने अफवाहों की वजह से कम टीकाकरण की बात का खंडन किया है। बीते सप्ताह एसडीएम ने स्थानीय मौलवियों के साथ भी एक बैठक की थी ताकि हालात में सुधार आए और लोग अफवाहों पर यकीन न करें।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया