जिन प्रयोगों से योगी सरकार में बदली बुंदेलखंड की तस्वीर, ‘मॉडल गाँव’ से अब हर जगह को वैसे ही बदलने की कवायद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ 'मॉडल गाँव' की परिकल्पना करने वाले आईएएस अधिकारी डॉ. हीरा लाल

2019 के आम चुनावों का वक्त था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के बाँदा में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक अधिकारी की मंच से जमकर सराहना की। यह पहला मौका था, जब देश ने आईएएस अधिकारी डॉ. हीरा लाल (Dr. Heera Lal) के बारे में सुना। डॉ. लाल उस समय बाँदा के कलेक्टर थे। प्रधानमंत्री ने कहा था, “सरकारी मशीनरी जो होती है, वह चुनाव में इसी में लगी रहती है कि ये करो, ये न करो। मुझे बताया गया कि यहाँ जिले के जो चुनाव अधिकारी हैं, वे हंड्रेड पर्सेंट वोटिंग के लिए मेहनत कर रहे हैं। ये बहुत अच्छी बात है। मैं उन्हें बधाई देता हूँ।”

अगस्त 2018 में बाँदा के कलेक्टर की जिम्मेदारी सँभालने वाले डॉ. लाल का फरवरी 2020 में तबादला हो गया। फिलहाल वे उत्तर प्रदेश में नेशनल हेल्थ मिशन के एडिशनल डायरेक्टर हैं। लेकिन बाँदा के डीएम रहते हुए उन्होंने जो प्रयोग किए थे, वह अब ‘मॉडल गाँव’ (Model Gaon) के रूप में केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के अन्य राज्यों में भी फैलता जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि बाँदा उत्तर प्रदेश के उस इलाके का हिस्सा है जिसे बुंदेलखंड कहा जाता है। विकास के मायनों पर यह इलाका काफी पिछड़ा माना जाता रहा है। 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो इस इलाके में भी विकास को रफ्तार दी गई। इसका असर यह हुआ कि बाँदा में भूजल का स्तर बढ़ा। हरियाली बढ़ी। क्रॉप प्रोडक्टिविटी में इजाफा हुआ। कुपोषण में कमी आई। इसके पीछे उन प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका रही जो डॉ. लाल के कार्यकाल में शुरू की गई थी। मसलन, कुआँ-तालाब जियाओ अभियान, पौध प्रसाद अभियान वगैरह।

करीब डेढ़ साल पहले डॉ. लाल ने ‘मॉडल गाँव’ की शुरुआत की थी। वे इसके एडवाइजर हैं। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया, “यह अभियान मेरे अनुभवों पर आधारित है। अगस्त 2018 से फरवरी 2020 तक करीब 18 महीने बाँदा में कलक्टर रहते मैंने 20-22 प्रयोग किए थे। इनसे विभिन्न क्षेत्रों में सुधार आया था। इन्हीं प्रयोगों को एक साथ जोड़कर तकनीक की मदद से देश-विदेश के अन्य इलाकों तक पहुँचाने का अभियान है मॉडल गाँव।”

वे बताते हैं कि इस अभियान का मकसद ग्रामीण जीवन में सुधार लाना और गाँवों को बाजार से जोड़ना है ताकि ग्रामीण इलाकों का सर्वांगीण विकास हो सके। इसके लिए गाँव घोषणा पत्र (विलेज मेनिफेस्टो) तैयार किया जाता है। इनमें वे पहलू शामिल किए जाते हैं जिससे गाँव में खुशहाली आ सके। मसलन, साफ-सफाई, हर व्यक्ति को अक्षर ज्ञान देना, इलाज-दवा के साथ योग से लोगों को जोड़ना, पीने और सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था, सौर ऊर्जा पर गाँव को आत्मनिर्भर बनाना, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) वगैरह।

हाल ही में ‘मॉडल गाँव’ की वर्ष 2021 की एनुअल परफारमेंस रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक यह अभियान अब तक भारत के 24 राज्यों एवं 3 देशों में फैल चुका है। 4641 लोग इस मिशन से जुड़ चुके हैं। 3366 लोग अपने गाँव में बुनियादी परिवर्तन हेतु विलेज मेनिफेस्टो तैयार कर चुके हैं। सबसे ज्यादा 4094 लोग उत्तर प्रदेश में ही जुड़े हैं। इनमें से 2838 लोग विलेज मेनिफेस्टो बना चुके हैं। इस अभियान को नाबार्ड और दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान जैसी संस्थाओं का सहयोग भी हासिल है। डॉ. लाल ने बताया कि नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक रहे मुनीश गंगवार बतौर अध्यक्ष ‘मॉडल गाँव’ के अभियान को लीड कर रहे हैं।

कहते हैं कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। गाँवों के चहुमुॅंखी विकास के बिना विकसित भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। मॉडल गाँव जैसे अभियान अपने इरादों में जितने सफल होंगे, भारत के विकास की रफ्तार उतनी तीव्र होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसे वक्त में जब उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार जोरों पर है, वादों की बरसात हो रही है, राजनीतिक दल मॉडल गाँव जैसी परिकल्पना को लेकर गंभीरता दिखाएँगे। वैसे भी योगी सरकार में डॉ. लाल जैसे अधिकारियों ने इसे जमीन पर उतारकर दिखाया भी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया