इस्लामिक संगठन PFI ने असम हिंसा कवरेज को लेकर रिपब्लिक टीवी पर किया मानहानि का केस, कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को तलब किया

अर्णब गोस्वामी (बाएँ) पीएफआई रैली की तस्वीरें (साभार: द न्यूज मिनट)

कट्टर इस्लामी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी और उनकी साथी संपादक अनन्या वर्मा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद गुरुवार (28 अक्टूबर 2021) को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को तलब किया। पीएफआई ने दोनों पर ‘झूठी रिपोर्टिंग’ करने और उसकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है।

इस मामले में प्रतिवादी के तौर पर न्यूज ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड एसोसिएशन (एनबीएसए) को भी जोड़ा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पीएफआई के बारे में किसी भी तरह की मानहानि वाली रिपोर्ट करने के मामले में संगठन रिपब्लिक टीवी पर हर्जाने में ₹1 लाख और ‘अनिवार्य माफ’ की माँग की है। समन का आदेश अपर सिविल जज शीतल चौधरी प्रधान ने जारी किया है। फिलहाल मामले को अगले साल 3 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि जिस रिपोर्ट को लेकर पीएफआई ने मानहानि का केस किया है, वह हाल ही में असम के दर्रांग में हुई घटना के कवरेज मामले से जुड़ा है। पीएफआई ने रिपब्लिक टीवी पर ‘दर्रांग फायरिंग: पीएफआई लिंक वाले 2 गिरफ्तार, विरोध के लिए भीड़ जुटाने का आरोप’ शीर्षक से अपनी वेबसाइट पर एक लेख प्रकाशित करने का आरोप लगाया था। इस्लामिक संगठन ने यह भी आरोप लगाया था कि समाचार चैनल ने लाइव टेलीकास्ट पर ‘असम हिंसा जाँच: दो पीएफआई पुरुषों को गिरफ्तार’ शीर्षक से एक और कार्यक्रम प्रसारित किया था।

रिपब्लिक टीवी की अनन्या वर्मा द्वारा लिखी गई रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने दावा किया कि दर्रांग हिंसा में गिरफ्तार किए गए दो लोग मोहम्मद अस्मत अली और मोहम्मद चंद ममूद संगठन से नहीं जुड़े थे। अपने मानहानि के मुकदमे में इस्लामिक संगठन ने आरोप लगाया, “उक्त समाचार लेख/प्रसारण में प्रतिवादियों ने लोगों को भड़काने और वादी के नाम, इमेज और सद्भावना के लिए पूर्वाग्रह पैदा करने के इरादे से वादी के खिलाफ झूठे और तुच्छ आरोप लगाए। प्रतिवादियों ने वादी की छवि को बदनाम करने के मकसद से जानबूझकर इस तरह के अपमानजनक और गलत आरोप लगाए।”

पीएफआई ने दावा किया कि रिपब्लिक टीवी ने बिना किसी जाँच के खबर प्रकाशित की और इसका कवरेज भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक धब्बा है। संगठन ने दर्रांग के एसपी के बयान का हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर दावा किया था कि दोनों आरोपित पंचायत सदस्य थे न कि पीएफआई के सदस्य। कट्टरपंथी इस्लामी संगठन का प्रतिधिनित्व करने वाले शकील अब्बास ने कहा कि उन्होंने 30 सितंबर को रिपब्लिक टीवी को बिना शर्त माफी माँगने के लिए एक कानूनी नोटिस भेजा था लेकिन वह व्यर्थ रहा, क्योंकि चैनल ने बदले में ‘झूठा और टाल-मटोल वाला जवाब’ भेजा था।

असम के दर्रांग जिले में हिंसा

23 सितंबर को असम के दर्रांग जिले में प्रशासन द्वारा अवैध कब्जे को हटाने का अभियान चलाया गया था, जो हिंसक हो गया था। दरअसल, उस दौरान जमीन पर अतिक्रमण किए बैठे लोगों ने सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया था। अवैध अतिक्रमणकारियों की भीड़ के हमले में जहां 9 पुलिसकर्मी घायल हो गए, वहीं पुलिस की जवाबी फायरिंग में 2 हमलावर मारे गए थे।

यह घटना असम के दार्रांग जिले के सिपाझार कस्बे के पास गरुखुटी क्षेत्र के धोलपुर में हुई थी, जहाँ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सरकारी या मंदिर जैसे अन्य संगठनों से संबंधित भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों को हटाने के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया था। जब बेदखली के लिए पुलिस बंगाला भाषी मुस्लिमों के स्थान पर पहुँची तो सैकड़ों लोगों ने पत्थर, कुल्हाड़ी, बाँस के नुकीले डंडे आदि हथियारों से पुलिस पर हमला कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया