अयोध्या में 400 साल से बाबरी मस्जिद, कयामत तक मस्जिद ही रहेगी: मौलाना अरशद मदनी

सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने की बात कह मदनी ने दिया शरीयत का हवाला

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि अयोध्या में 400 साल से बाबरी मस्जिद थी और कयामत तक वो मस्जिद ही रहेगी। उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब अगले सप्ताह अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है। मदनी ने उम्मीद जताई है कि कोर्ट का फैसला मुस्लिमों के हक में आएगा। साथ ही कहा है कि अदालत जो भी फैसला देगी उसे वे स्वीकार करेंगे।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मदनी ने बुधवार (नवंबर 6, 2019) को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए शरीयत का हवाला देकर कहा बाबरी मस्जिद, कानून और न्याय की नजर में एक मस्जिद थी। करीब 400 साल तक मस्जिद थी। लिहाजा शरीयत के हिसाब से वो आज भी मस्जिद है। उन्होंने कहा कि सत्ता और ताकत के दम पर उसे कोई भी रूप दे दिया जाए कयामत तक वह मस्जिद ही रहेगी।

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मदनी ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण करने के लिए किसी हिंदू मंदिर को तोड़ा नहीं गया था। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का दावा ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है। हम अपने इस दावे के साथ खड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा हम उसे मानेंगे लेकिन मस्जिद पर अपना दावा नहीं छोड़ सकते। उन्होंने कहा कि हम मुस्लिमों के साथ भारत के हर नागरिक से अपील करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट आने वाले फैसले का सम्मान करें।

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मदनी ने कहा, “कानून हमारा है। सुप्रीम कोर्ट हमारी है। जो भी फैसला होगा हम उसका एहतराम करेंगे। मुल्क के सभी लोगों से चाहे वे हिंदू हो या मुस्लिम, सबको फैसले को अमन के साथ स्वीकार करने की गुजारिश करता हूॅं। इस मामले में हमारी आवाज जहॉं तक पहुॅंचेगी हम वहॉं तक पहुँचाएँगे।”

इस दौरान उन्होंने कश्मीर और एनआरसी के मसले पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जमीयत एनआरसी के खिलाफ नहीं है। यह पूरे देश में होना चाहिए, लेकिन इसका आधार धार्मिक नहीं हो। वहीं, आर्टिकल 370 को लेकर कहा कि यह मामला कोर्ट में है उम्मीद है कि कश्मीरियों को न्याय मिलेगा। लेकिन, वहॉं लाखों लोग रहते हैं और बीते 90 दिन से वहॉं काम ठप है। हमने पहले भी कहा था और आज भी कह रहे उनसे बातचीत करिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया