J&K में परिसीमन का काम पूरा: कश्मीर संभाग में विधानसभा की 1 और जम्मू में बढ़ीं 6 सीटें, ST के लिए 9 और SC के लिए 7 सीटें रिजर्व, चुनाव जल्द

जम्मू-कश्मीर के परिसीमन का काम पूरा हुआ (फोटो साभार: ANI)

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम पूरा हो गया है और उसकी अंतिम रिपोर्ट पर तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। परिसीमन के बाद जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटों का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए 9 सीटें रखी गई हैं। माना जा रहा है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।

परिसीमन आयोग ने अपना कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले यानी गुरुवार (5 मई 2022) को केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सीटों के से परिसीमन रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इसके बाद राजपत्रित अधिसूचना के माध्यम से आदेश जारी कर दिया है। अब प्रदेश में नए सिरे अब मतदाताओं की सूची को तैयार किया जाएगा।

परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू संभाग में 6 और कश्मीर संभाग में एक सीट बढ़ाई गई हैं। इस हिसाब से जम्मू संभाग में विधानसभा की 43 सीट और कश्मीर संभाग में 47 सीट हो गई हैं। विधानसभा की सीटें 90 होंगी, जबकि लोकसभा की 5 सीट रहेगी। वहीं, दोनों संभाग में लोकसभा की ढाई-ढाई सीट होगी, यानी एक लोकसभा सीट का आधा हिस्सा जम्मू में होगा और आधा कश्मीर संभाग में। हर लोकसभा सीट में विधानसभा की 18 सीटें होंगी। प्रदेश में पहली बार ST के लिए 9 सीटें रिजर्व रखी गई हैं। वहीं, अनुसूचित जाति (SC) के लिए 7 सीट रिजर्व रहेगी।

परिसीमन से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 सीटें थीं। इनमें से जम्मू में 37, कश्मीर में 46 सीटें और 4 सीटें लद्दाख में थीं। इस तरह लद्दाख के अलग होने के बाद जम्मू-कश्मीर के हिस्से में सिर्फ 83 सीटें रह गई हैं। ऐसे में 7 सीटें बढ़ने के बाद राज्य में विधानसभा की कुल 90 सीटें हो गई हैं।

परिसीमन के लिए सरकार ने मार्च 2020 में पैनल बनाया था। इसकी हेड सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई थीं। इसके अलावा पैनल में चीफ इलेक्शन कमिश्नर सुशील चंद्रा और डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर चंदर भूषण कुमार शामिल थे। 

बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में साल 1995 में परिसीमन हुआ था। उस समय राज्य में 12 जिले और 58 तहसीलें थीं। वर्तमान में 20 जिले और 270 तहसीलें हैं। सीटों का परिसीमन का मुख्य आधार जनसंख्या होता है। इसके साथ ही क्षेत्रफल और भौगोलिक स्थिति का भी ध्यान रखा जाता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया