1 मिनट में दागी 8 गोलियाँ, 10 महीने के बच्चे को जमीन पर पटका: आतंकियों ने ऐसे उजाड़ा पूर्व SPO भट का परिवार

भट के जनाजे में में शामिल स्थानीय लोग (साभार: ANI)

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतीपोरा स्थित हरिपरिगाम गाँव खेतों और पेड़ों से घिरा है। रविवार (जून 27, 2021) को यह गाँव गोलियों की आवाज से थर्रा उठा। आतंकियों ने पूर्व विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) फैयाज अहमद भट के घर पर हमला किया। हमले में 50 वर्षीय भट की मौके पर ही मौत हो गई। उनकी पत्नी 46 वर्षीय रजा बेगम और 22 वर्षीय बेटी राफिया को भी आतंकियों ने गोली मारी थी। दोनों ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया।

भट के जनाजे में पूरा गाँव उमड़ पड़ा। ताबूत को कंधा देते वक्त लोगों की आँखों से आँसू नहीं रुक रहे थे। मीडिया रिपोर्टों में भट के जीवित परिजनों, रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों के हवाले से इस हमले का जो विवरण सामने आया है वह बेहद खौफनाक है। इससे पता चलता है कि हमले के दौरान पूरा गाँव सहम गया। आतंकियों के जाने के बाद केवल चीखें ही सुनाई पड़ी। आतंकियों ने हमले के दौरान 10 महीने के मासूम को भी नहीं छोड़ा और जमीन पर पटक दिया।

The kashmir walla के मुताबिक एक मिनट के अंदर भट के ऊपर 8 गोलियाँ चलाई गई। पत्नी और बेटी जब उन्हें बचाने के लिए उनके शरीर पर लेट गईं तो उन्हें भी गोली मार दी गई। भट की बहू ने बताया कि पूरी घटना उनकी 10 महीने की बेटी के सामने हुई। उनके पति लियाकत अहमद भट सेना में हैं और हमले के वक्त ड्यूटी पर थे। उन्होंने बताया कि पूरा गाँव भट परिवार की चीख से गूँज उठा। उनके घर की दीवारों पर आतंकियों द्वारा चलाई गई गोलियों के निशान इसके गवाह हैं।

रुकाया ने कहा, “जब मैंने तीन लाशें पड़ी देखीं तो मैं चिल्लाने लगी। आतंकियों ने मुझे लात मारी। मेरी छोटी बेटी रोई और हम दोनों बेहोश हो गए। आतंकियों ने जाने से पहले मुझे और मेरी छोटी बेटी को जान से मारने की धमकी दी।” भट के 35 वर्षीय भतीजे मुजफ्फर अहमद, जो पास में ही रहते हैं, ने कहा, “गोली चलने की आवाज आते ही मैंने चाचा को फोन किया था। मैंने केवल रोना सुना। मैं उनके घर पहुँचा तो उन्हें खून से लथपथ पाया।” अहमद के अनुसार, “सितंबर 2018 में जब आतंकवादियों ने एसपीओ को पुलिस से इस्तीफा देने की चेतावनी दी, तो भट दो महीने के लिए घर पर रहे और बाद में फिर से ड्यूटी पर चले गए थे।” 

Kashmirlife को एक पड़ोसी ने बताया कि उन्होंने 10:30 बजे के आस-पास गोलियाँ चलने की आवाजें सुनी। मगर डर की वजह से वह वहाँ जा नहीं पाए। सब कुछ शांत होने के बाद वो वहाँ पहुँचे तो भट के रिश्तेदार उनकी पत्नी और बेटी को लेकर अस्पताल चले गए थे। भट की बहू के हवाले से नवभारत टाइम्स ने बताया है, “मैंने उनसे जान की भीख माँगी, लेकिन उन्होंने मेरे बच्चे को भी नहीं छोड़ा। ससुरालवालों की तरह कहीं मुझे भी गोली न मार दी जाए, इस डर से मेरी चीखने की हिम्मत नहीं हुई। मैं अपने बच्चे को उठाकर दूसरे कमरे में भागी। जब आतंकी चले गए तब ही जाकर मेरी चीख निकली और मैं जोर-जोर से रोने लगी।”

हमले के बाद कश्मीर के आईजी विजय कुमार भट के घर पहुँचे थे। उनके अनुसार एक आतंकी कश्मीरी में तो दूसरा उर्दू में बात कर रहा था। उन्होंने कहा, “हमें इलाके में जैश आतंकियों के मूवमेंट की सूचना मिली है। इस बात के कई सबूत हैं कि एक आतंकी पाकिस्तानी था।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया