‘हनुमान मंदिर में बंद करवाया लाउडस्पीकर, मस्जिद से माइक पर दी जा रही अजान’: पलामू में पुलिस का ‘भेदभाव’ पुजारी ने किया उजागर

हिंसा से पहले में पूजा करते लोग और बाद में पुलिस द्वारा रोक (साभार: ऑपइंडिया/हिंदुस्थान समाचार)

झारखंड के पलामू स्थित पांकी बाजार में महाशिवरात्रि को लेकर बनाए जा रहे तोरणद्वार के कारण हुई हिंसा के मामले में हिंदुओं द्वारा प्रशासन एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया जा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि मस्जिद के पास ही प्राचीन हनुमान मंदिर है। इस मंदिर में हिंदुओं द्वारा पूजा-पाठ और आरती कट्टरपंथी मुस्लिमों को चुभती थी। इसी लिए हिंसा की साजिश रची गई।

प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू की है और इलाके की इंटरनेट सेवा को भी बंद कर दिया है। धारा 144 के बाद इलाके में चार लोगों से अधिक इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि धारा 144 के नाम पर प्राचीन मंदिर में लोगों को पूजा करने से रोक दिया गया है, लेकिन मस्जिद में लोग नमाज पढ़ रहे हैं।

हनुमान मंदिर के पुजारी का कहना है कि प्रशासन ने मंदिर से लाउडस्पीकर को भी उतरवा दिया है। इस लाउडस्पीकर के माध्यम से पूजा-पाठ और आरती आदि आयोजित की जाती थी। पुजारी का आरोप है कि मंदिर से तो प्रशासन ने लाउडस्पीकर उतरवा दिया है, मस्जिद से नहीं उतरवाया है। मस्जिद से अभी भी पाँचों वक्त अजान दी जा रही है।

हिंदुओं ने पलामू प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए कहा कि हिंदुओं को परेशान किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन अगर शुरुआत में कड़े कदम उठाता तो दंगा इतना नहीं फैलता। बता दें कि मस्जिद से हुई पथराव में हिंदुओं के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

पांकी बाजार के ही एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि हिंसा के दिन ही उसके घर में लड़की की शादी थी। इस दौरान प्रशासन ने शादी में बाजा नहीं बजने दिया। बारातियों को 30-30 के समूह में शादी आदि में शामिल किया गया।

प्रशासन द्वारा हिंदुओं को किया जा रहा प्रताड़ित

स्थानीय लोगों ने ऑपइंडिया को बताया कि प्रशासन द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इलाके के ज्यादातर हिंदू लड़के अपने घरों से फरार है। लोगों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन उनके साथ मारपीट कर रही है। उनके घरों की औरतों के साथ पुलिस द्वारा बदसलुकी की बात कही जा रही है।

कहा जा रहा है कि एक टीवी पत्रकार को भी पुलिस ने पीटा है। वहीं, एक शिक्षक के घर में घुसकर उनके साथ मारपीट करने का पुलिस पर आरोप लगा है। लोगों का कहना है कि पुलिस हिंदुओं को प्रताड़ित कर रही है, जबकि मुस्लिमों को सुरक्षा दे रही है। हालाँकि, जिला प्रशासन ने ऐसी किसी घटना से इनकार किया है।

लोगों का कहना कि इसके बाद पुलिस प्रशासन आया हिंदुओं पर ही लाठी चार्ज कर दिया। इसमें भी कई हिंदुओं को चोट लगी है। लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन हिंदुओं के घरों में पुलिस जबरन घुस रही है। हिंदुओं के घरों के दरवाजों को तोड़कर पुलिस घुस गई और महिलाओं के साथ गाली-गलौज कर रही।

लोगों का आरोप है कि हिंदुओं को जबरन उठाकर ले जाया जा रहा है और उन्हें बुरी तरह पीटा जा रहा है। वहीं, मुस्लिमों को पुलिस सुरक्षा दे रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्थानीय कॉन्ग्रेस विधायक भी मुस्लिमों का समर्थन कर रहे हैं। इस कारण पुलिस प्रशासन उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में पिछड़ा और दलित वर्ग ही हैं। इसलिए मुस्लिम उन्हें अक्सर प्रताड़ित करते हैं। लोगों का कहना है कि सवर्ण लोगों का इलाका 5-6 किलोमीटर दूर है। इसलिए उनकी सुरक्षा नहीं हो पाती है। अगर फॉरवर्ड लोग यहाँ रहते तो मुस्लिम उन पर इतना हावी नहीं होते।

कैसे हुई हिंसा की शुरुआत

इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने बताया कि 14 फरवरी की रात को तोरणद्वार बनाने के लिए कुछ मजदूर सड़क पर गड्ढे खोद रहे थे। कुछ छह गड्ढे खोदने थे। इनमें से एक गड्ढा एक मुस्कान मोबाइल नाम के दुकान के सामने पड़ रहा था। इस दुकान का मालिक कलीम आलम है। उसने गड्ढा खोदने से रोक दिया।

इसके बाद टेंट वाले ने तोरणद्वार लगवाने को बुलाया। स्थानीय हिंदुओं ने पूछा कि द्वार क्यों नहीं लगाने दे रहे हैं तो कलीम बोला कि वह उसके दुकान के सामने पड़ रहा है। इस पर स्थानीय हिंदुओं ने बोला कि जब मुस्लिम कोई कार्यक्रम करते हैं और टेंट लगाते हैं तब दुकान के सामने नहीं पड़ता है? चार का मामला है, उसके बाद द्वार को हटा लिया जाएगा। इस पर कलीम बोला कि यहाँ खुंटा वह नहीं गड़ने देगा। जिसको जो करना है कर ले।

स्थानीय हिंदुओं ने ऑपइंडिया को बताया कि इस पर हिंदुओं ने कहा कि यह सरकारी जमीन है और यहाँ आप नहीं रोक सकते। इसके बाद कलीम वहीं के महबूब को लेकर मस्जिद के पास चला गया। इसके बाद वे लोग आपस में बातचीत करने लगे और धीरे-धीरे वहाँ 50-60 लोग जमा हो गए।

इसके बाद हिंदुओं ने थाने को सूचित किया। थानेदार यहाँ आए तो उन्होंने पूछा कि क्या हो रहा है। थानेदार ने कहा कि अगर यहाँ पहले नहीं द्वार नहीं लगाया गया है तो अब क्यों लगा रहे हो। इस पर स्थानीय लोगों ने उनसे पूछा कि सर आप ही बताइए कि यहाँ नहीं गाड़ें तो कहाँ खूँटा गाड़ें?’ आप जहाँ कहेंगे वहाँ गाड़ेंगे। इस पर थानेदार ने कहा कि यहाँ छोड़कर दूसरी जगह जाओ। इसके बाद थानेदार चले गए।

स्थानीय लोगों ने बताया कि इसी दौरान मुस्लिम आए और खूँटा उखाड़ने लगे और एक हिंदू के सिर पर डंडा मारा। इस हमले में पीड़ित को 8 टाँके लगे। लोगों का कहना है कि मुस्लिम वहाँ से अपने-अपने घर में जाकर छतों से पथराव करने लगे। मस्जिद से भी पथराव करने लगे। लोगों का कहना है कि ट्रैक्टर से लाकर पत्थर को छतों पर रखा गया था। इसे हिंसा के दौरान इस्तेमाल किया गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया