Friday, April 26, 2024
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हिंदुओं के त्योहार में अड़ंगा, पहली लाठी भी हिंदू को, पत्थरबाजी मस्जिद से… फिर भी हिंदू ही हो गया दंगाई: पलामू पर ‘मुस्लिम विक्टिम’ रोना शुरू

हिंदू त्योहारों पर मुस्लिमों के हमले झारखंड में आम हो गए हैं। हेमंत सोरेन की तुष्टिकरण की नीति के कारण देवघर में महाशिवरात्रि के दिन पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। इतना ही नहीं, महाशिवरात्रि कमिटी ने शिव बारात के लिए जो रूट तय किया था, उस पर प्रशासन ने रोक लगा दिया है। जिला प्रशासन ने पुराने रूट से ही शिव बारात के आयोजन की इजाजत दी है।

झारखंड के पलामू में महाशिवरात्रि को लेकर हिंदुओं द्वारा तोरणद्वार लगाए जाने पर बवाल हो गया है। तोरणद्वार का मुस्लिमों ने विरोध किया और कहा कि मस्जिद के सामने इसे नहीं लगाया जा सकता। इसके बाद हिंसक भड़क उठी। मस्जिदों से ना सिर्फ पथराव किया गया, बल्कि आगजनी भी की गई। अब इस हिंसा को लेकर मुस्लिमों द्वारा ‘विक्टिम कार्ड’ खेला जा रहा है।

हैदराबाद से सांसद और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पूरी घटना में मुस्लिमों को ही पीड़ित बता दिया है। उन्होंने कहा कि मस्जिद पर पत्थर फेंके गए और दो घर तथा कुछ गाड़ियाँ जला दी गईं। हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट सबसे पहले एक हिंदू का सिर फोड़ने की बात कह रहा है और उसके बाद मस्जिद से पत्थरबाजी हुई।

ओवैसी यहीं नहीं रूकते हैं। उनका कहना है कि मस्जिद के सामने तोरणद्वार नहीं बनाना चाहिए था। उन्होंने इसका दोष भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर मढ़ दिया और कहा कि इसमें दंगाई और संघ परिवार जीत गए।

वहीं, सोशल मीडिया पर मुस्लिमों को पीड़ित साबित करने की कोशिश की जा रही है। मीर फैसल नाम के एक कथित पत्रकार ने एक वीडियो शेयर किया और। कहा कि हिंदुत्ववादी गुंडों ने मुस्लिमों की घर एवं दुकानें जला दीं और उनकी गाड़ियों में आग लगा दी।

पलामू हिंसा को लेकर जिस तरह की नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की जा रही है, उसमें मुस्लिमों को पीड़ित और पीड़ित हिंदुओं को गुंडा साबित करने की कोशिश की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट में स्पष्ट कहा जा रहा है कि महाशिवरात्रि को लेकर पलामू के पांकी के हिंदू तैयारी कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने चौक पर तोरणद्वार बनाया था। चौक के पास ही मस्जिद स्थित है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जामा मस्जिद के नाम से पहचाने जाने वाली यह मस्जिद हिंदुओं के सहयोग से ही बनाई गई है। लोगों का कहना है कि यह मस्जिद ज्यादा पुरानी भी नहीं है और ना ही आसपास के इलाके में मुस्लिमों की इतनी जनसंख्या है। जहाँ मस्जिद बनाई गई है, वह इलाका हिंदू बहुल है।

तोरणद्वार बनाने के बाद मस्जिद से कुछ मुस्लिम निकल कर आए और इस द्वार को हटाने के लिए कहने लगे। उनका कहना था कि पास में मस्जिद है और मस्जिद के पास तोरणद्वार नहीं बना सकते। इसके लिए हिंदू पक्ष राजी नहीं हुआ और कहा कि वे तोरणद्वार सड़क पर बना रहे हैं, जो कि सरकारी संपत्ति है।

इसके बाद मुस्लिम पक्ष उनके भीड़ गए। बुधवार (14 फरवरी 2023) को एक मुस्लिम ने निरंजन सिंह नाम के एक हिंदू के सिर पर डंडा मार दिया। इस हमले में निरंजन सिंह का सिर फट गया। जिस समय हमला किया गया, उस वक्त वहाँ पुलिस मौजूद थी। कहा जाता कि इसके बाद मस्जिद से हिंदुओं पर पत्थरबाजी की जाने लगी।

इस दौरान दंगाइयों ने 4 घरों, 3 गुमटीनुमा दुकान, 1 कार और 2 बाइक में आग लगा दी। इसके अलावा, 4 गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की। इस हमले में लेस्लीगंज के एसडीपीओ आलोक कुमार टूटी और पांकी थाना के इंस्पेक्टर अरुण महथा समेत 8 लोगों को गंभीर रूप से चोट आई है।

पांकी की भाजपा नेत्री मंजूलता दुबे ने बताया कि मस्जिद से आए दिन हिन्दुओं के कार्यक्रम में खलल डाला जाता रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद कमिटी से जुड़े लोगों द्वारा अक्सर बाजार और आस-पास विवाद पैदा किया जाता है और उसके बाद मारपीट की जाती है।

पांकी के सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश सिंह ने कहा कि हिन्दुओं पर पेट्रोल बम और पत्थर मस्जिद की छत से फेंके जा रहे थे। कमलेश सिंह ने हमें बताया, “न तो आज जुमा था और न ही उस क्षेत्र में मुस्लिमों की इतनी आबादी। न ही घटना का समय किसी नमाज या कार्यक्रम का था, फिर हमलावरों की इतनी भीड़ आई कहाँ से।” उन्होंने इस घटना को सुनियोजित बताया।

पांकी बाजार में घटी घटना को कमलेश सिंह ने गज़वा-ए-हिन्द का ट्रायल बताया। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी पूरे देश में अपनी ताकत को तौल रहे हैं और जहाँ कमी-अधिकता है, उसकी तैयारी कर रहे हैं। वहीं, मंजूलता ने मंजूलता ने ऑपइंडिया को बताया कि एक बार 14 अगस्त को उन्हें पुलिस ने हिरासत में महज इसलिए लिया था, क्योंकि वो तिरंगा लगाने के लिए उस चौक पर जगह चिन्हित कर रहीं थीं। हालाँकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

दरअसल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों के कारण प्रदेश अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या की शरणस्थली बनती जा रही है। यहाँ लव जिहाद और लैंड जिहाद की घटनाओं के साथ हिंदुओं की हत्या आम बात हो गई है। कई जगहों पर आदिवासियों और दलितों को मुस्लिमों की प्रताड़ना के कारण भागना तक पड़ रहा है। हिंदुओं को अपना त्योहार मनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

हिंदू त्योहारों पर मुस्लिमों के हमले झारखंड में आम हो गए हैं। हेमंत सोरेन की तुष्टिकरण की नीति के कारण देवघर में महाशिवरात्रि के दिन पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। इतना ही नहीं, महाशिवरात्रि कमिटी ने शिव बारात के लिए जो रूट तय किया था, उस पर प्रशासन ने रोक लगा दिया है। जिला प्रशासन ने पुराने रूट से ही शिव बारात के आयोजन की इजाजत दी है।

पिछले साल अगस्त में पांडू थाना क्षेत्र के मुरुमातू गाँव में महादलित मुसहर जाति के लोगों पर मुस्लिमों की एक भीड़ ने हमला कर उनके घरों को तोड़ दिया था। टोंगरी पहाड़ी के निकट बसे इन मुसहरों के डेढ़ दर्जन से अधिक कच्चे घर और झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया। मारपीट की गई। इतना ही नहीं, इन जगहों पर कब्जा करने के लिए मुस्लिमों ने घर ध्वस्त करने के बाद उनके सामानों को दो वाहनों पर लादकर छतरपुर के लोटो गाँव के पास जंगल में छोड़ दिया था। 

इसी तरह 6 फरवरी 2022 को हजारीबाग में सरस्वती पूजा के दौरान एक हिंदू बच्चे की मॉब लिंचिंग कर दी गई थी। दरअसल, बच्चे सरस्वती पूजा के बाद प्रतिमा का विसर्जन करने के लिए जा रहे थे। बरही थाना के नईटांड गाँव में लखना दूलमाहा इमामबाड़ा के पास मुस्लिम युवकों ने विसर्जन करने जा रहे लड़कों को रोक लिया। इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट होने लगी। मुस्लिम युवक रूपेश कुमार को तब तक पीटते रहे, जब तक वह बेहोश नहीं हो गया। बेहोशी की हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।

 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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