पलामू के पांकी में जहाँ हुई पत्थरबाजी वहाँ की मस्जिद पर 36 लाउडस्पीकर, शहीद भगत सिंह चौक को ‘मस्जिद चौक’ बताकर करते हैं प्रचारित

झारखंड के पलामू में हुई सांप्रदायिक हिंसा (जमा मस्जिद फाइल फोटो)

झारखंड के पलामू स्थित पांकी बाजार में तोरणद्वार लगाने को लेकर हुई हिंसा के मामले में ऑपइंडिया को ग्राउंड रिपोर्टिंग में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि हिंसा की तैयारी बहुत पहले से की जा रही थी और महाशिवरात्री को लेकर बनाया जा रहा तोरणद्वार के रूप में एक बहाना मिल गया।

लोगों का कहना है कि मस्जिद, जिसे स्थानीय मुस्लिम जामा मस्जिद कहते हैं, से लगभग 200 मीटर की दूरी पर एक प्राचीन हनुमान मंदिर है। यहाँ हर मंगलवार को आरती होती थी। इसकी महिमा को सुनकर लोगों की भीड़ बढ़ती गई। एक समय ऐसा भी आया कि मंगलवार को मंदिर में 200 लोग तक जुटने लगे।

आरती के दौरान लोगों तक आरती आवाज पहुँचाने के लिए मंदिर पर लाउडस्पीकर की व्यवस्था की गई। आसपास के लोग भी भक्तिभाव से भजन आदि बजाने लगे। इसके बाद से मस्जिद कमिटी के लोग इस पर आपत्ति उठाने लगे। उनका कहना था कि इससे उन्हें नमाज पढ़ने में दिक्कत होती है।

वहीं लोगों का कहना था कि उनकी सामूहिक आरती सप्ताह में एक बार होती है और नमाज दिन में पाँच बार। उन्होंने नमाज पर कभी आपत्ति नहीं उठाई तो आरती पर आपत्ति उठाने के कोई औचित्य नहीं है। हिंदुओं का कहना था कि मस्जिद पर 36 लाउडस्पीकर हैं, फिर भी नमाज में दिक्कत कैसे हो सकती है।

हालाँकि, हिंदुओं के आग्रह को मस्जिद कमिटी के लोग नहीं माने और एनामुल, महबूब आदि थाने में लगातार शिकायत देते रहे। इतना ही नहीं, नमाज के वक्त लाउडस्पीकर का वॉल्युम भी फुल कर दिया जाता था। इससे लोगों को कई तरह की परेशानी होने लगी। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि नमाज की आवाज के कारण दुकान में कस्टमर से बात करना मुश्किल हो जाता था। इधर शिकायत और दबाव के बाद पुलिस हिंदुओं को थाने बुलाने लगी।

इसी बात पर आगे चलकर मस्जिद कमिटी के लोगों द्वारा हिंसा को अंजाम दिया गया। हिंसा के लिए हारुन नाम के व्यक्ति के टैक्टर से हिंसा से एक दिन पहले ईंट-पत्थर जुटाए गए थे और उन्हें घरों और मस्जिद की छतों पर रखा गया था। हिंसा के दिन इन्हीं छतों से पथराव किया था।

लोगों का कहना है कि आसपास का सवर्णों का इलाका नहीं है, इसलिए मुस्लिम लगातार वहाँ के हिंदुओं को प्रताड़ित और परेशान करते रहते हैं। हिंदुओं के त्योहारों से लेकर उनकी शादी-ब्याहों में खलल डालते रहते हैं। इस कारण वहाँ के हिंदुओं को डर के साए में जीना पड़ता है।

लोगों का यहाँ तक कहना है कि जिस चौराहे पर मस्जिद बनी है, उसे कट्टरपंथी जबरन मस्जिद चौक करना चाहते हैं। इस नाम को वे लगातार प्रसारित करते हैं। लोगों का कहना है कि इस चौक का नाम शहीद भगत सिंह चौक है और यहाँ भगत सिंह प्रतिमा भी लगी है। इसके बावजूद मस्जिद से जुड़े मुस्लिम इसका नाम बदलने में लगे हैं।

पांकी के हिंदुओं का हालात ये है कि वे अपना नाम तक डर से सार्वजनिक करना नहीं चाहते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति ने बताया कि इस मस्जिद में संदिग्ध लोगों का आना-जाना लगा रहता है। मस्जिद में मदरसा भी है और यहाँ मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं। यहाँ आने वाले संदिग्ध लोगों स्थानीय मुस्लिमों को कट्टरपंथी बना रहे हैं।

एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने ऑपइंडिया को बताया कि लगभग एक साल पहले केरल से एक मुस्लिम यहाँ मस्जिद के मदरसे में आकर रहता था। उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध थी। इसकी सूचना लोगों ने पुलिस को दी और पुलिस उस मौलवी को गिरफ्तार करके ले गई। लोगों का कहना है कि वह कट्टरपंथी बनने की ट्रेनिंग दे रहा था।

बता दें कि पांकी हिंसा में एक और बाहरी मुस्लिम को गिरफ्तार किया गया है। दंगों में शामिल रजीउल्लाह को पुलिस छत्तीसगढ़ के बलरामपुर का रहना वाला है। स्थानीय हिंदुओं को शक है कि रजीउल्लाह भी कट्टरपंथी हो सकता है, जो मदरसा के छात्रों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा होगा।

पांकी बाजार में घटी घटना को कमलेश सिंह ने गज़वा-ए-हिन्द का ट्रायल बताया। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी पूरे देश में अपनी ताकत को तौल रहे हैं और जहाँ कमी-अधिकता है, उसकी तैयारी कर रहे हैं। भाजपा नेत्री मंजूलता दुबे ने बताया कि मस्जिद से आए दिन हिन्दुओं के कार्यक्रम में खलल डाला जाता रहा है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया