व्हीलचेयर से ताकती बेटियाँ… सुप्रीम कोर्ट के 50वें CJI बने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: सबसे लंबे समय तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं पिता भी

अपनी पत्नी और बेटियों के साथ नए CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (फोटो साभार: Indian Express/Tashi Tobgyal)

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। इस दौरान उनके परिवार की तस्वीरें भी मीडिया में सामने आई हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी व बेटे के अलावा दो गोद ली हुई बच्चियाँ भी हैं। सामने आई मंगलवार (8 नवंबर, 2022) की तस्वीर में तीनों अपने घर में हँसी-ख़ुशी बातचीत करते दिख रहे हैं। उनकी बेटियाँ व्हीलचैर पर दिख रही हैं। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने इंटरव्यू के दौरान ये तस्वीरें ली। बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें नए CJI की शपथ दिलाई। उनके पिता भी फरवरी 1978 से लेकर जुलाई 1985 तक CJI (सुप्रीम कोर्ट के 16वें मुख्य न्ययाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़) रहे हैं।

11 अक्टूबर को ही तत्कालीन CJI यूयू ललित ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का नाम अगले मुख्य न्यायधीश के रूप में प्रस्तावित किया था, जिसे 17 अक्टूबर को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक इस पर पर बने रहेंगे। पिछले एक दशक से कोई भी मुख्य न्यायाधीश इतने दिन तक पद पर नहीं रहे। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू भी इस शपथग्रहण समारोह में मौजूद रहे।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के साथ-साथ सामाजिक एकजुटता बनाए रखने को भी वो अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता होगी कि अपने नेतृत्व से उदाहरण पेश करना। उन्होंने बताया कि इलाहाबद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के दिनों से ही वो मानते आ रहे हैं कि एक चीफ जस्टिस कभी न्यायिक कार्यों को नहीं छोड़ सकता। उन्होंने कहा कि जज के कार्यों को करने पर उनका मुख्य ध्यान रहेगा।

उन्होंने कहा कि मौजूदा न्यायिक व्यवस्था ब्रिटिश काल पर ही आधारित है, ऐसे में उनका प्रयास ये रहेगा कि एक सामान्य व्यक्ति को न्यायपालिका के करीब लाना। उन्होंने कहा कि जनता के वास्तविक समस्याओं पर ध्यान देना और पिछले कुछ दशक में जनता का जो विश्वास न्यायपालिका पर बना है, उसे बनाए रखना उनका मुख्य दायित्व होगा। एक मामले में उन्हें अपने पिता के निर्णय को पलटना पड़ा था। उन्होंने कहा कि एक जज के रूप में उन्हें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना प्रशिक्षित किया जाता है और जो सही है वही करना पड़ता है।

उन्होंने न्यायपालिका में विवधिता लाने की बात करते हुए कहा कि आज का सुप्रीम कोर्ट 40 वर्ष पहले के लीगल सिस्टम का उत्पाद है, जब उन जैसे कई लोग बार में शामिल हुए थे। कॉलेजियम सिस्टम पर उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी संस्था परफेक्ट होने का दावा नहीं कर सकती, ऐसे में व्यवस्था में सुधार होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि जजमेंट लिखते समय वो ये भी ध्यान रखते हैं कि ये एकदम से कठिन लीगल भाषा में न हो, क्योकि इसे पढ़ने वाले जज और वकील के अलावा आम लोग भी हो सकते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया