काउंट डाउन शुरू: 4 दिन में आ सकते हैं ये बड़े फैसले, CJI की रिटायरमेंट को अब कुछ ही दिन शेष

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

सालों से ठंडे बस्ते में पड़े अयोध्या जैसे विवादित मामले पर माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर से पहले अपना फैसला सुना देगी। देखा जाए तो सीजेआई की रिटायरमेंट से पहले अब इस फैसले को आने में बहुत कम दिन शेष हैं। इसमें भी अगर छुट्टियों को निकाल दिया जाए तो जस्टिस गोगोई पर फैसला सुनाने के लिए कार्यदिवसों में केवल 4 दिन बचते हैं।

हालाँकि, अयोध्या मामले पर फैसला सुर्ख़ियों में रहने के कारण इस समय इसे सबसे महत्तवपूर्ण बताया जा रहा है। लेकिन इसके अलावा कुछ और ऐसे मामले हैं जिनकी सुनवाई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसका मतलब है कि यदि देखा जाए तो इन्हीं 4 कार्यदिवसों में हमें अयोध्या समेत इन मामलों पर 17 नवंबर से पहले फैसला सुनने को मिल सकता है। ये मामले कौन से हैं, आइए जानते हैं…

1.अयोध्या मामला

लंबे समय से विवादों का हिस्सा रहा राम-जन्मभूमि मामला अब जल्द ही सुलझ सकता है। 17 तारीख से पहले रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा इसपर फैसला सुनाने की पूरी संभावना है। इसके मद्देनजर समाज में हर समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है और नसीहत दी जा रही है कि इसपर बेवजह की बयानबाजी करने से भी बचें।

2. सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश-

कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव ठहराते हुए रद्द किया था। हालाँकि, ये फैसला 4-1 के बहुमत से था। जिसमें जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने बहुमत से असहमति जताई थी। लेकिन फैसला आने के बाद अयप्पा अनुयायी इस फैसले का भारी विरोध करने लगे। नतीजतन इसके ख़िलाफ़ 55 पुनर्विचार याचिकाओं सहित कुल 65 याचिकाएँ कोर्ट में दर्ज हुई। जिसपर सुनवाई करते हुए बीती 6 फरवरी को CJI गोगोई, जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​ने 45 से अधिक समीक्षा याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

3. राहुल गाँधी द्वारा अवमानना किए जाने पर माफी माँगने का मामला

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के चौकीदार चोर है बयान पर उनके खिलाफ लंबित अवमानना मामले में उन्हें माफी दिए जाने पर भी फैसला आना बाकी है। जिसमें भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने उन्हें माफी न देने की अपील कोर्ट से की है और कहा है कि इसके लिए केवल माफी काफी नहीं है बल्कि उन्हें सजा दी जानी चाहिए।

4. राफेल सौदे पर पुनर्विचार

दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल फाइटर जेट सौदे में आपराधिक जाँच से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ याचिकाएँ दायर हुई थीं। CJI गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस साल मई में इन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब सीजेआई को रिटायरमेंट से पहले इसपर सुनवाई करना है।

5. आरटीआई के दायरे में सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई का ऑफिस ‘लोक प्राधिकार’ है या नहीं

एक दशक से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित पड़े इस मामले पर भी फैसला आने की पूरी संभावना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी और CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अप्रैल 2019 के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने फैसला सुनाया था कि CJI का कार्यालय RTI जाँच के लिए खुला है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया