विकास दुबे ने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को मारा, मंत्री की हत्या की: 60 से अधिक मामले लेकिन ख़ौफ इतना कि किसी ने गवाही नहीं दी

विकास दुबे कानपुर एनकाउंटर की जाँच के लिए SIT गठित

कानपुर एनकाउंटर में 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या करने वाला विकास दुबे को उज्जैन में गिरफ्तार कर लिया गया है। 2 जुलाई को की गई वारदात कोई पहली वारदात नहीं है। इससे पहले भी विकास दुबे ने कई ऐसे खूँखार वारदातों को अंजाम दिया है। जिसको याद करके आज भी कानपुर के लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है। ऐसा ही एक ख़ौफनाक वारदात विकास दुबे ने स्कूली दौर में किया था। जहाँ उसने अपने प्रिंसिपल को ही मौत के घाट उतार दिया था।

कानपुर के लोग विकास दुबे को गुनाह और दरिंदगी का दूसरा चेहरा मानते हैं। आजतक के रिपोर्ट के अनुसार विकास दुबे ने स्कूल में पढ़ते समय ही वहाँ के प्रिंसिपल की बर्बरतापूर्ण हत्या कर दी थी। स्कूल केे प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडेय काफी बुजुर्ग थे। प्रिंसिपल ने विकास के आगे बहुत हाथ पाँव जोड़े। जान बख्शने के लिए विकास से काफ़ी मिन्नतें भी की। मगर विकास का दिल बिल्कुल नहीं पसीजा। और उन्हें तड़पा-तड़पा कर मार दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सन् 2000 में ताराचंद इंटर कॉलेज की जमीन को विकास कब्जा करना चाहता था। जहाँ उसे उस जमीन पर मार्किट बनाना था। लेकिन प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे इस काम में उसके लिए काँटा बने हुए थे। और इसी वजह से विकास ने उन्हें रास्ते से हटा दिया। प्रिंसिपल के बेटे राजेंद्र पांडे ने उस घटना को याद करते हुए बताया कि इस वारदात के 4 गवाह थे। मगर विकास ने अपने पैसे और ख़ौफ के दम पर सभी को चुप करा दिया था। विकास दुबे को हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा हुई थी। लेकिन बाद में उसे आसानी से जमानत मिल गई। बता दें प्रिंसिपल की बेरहमी से हत्या करने के बाद विकास ने उनके खून को अपने हाथों में भी मला था।

वहीं एक बार विकास दुबे ने कानपुर थाने के अंदर 5 सब इंस्पेक्टर और 25 सिपाही के सामने एक दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री को गोलियों से भून दिया था। चश्मदीद गवाह होने के बावजूद डर के कारण किसी भी पुलिसवाले ने तब उसके खिलाफ अदालत में गवाही नहीं दी थी।

विकास की ऐसी हरकतों से उसकी दरिंदगी का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। बीते 30 वर्षों से ज्यादा समय से कानपुर और पास के जिलों में विकास दुबे का खौफ है। और कितने ही रसूखदार लोगों की हत्या के पीछे विकास दुबे का नाम भी है। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर विभिन्न मामलों सहित करीब 60 आपराधिक मामले दर्ज है।

जिसके चलते विकास दुबे कई बार जेल जा चुका था। लेकिन उसका खौफ लोगों में ऐसा था कि कोई सबूत मजबूती से उसके सामने खड़ा ही नहीं हो पाया। न प्रशासन के लोग, न जनता और न ही किसी और ने डर के मारे विकास दुबे के बारे में कुछ बोला या कभी मुँह खोला।

पुलिस की हत्या करने का जघन्य अपराध करने के बाद भी डर के कारण विकास दुबे के खिलाफ़ कोई भी गाँव वाला बोलने के लिए सामने नहीं आया। यहाँ तक कि जब पुलिस उसके घर पर बुलडोजर चला रहीं थी, तब भी कोई गाँव वाला घर से बाहर यह देखने भी नहीं निकला कि आख़िर हो क्या रहा है।

गौरतलब है कि 155 घंटे से फ़रार चल रहा कानपुर एनकाउंटर का मुख्य आरोपित विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार कर लिया गया है। ख़बरों के मुताबिक़ वह उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करने के लिए भीतर दाख़िल हो रहा था तभी उसे मंदिर के एक सुरक्षाकर्मी ने पहचाना। जिसके बाद उसने इस मामले की सूचना पुलिस को दी।

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गिरफ्तारी के ठीक बाद उसने खुद ही अपनी पहचान बताई। इस घटना का एक वीडियो है, जिसमें पुलिस उसे पकड़ कर ले जा रही है। तभी वह चिल्ला कर कहता है, “मैं विकास दुबे हूँ, कानपुर वाला।” ऐसा कहने के ठीक बाद पीछे खड़े पुलिसकर्मी ने उसे एक थप्पड़ भी मारा और शांत रहने के लिए कहा।

इससे पहले विकास दुबे के दो साथी आज एनकाउंटर में ढेर हो गए। प्रभात मिश्रा पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था, जिसके बाद एनकाउंटर में उसे ढेर कर दिया गया। प्रभात मिश्रा को बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा विकास दुबे गैंग का एक और मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बउअन शुक्ला भी इटावा में ढेर हो गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया