कर्नाटक में स्कूल का विवाद कॉलेज तक पहुँचा, हिजाब में पहुँचीं 20 मुस्लिम छात्राएँ: प्राचार्य ने कहा – यूनिफॉर्म में आओ

उडुपी के एक और कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को गेट पर रोका गया (फोटो साभार: ANI)

कर्नाटक के उडुपी के स्कूल से शुरू हुआ हिजाब विवाद पूरे कर्नाटक में फैल गया है। गुरुवार (3 फरवरी 2022) सुबह कर्नाटक के उडुपी जिले के कुंडापुर के भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी 20 से अधिक छात्राओं को कालेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि कॉलेज में बुर्का या हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को ‘भंडारकर्स कालेज’ के प्राचार्य ने प्रवेश द्वार पर रोक दिया। 

प्राचार्य ने छात्राओं से कहा कि शासन के आदेश व कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आना होगा। इस पर छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब में कालेज आ रही हैं, और उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन प्राचार्य ने उनके कालेज में प्रवेश से इनकार कर दिया।

मुस्लिम छात्राओं के अभिभावकों के साथ भाजपा विधायक हालादि श्रीनिवास शेट्टी की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर बैठक बेनतीजा रही। शेट्टी ने अब राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की माँग की है। शिक्षा मंत्री ने कालेज के अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कह दिया है कि छात्राएँ केवल यूनिफार्म में आ सकती हैं। न तो वे हिजाब पहनकर आ सकती हैं और न ही भगवा शाल की अनुमति दी जाएगी।

इससे पहले चिक्कमंगलुरु के एक कालेज में हिजाब पहनकर आने वाली लड़कियों के खिलाफ विरोध करते हुए कालेज के छात्र भगवा रंग का शॉल पहन कर कालेज पहुँचे थे। इसे लेकर मंगलवार को कई छात्रों ने धरना भी दिया। इसके बाद पुलिस ने कालेज परिसर में प्रवेश किया और स्थिति को नियंत्रित में लिया। विरोध के बीच कालेज के प्राचार्य एमजी उमाशंकर ने छात्रों को आंदोलन वापस लेने के लिए राजी किया था।

जनवरी में चिकमंगलूर के कुछ स्टूडेंट्स ने कैंपस में हिजाब पहनने वाली लड़कियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए भगवा शॉल पहनना शुरू कर दिया था। यह मामला अब पूरे राज्य में फैल चुका है। हिजाब बनाम भगवा गमछा बन चुका यह विरोध अब तक हुबली, उडुपी, कुंडापुर के स्कूल और कॉलेज में सामने आ चुका है। जहाँ हिजाब के विरोध में स्टूडेंट्स भगवा शॉल या गमछा पहनकर कैंपस में आ रहे हैं।

वहीं श्रीराम सेना के अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक ने मंगलवार (1 फरवरी) को कहा कि हिजाब पहनकर कॉलेज आने वालों को बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए। मुतालिक ने कहा, यह उन्हें (छात्राओं को) आतंकवादी के स्तर पर ले जाने की मानसिकता है। आज वे हिजाब कह रहे हैं, कल बुर्का माँगेंगे, फिर नमाज और मस्जिद पर अडेंगे। यह स्कूल है या आपका धार्मिक केंद्र है?”

कुछ इस तरह से शुरू हुआ था हिजाब पर विवाद

बता दें कि कर्नाटक में हिजाब पहनने पर विवाद की शुरुआत उडुपी जिले के सरकारी पीयू कालेज में मुस्लिम समुदाय की 6 छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न करने देने से हुआ था। इसके चलते हिजाब पहनने वाली छात्राओं को ऑनलाइन क्लास का विकल्प अपनाने को कहा गया था। छात्राओं ने कालेज के फैसले को मानने से इनकार कर दिया था और हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका भी दायर की है। इसके साथ ही छात्राओं ने इस फैसले के विराध में कक्षाओं का बहिष्कार कर रखा है।

भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया