SC का CPI(M) नेताओं के खिलाफ 2015 विधानसभा हिंसा मामले को वापस लेने से इनकार, केरल सरकार को लगाई लताड़

सच्चर कमिटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने केरल विधानसभा में हंगामा करने वाले माकपा CPI(M) के विधायकों को राहत देने से इनकार कर दिया। ये मामला साल 2015 का है, जब राज्य में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की सरकार थी। राज्य सरकार ने केरल हाई कोर्ट के 12 मार्च के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और याचिका दाखिल कर विधायकों के खिलाफ केस वापस लेने की इजाजत माँगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 जुलाई 2021) को कहा कि चुने हुए प्रतिनिधियों के सदन में अनियंत्रित व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है और उन्हें सदन के अंदर सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के लिए मुकदमे का सामना करना होगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया और आगे की सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तारीख तय की है। कोर्ट ने विधायकों द्वारा विधानसभा में माइक तोड़ने और हंगामा करने पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, “ये संगीन मामला है। विधायकों पर मुकदमा चलना चाहिए। आपने पब्लिक प्रॉपर्टी को बर्बाद किया है। आप जनता को क्या संदेश देना चाह रहे हैं।” 

सुप्रीम कोर्ट ने माकपा के नेतृत्व वाली केरल सरकार को याचिका दायर करने पर फटकार लगाई। आरोपितों में राज्य के पूर्व मंत्री केटी जलील और ईपी जयराजन शामिल हैं। केरल सरकार ने मामलों को वापस लेने के लिए राज्य के अभियोजन को अनुमति देने से इनकार करने के केरल हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने केरल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार से कहा कि प्रथम दृष्टया पीठ का विचार है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के इस तरह के व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता और उन्हें मुकदमे का सामना करना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संगीन मामला है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि विधायकों के खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आपने पब्लिक प्रॉपर्टी को बर्बाद किया है। ये वे विधायक हैं जिन्होंने स्पीकर के मंच पर तोड़फोड़ की, उनकी कुर्सी को उखाड़ फेंका और माइक सिस्टम और कंप्यूटर को बाहर निकाल फेंका और अब राज्य सरकार चाहती है कि मामला वापस ले लिया जाए? राज्य उनका समर्थन कर रहा है? प्रथम दृष्टया हमारा विचार है कि उन्हें मुकदमे का सामना करना चाहिए। इस तरह के व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है।” इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने भी प्रदेश सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुकदमा वापस लेने की इजाजत नहीं दी थी।

गौरतलब है कि केरल विधानसभा में बजट पेश करने के दौरान हंगामा हुआ था। हंगामे का ये मामला साल 2015 का है। हंगामे के दौरान कुछ विधायकों ने माइक तोड़ दिए थे और एक-दूसरे पर हमला करने की कोशिश भी की थी। इस घटना को लेकर विधायकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जिस पर निचली अदालत में सुनवाई चल रही है। अब केरल सरकार विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना चाहती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया