Friday, March 29, 2024
Homeदेश-समाजSC का CPI(M) नेताओं के खिलाफ 2015 विधानसभा हिंसा मामले को वापस लेने से...

SC का CPI(M) नेताओं के खिलाफ 2015 विधानसभा हिंसा मामले को वापस लेने से इनकार, केरल सरकार को लगाई लताड़

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 जुलाई 2021) को कहा कि चुने हुए प्रतिनिधियों के सदन में अनियंत्रित व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है और उन्हें सदन के अंदर सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के लिए मुकदमे का सामना करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केरल विधानसभा में हंगामा करने वाले माकपा CPI(M) के विधायकों को राहत देने से इनकार कर दिया। ये मामला साल 2015 का है, जब राज्य में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की सरकार थी। राज्य सरकार ने केरल हाई कोर्ट के 12 मार्च के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और याचिका दाखिल कर विधायकों के खिलाफ केस वापस लेने की इजाजत माँगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 जुलाई 2021) को कहा कि चुने हुए प्रतिनिधियों के सदन में अनियंत्रित व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है और उन्हें सदन के अंदर सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के लिए मुकदमे का सामना करना होगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया और आगे की सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तारीख तय की है। कोर्ट ने विधायकों द्वारा विधानसभा में माइक तोड़ने और हंगामा करने पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, “ये संगीन मामला है। विधायकों पर मुकदमा चलना चाहिए। आपने पब्लिक प्रॉपर्टी को बर्बाद किया है। आप जनता को क्या संदेश देना चाह रहे हैं।” 

सुप्रीम कोर्ट ने माकपा के नेतृत्व वाली केरल सरकार को याचिका दायर करने पर फटकार लगाई। आरोपितों में राज्य के पूर्व मंत्री केटी जलील और ईपी जयराजन शामिल हैं। केरल सरकार ने मामलों को वापस लेने के लिए राज्य के अभियोजन को अनुमति देने से इनकार करने के केरल हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने केरल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार से कहा कि प्रथम दृष्टया पीठ का विचार है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के इस तरह के व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता और उन्हें मुकदमे का सामना करना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संगीन मामला है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि विधायकों के खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आपने पब्लिक प्रॉपर्टी को बर्बाद किया है। ये वे विधायक हैं जिन्होंने स्पीकर के मंच पर तोड़फोड़ की, उनकी कुर्सी को उखाड़ फेंका और माइक सिस्टम और कंप्यूटर को बाहर निकाल फेंका और अब राज्य सरकार चाहती है कि मामला वापस ले लिया जाए? राज्य उनका समर्थन कर रहा है? प्रथम दृष्टया हमारा विचार है कि उन्हें मुकदमे का सामना करना चाहिए। इस तरह के व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है।” इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने भी प्रदेश सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुकदमा वापस लेने की इजाजत नहीं दी थी।

गौरतलब है कि केरल विधानसभा में बजट पेश करने के दौरान हंगामा हुआ था। हंगामे का ये मामला साल 2015 का है। हंगामे के दौरान कुछ विधायकों ने माइक तोड़ दिए थे और एक-दूसरे पर हमला करने की कोशिश भी की थी। इस घटना को लेकर विधायकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जिस पर निचली अदालत में सुनवाई चल रही है। अब केरल सरकार विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना चाहती है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इधर मुख्तार अंसारी की मौत, उधर 14 साल बाद मन्ना सिंह की तस्वीर पर चढ़ी माला: गाजीपुर में दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया था,...

मन्ना सिंह की हत्या 29 अगस्त 2009 को मऊ जनपद के गाजीपुर तिराहे पर हुई थी। हत्या के साजिशकर्ता में मुख्तार अंसारी का नाम था।

दिल्ली के जिस मेडिकल कॉलेज की 13 छात्राओं ने प्रोफेसर सलीम शेख पर लगाया यौन शोषण का आरोप, उसकी फाइल 45 दिन से दबाकर...

दिल्ली के उपराज्यपाल दफ्तर ने कहा है कि यौन शोषण के एक मामले में कार्रवाई पर CM अरविन्द केजरीवाल कोताही बरत रहे हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe