केरल नन रेप केस में आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल की जमानत याचिका हुई खारिज, करना होगा ट्रायल का सामना

बिशप फ्रैंको मुलक्कल की जमानत याचिका खारिज (फाइल फोटो)

केरल हाई कोर्ट ने नन रेप मामले में आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। आरोपित बिशप ने खुद को इस मामले में बरी करने की अपील की थी। न्यायमूर्ति वी शिरसी ने मंगलवार (जुलाई 7, 2020) को जालंधर क्षेत्र के बिशप को निर्देश दिया कि रेप मामले में वह ट्रायल का सामना करे। 

फ्रेंको ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उसे दोषी साबित करने के लिए सबूतों की कमी है। यह दलील दी गई कि गवाहों के दर्ज बयानों में विरोधाभास था और इसलिए मामले को आगे बढ़ाने के लिए कोई सबूत नहीं है।

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हालाँकि, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि फ्रेंको जानबूझकर मामले के मुकदमे में देरी करने की कोशिश कर रहा था। इस मामले में बिशप के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। FIR और पीड़िता द्वारा दिए गए गुप्त बयान में बिशप के घिनौने कृत्य के स्पष्ट प्रमाण हैं।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति शर्की वी की एकल पीठ ने बिशप की याचिका खारिज करते हुए अभियोजन के इस तर्क को स्वीकार किया कि रेप के मामले में मुलक्कल के खिलाफ प्रथम दृष्ट्या पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। इस वर्ष मार्च में निचली कोर्ट द्वारा बरी किए जाने की याचिका खारिज करने के बाद रोमन कैथोलिक गिरजाघर के वरिष्ठ पादरी ने समीक्षा याचिका दायर की।

गौरतलब है कि बिशप के खिलाफ कोट्टायम जिले में पुलिस ने रेप का मामला दर्ज किया था। हाई कोर्ट में दायर याचिका में पादरी ने कहा कि जब उन्होंने पीड़िता नन से वित्तीय लेन-देन को लेकर सवाल किया तो उसने उन्हें फँसा दिया।

पुलिस को जून 2018 में दी गई शिकायत में नन ने आरोप लगाए थे कि 2014 से 2016 के बीच बिशप ने उसका कई बार यौन शोषण किया। 2018 में पुलिस की एक विशेष जाँच टीम द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद बिशप ने 40 दिन जेल में बिताए। इसके बाद उसे जमानत मिल गई थी।

उल्लेखनीय है कि इस मामले की प्रमुख गवाहों में से एक सिस्टर लिसी ने पिछले दिनों आरोप लगाया था कि उनके वरिष्ठ लोग लगातार उन पर फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ दिए गए बयान को बदलने के लिए दबाव डाल रहे हैं। वहीं आरोपित बिशप को नोटिस जारी करने के बाद केरल पुलिस के एक अधिकारी का तत्काल तबादल कर दिया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया