‘महिला दलित है, कौन उसे छुएगा’ कहकर यौन शोषण के आरोपित को जमानत देने वाले केरल के जज का लेबर कोर्ट में तबादला, कपड़ों पर भी की थी आपत्तिजनक टिप्पणी

यौन शोषण के आरोपित को जमानत देने वाले केरल के जज का लेबर कोर्ट में तबादला

यौन शोषण के दो मामलों में एक आरोपित को जमानत देते हुए विवादास्पद टिप्पणी करने वाले केरल के कोझीकोड जिला एवं सत्र न्यायालय के जज एस कृष्णकुमार का तबादला कोल्लम की लेबर कोर्ट में पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्होंने यौन उत्पीड़न के मामलों के आरोपित को जमानत देते हुए अपनी टिप्पणी में कहा था कि महिला अनुसूचित जाति की है कौन उसे छुएगा।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, केरल हाई कोर्ट की ओर से जारी ट्रांसफर आदेश के अनुसार, मंजरी के जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुरली कृष्ण एस, कोझिकोड के नए जिला एवं सत्र न्यायाधीश होंगे। बता दें कि जज कृष्ण कुमार की विवादित टिप्पणियों व फैसले के खिलाफ केरल सरकार हाईकोर्ट गई थी। वहीं हाईकोर्ट द्वारा जारी तबादला आदेश में कहा गया है कि ये तबादले नियमित प्रक्रिया के तहत किए गए हैं। क्योंकि दो अन्य जजों के भी तबादले किए गए हैं।

बता दें कि यौन शोषण के दो मामलों में आरोपित सिविक चंद्रन की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर पीड़िताओं के संबंध में कृष्ण कुमार की ओर से की गई टिप्पणी से विवाद पैदा हो गया था। लेखक और सोशल एक्टिविस्ट चंद्रन पर एक दलित महिला के यौन शोषण का आरोप है।

सेशन कोर्ट द्वारा चंद्रन को दी गई अग्रिम जमानत खारिज करने का अनुरोध करते हुए केरल सरकार ने हाई कोर्ट का रुख किया है। सरकार ने दलील दी है कि निचली अदालत का फैसला अवैध और त्रुटिपूर्ण है तथा हाईकोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।

गौरतलब है कि पीड़िता के कपड़ों पर भी जज ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। आरोपित चंद्रन को जमानत देते हुए न्यायाधीश कृष्ण कुमार ने दो अगस्त को सुनाए फैसले में कहा था कि आरोपित समाज सुधारक है और जातिप्रथा का विरोधी है इसलिए यह मानना कठिन है कि उसने अनुसूचित जाति की पीड़िता का यौन शोषण किया होगा। उन्होंने कहा था कि जातीय व्यवस्था को देखते हुए यह अविश्वसनीय है कि वह अनुसूचित जाति की महिला को छु भी सकता है।

वहीं चंद्रन को जमानत देते हुए जज ने पीड़िता के कपड़ों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि महिला ने खुद ऐसे कपड़े पहने थे जो यौन उत्तेजक थे। बता दें कि चंद्रन ने जमानत याचिका के साथ महिला की तस्वीरें भी अदालत में पेश की थीं। जिला कोर्ट ने जमानत आदेश में कहा था कि जमानत याचिका के साथ पेश की गई तस्वीरों से पता चलता है कि शिकायतकर्ता खुद ऐसे कपड़े पहने हुए थी, जो उत्तेजक थे। इसलिए आरोपित के खिलाफ धारा-354 A का केस नहीं बनता।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया