दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बार फिर से किसानों का जमावड़ा हुआ है। ‘किसान मजदूर महापंचायत’ में 10,000 से भी अधिक किसान पहुँचे। इनमें सिख किसानों का बोलबाला रहा और महिलाएँ भी शामिल हैं। ‘मोदी सरकार मुर्दाबाद’ के नारे लगाए गए। बहादुरगढ़ के रास्ते टिकरी बॉर्डर होते हुए हुए ये किसान दिल्ली पहुँचे और गुरुवार (13 मार्च, 2024) को ये विरोध प्रदर्शन किया। टिकरी बॉर्डर पर दिल्ली या हरियाणा की पुलिस ने इन्हें नहीं रोका। हालाँकि, आंदोलन की सूचना को लेकर जवान अलर्ट पर थे।
इनमें अधिकतर किसान BKU (उग्राहा) संगठन के थे। न सिर्फ 250 से अधिक वाहनों, बल्कि ट्रेन और बसों के माध्यम से भी कई किसान दिल्ली पहुँचे। टिकरी बॉर्डर पर इसे देखते हुए अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी तैनात किया गया था, लेकिन किसानों के साथ कोई रोकटोक नहीं की गई। आंदोलन में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, बिजली बिल संशोधन की वापसी, लेबर कोड रद्द किए जाने, किसानों पर लगे मुकदमे खारिज करवाने, मनरेगा के काम 200 दिन मिलने और 600 रुपए प्रतिदिन दिहाड़ी किए जाने की माँग की गई।
‘पगड़ी संभाल जट्टा संघर्ष समिति’ के कई सदस्य तो एक सप्ताह पहले से ही दिल्ली पहुँचे हुए थे। अग्रोहा से निकलने के बाद लांधड़ी टोल प्लाजा पर उन्हें रोक लिया गया था, लेकिन उनमें से कई दिल्ली पहुँचने में कामयाब रहे। जहाँ रोका गया, वहाँ भी किसानों ने मोर्चा जमा दिया था। बताया जा रहा है कि इस आंदोलन में 400 संगठन शामिल हैं। ये महापंचायत 1 दिन की ही है। पुलिस और MCD ने उन्हें इस शर्त पर अनुमति दी कि वो ट्रैक्टर लेकर नहीं आएँगे और उनके पास कोई हथियार भी नहीं होगा।
#WATCH | Farmers gather at Delhi's Ramlila Maidan to hold 'Kisan Mahapanchayat' to press for their demands including MSP law pic.twitter.com/fmDB2iG0Gv
— ANI (@ANI) March 14, 2024
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के बैनर तले आगे की आंदोलन की रूपरेखा भी तय की जा रही है। पंजाब में शंभू बॉर्डर पर भी आंदोलन अब तक जारी है। SKM का कहना है कि उस आंदोलन में उसके किसान शामिल नहीं हैं। पिछले किसान आंदोलन में दर्ज केस वापस लिए जाने और किसानों की मौत का दावा करते हुए उनके परिजनों को मुआवजा दिए जाने की माँग भी की जा रही है। भूमि अधिग्रहण कानून के कुछ हिस्से को भी किसान विरोधी बता कर उसे बदलने की माँग की जा रही है।