वामपंथी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए किसानों को सिख धर्म और गुरु गोविंद सिंह के नाम पर उकसाया: मीडिया रिपोर्ट

किसानों को भड़काने में वामपंथी संगठनों की भी है भूमिका (प्रतीकात्मक तस्वीर)

समाचार चैनल ‘इंडिया टीवी’ पर प्रसारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों का विरोध एक स्वत: आंदोलन नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ वामपंथी संगठनों द्वारा सावधानीपूर्वक रची गई साजिश है

अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने वामपंथी झुकाव वाले संगठनों द्वारा किए गए उन अपराधी मानसिकताओं और विस्तृत योजनाओं से अवगत कराया, जिसमें उन्होंने किसानों को मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए उकसाया था।

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शर्मा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के विरोधी राजनीतिक दल किसानों को गुमराह करने के लिए झूठ और दुष्प्रचार का सहारा ले रहे हैं। उनका कहना है कि तीन नए कृषि कानून उनके हितों के खिलाफ हैं। शर्मा ने पंजाब के विभिन्न शहरों में कई किसानों से बात की, जिन्होंने मौजूदा शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में वामपंथी संगठनों के शामिल होने की बात कबूल की।

शर्मा ने कहा कि वामपंथियों द्वारा भोले-भाले किसानों को केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर पहुँचाने के लिए ढेर सारी चालें और तरकीबें अपनाई गई। मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश उत्पन्न करने के लिए पंजाब के दूर-दराज गाँव में हुई मौत की फोटो लगाकर अफवाह फैलाई जा रही है कि किसान विरोध प्रदर्शन करते हुए शहीद हो गए। यह भी झूठ फैलाया जा रहा है कि किसान मर रहे हैं और सरकार तमाशा देख रही है।

शर्मा ने कहा, “किसानों को सिख धर्म का हवाला दिया जा रहा है। कृषि कानूनों के विरोध के लिए गुरु गोविंद सिंह के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेफ्ट पार्टियों के लोग लगातार मुहिम चला रहे हैं और जो लोग इस तरह की बातों का विरोध करते हैं, उन्हें कौम का दुश्मन बताकर उनके सामाजिक बहिष्कार की अपील की जाती है। और ये सब हो रहा है किसान आंदोलन के नाम पर। ये सब हरकतें वे लोग कर रहे हैं जो खुद को किसानों का सबसे बड़ा हितैषी बता रहे हैं।”

किसानों को विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए सिख धर्म और गुरु गोविंद सिंह का नाम लेकर की गई अपील

उन्होंने कहा कि किसानों ने उन्हें बताया कि ये आंदोलन 1-2 दिन या हफ्ते का नहीं है, बल्कि पंजाब के गाँव में वामपंथी दलों के लोग पिछले पाँच महीनों से आंदोलन की हवा बना रहे थे। किसानों को भड़का रहे थे। पंजाब में वामपंथी दलों के लोग कृषि कानूनों का इस्तेमाल अपनी खोई राजनीतिक जमीन को वापस लाने के लिए कर रहे हैं। नए कानूनों के बारे में डराने-धमकाने का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किसानों को यह विश्वास दिलाने के लिए किया गया था कि सरकार उनकी जमीनों पर कब्जा कर लेगी।

संगरूर के एक किसान विजेंद्र सिंह ने बताया कि किस तरह से वामपंथी संगठन विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए अपने गाँवों में किसानों को बेवकूफ बनाया। उन्होंने कहा कि जब लोगों ने नए कृषि बिलों के बारे में फैलाए गए झूठ को नहीं माना तो वामपंथियों ने सिख धर्म और गुरु गोविंद सिंह का हवाला देकर उन्हें विरोध प्रदर्शन में शामिल करने की कोशिश की। 

किसानों ने ही किया उकसाने वाले वामपंथी प्रोपेगेंडा को उजागर

किसान विजेंद्र सिंह ने कहा-

“मालवा बेल्ट किसानों के किसान संघ इस क्षेत्र में बहुत बोलबाला रखते हैं और इन सभी का वामपंथी संगठनों से मजबूत संबंध है। शुरू में जब तीन कृषि विधेयकों को पारित किया गया था, तब इन संगठनों ने गाँवों में प्रचार करना शुरू कर दिया था कि मोदी सरकार ने ‘काले कानून’ लागू किए हैं और ये कानून हमारे खेत की उपज को नष्ट कर देंगे और हमारी जमीनें कॉरपोरेट्स को दे देंगे। हालाँकि उन लोगों ने जब कानून को ध्यान से देखा तो पाया कि हंगामा ज्यादा मचाया जा रहा है, वैसा कुछ है नहीं। इसके बाद वामपंथी दलों ने सिख और गुरु गोविंद सिंह का नाम लेना शुरू किया।”

सिंह आगे कहते हैं, “उन्होंने महसूस किया कि लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल नहीं हो रहे थे, तो वामपंथी संगठनों ने विरोध प्रदर्शनों को सिख गौरव से जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने यह कहते हुए लोगों को उकसाया कि गुरु गोविंद सिंह ने मुगलों से जमीनें छीन लीं। हम मुगलों से नहीं डरे तो यह मोदी क्या चीज है। हम मोदी की गर्दन पर घुटना रखकर गुदा मार देंगे। इसको हम छोड़ेंगे नहीं। वामपंथियों ने इस तरह से लोगों को भड़काना शुरू कर दिया।”

विजेंद्र सिंह ने बताया कि वामपंथी नेताओं ने किसान आंदोलन के नाम पर पैसा भी लिया। प्रति एकड़ 200 रुपए के हिसाब से पैसा इकट्ठा किया गया। इसी पैसे का अस्तेमाल दिल्ली में आंदोलन खड़ा करने के लिए किया गया। उन्होंने कहा, “हमारे गाँव में जो कॉमरेड लीडर है, उसने प्रति एकड़ के हिसाब से 200-200 रुपए इकट्ठा करवाए और लाखों का चंदा लेकर वे दिल्ली गए हैं। इधर गाँव में ढाई रुपए की एक खाली बोतल उसने ली है और उसमें पानी भर भर कर 20-20 रुपए की बोतलें दिखा दीं। इस तरह से गाँव को भी चूना लगा रहे हैं। ज्यादातर लेफ्ट का कैडर वहाँ बैठा है।”

सिंह कहते हैं, “मैं ये नहीं कहता कि वहाँ किसान नहीं बैठे हैं, किसान भी बैठे हैं, लेकिन ज्यादातर ऐसे किसान बैठे हैं, जिन्हें गाँव से यह कहकर लेकर गए कि चलो इज्जत का सवाल है। हौंद (जमीर) का सवाल मतलब अपनी इज्जत का सवाल आ गया। हौंद के आगे कुछ भी नहीं। हमारी पगड़ी, हमारी मान-मर्यादा का सवाल है। इस तरह से सिख धर्म का तड़का लगाकर लोगों को वहाँ इकट्ठा किया गया है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया