‘मुस्लिमों को आरक्षण देना देशद्रोह’: प्रोफेसर दिलीप मंडल ने बताया किसने संविधान को सबसे ज्यादा बदला, कहा – मनमोहन कैबिनेट में सिर्फ 1 OBC मंत्री था

राहुल गाँधी (चित्र साभार: NBT Delhi & Opindia English)

कॉन्ग्रेस बार-बार मुस्लिमों को धर्म के आधार पर मुस्लिमों आरक्षण देने की बात करती है। जबकि भारत के संविधान में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धर्म के आधार पर रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता है। अगर धर्म के आधार के कोई आरक्षण देने की बात करता है तो वह संविधान विरोधी बात करता है। हालाँकि, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल इसे देशद्रोही कहते हैं।

दरअसल, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस पार्टी SC, ST और OBC समाज का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को देना चाहती है। कर्नाटक के आँकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं। वहाँ सभी शैक्षिणक संस्थानों एवं सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों की सभी जातियों को OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) के अंतर्गत आरक्षण की सुविधा दी गई है।

पीएम मोदी ने कहा था कि जो हक़ बाबासाहेब ने दलितों, पिछड़ों एवं जनजातीय समाज को दिया, कॉन्ग्रेस और I.N.D.I. गठबंधन वाले उसे मजहब के आधार पर मुस्लिमों को देना चाहते हैं। एक चुनावी जनसभा के दौरान उन्होंने कहा कि वो वादा करे कि संविधान में ST, SC और OBC को जो आरक्षण मिला है, उसे वो कम कर के मुस्लिमों में नहीं बाँटेगी। इस बयान के बाद कॉन्ग्रेसियों ने पीएम मोदी की आलोचना शुरू कर दी थी।

बात 1994 की है जब वीरप्पा मोईली की नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने एक आदेश के बाद सारे मुस्लिमों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में डालकर आरक्षण दिया था। ये फैसला उन्होंने रेड्डी कमीशन की दी गई सिफारिश पर लिया था। इसमें 6 फीसद आरक्षण कैटेगरी 2बी के लोगों के लिए था जिन्हें ‘अधिक पिछड़ा’ कहा गया था। इस 6% में भी 4% रिजर्वेशन मुस्लिमों को दिया गया था।

इसके अलावा, 2% बौद्ध और ईसाई धर्म के ऐसे लोगों को दिया गया था, जो मूलत: अनुसूचित जाति के थे। इस आदेश को 24 अक्टूबर 1994 के बाद लागू होना था। हालाँकि इस बीच इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी गई और कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर रोक लग गई। इसके बाद साल 1995 में देवगौड़ा की सरकार आई और मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटा दोबारा से आया।

ANI की संपादक स्मिता प्रकाश के साथ पॉडकास्ट में रिजर्वेशन को लेकर प्रोफेसर दिलीप मंडल ने कहा कि साल 2014 में जब प्रधानमंत्री के पद से जब मनमोहन सिंह जाते हैं, उस समय उनकी पूरी कैबिनेट में ओबीसी का सिर्फ मंत्री था। उन्होंने कहा कि पता नहीं कॉन्ग्रेस ओबीसी के हित की बात किस आधार पर कर रही है।

संविधान में बदलाव के लिए 400 पार सीट की बात पर उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में कुल 8 संशोधन हुए हैं, जबकि इंदिरा गाँधी के शासन के पहले 10 साल में कुल 25 संशोधन हुए हैं। अगर संविधान बदलना होता तो मोदी सरकार बदल देती, क्योंकि 98 प्रतिशत मामलों में संविधान संशोधन के लिए बहुमत ही काफी है।

उन्होंने कहा, “भाजपा ने कास्ट सेंसस को सपोर्ट किया, बीजेपी ने प्रोमोशन में रिजर्वेशन का विरोध नहीं किया, बीजेपी ने लोगों को डिमोट नहीं किया। उनका पॉलिटिकल इक्वेशन अलाउ ही नहीं करता कि वे एसटी, एससी और ओबीसी के विरोध में खड़े हों। जिस दिन वो दिख गए, उस दिन बीजेपी की पॉलिटिक्स खत्म हो गई।”

प्रोफेसर मंडल ने कहा, “जिस सीबीआई कोर्ट अटल बिहारी वाजपेयी के समय लालू यादव को दोषी नहीं ठहराती है, वह सीबीआई कोर्ट मनमोहन सिंह के समय लालू को दोषी ठहरा देती है। राहुल गाँधी इंश्योर करते हैं कि ये आदमी (लालू यादव) जिंदगी में कभी पार्लियामेंट में वापस लौटकर ना आ पाए।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया