नाम हिंदुओं का, मिड डे मील खा गया मदरसा: माँ-बाप को पता नहीं-बच्चे कभी आए नहीं, फिर भी एडमिशन दिखा सरकारी पैसा उठाया

विदिशा के मदरसे में फर्जीवाड़ा आया सामने (प्रतीकत्मक चित्र)

मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक मदरसे से फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। आरोपों के घेरे में विदिशा शहर के बैस दरवाजा स्थित बरकतुल्लाह मदरसा है। आरोप है कि मदरसे में हिंदू बच्चों का एडमिशन दिखाकर सरकारी लाभ उठाया गया है। प्रशासन ने मामले की जाँच के आदेश दिए हैं।

इस मदरसे में कुल 41 छात्र हैं। इनमें 27 हिंदू बताए जा रहे। जनजातीय समाज के करीब 11 बच्चे ऐसे मिले हैं जो इस मदरसे में कभी पढ़ने भी नहीं आए, लेकिन उनका नाम यहाँ दर्ज है। इन बच्चों के माता-पिता को भी एडमिशन की जानकारी नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मदरसा रजिस्टर में अजय नाम के एक छात्र को कक्षा 8 में दर्ज दिखाया गया है, जबकि वो सरकारी स्कूल में क्लास 7 का छात्र है। अजय के पिता शंकर ने आरोप लगाया है कि मदरसे में उनके बेटे के नाम से वजीफा मँगा कर खुद रख लिया गया। उन्हें एक भी पैसा कभी नहीं मिला। अजय की माँ भी कैमरे के सामने आईं। उन्होंने कहा कि उन्हें तो बरकतुल्लाह मदरसे का पता ही नहीं है।

कृष्णा का भी कहना है कि वो कभी इस मदरसे में नहीं गई। लेकिन उसका भी एडमिशन है। उसकी बहन का नाम भी दर्ज है। इस फर्जीवाड़े की शिकायत करने वाले मनोज कौशल ने सिर्फ छात्रवृत्ति ही नहीं, बल्कि मिड डे मील और स्कूल ड्रेस में भी गोलमाल का आरोप लगाया है। मनोज का कहना है कि साल 2016 से 2022 तक इस मदरसे में 11 बच्चों का फर्जी एडमिशन हुआ है। उन्होंने बताया कि इन बच्चों ने न तो कभी यहाँ क्लास ली और न ही कोई परीक्षा दी।

मदरसा संचालक मंजीत कपूर के मुताबिक उन्होंने 2017 से 2021 के बीच मदरसे चलाने का जिम्मा सुरेश आर्य नाम के टीचर को दिया था। 21 साल से मदरसा चला रहे कपूर ने गड़बड़ी का आरोप आर्य पर लगाया है। उनका कहना है कि एडमिशन में गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद 2022 में उन्होंने फिर से संचालन की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली। विदिशा के जिला शिक्षा अधिकारी जी पी राठी ने मामले का संज्ञान ले कर जाँच करवाने के आदेश दिए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया