जिस मिशनरी स्कूल में तिलक-कलावा बैन, वहाँ बच्चों से पढ़वाया कलमा: VHP ने की मान्यता रद्द करने की माँग, खंडवा SDM ने दिए जाँच के आदेश

छात्रों से कलमा पढ़वाने के बाद विवादों में खंडवा का मिशनरी स्कूल (फोटो साभारः TV9 भारतवर्ष)

मध्य प्रदेश का एक और स्कूल विवादों में है। खंडवा के सेंट पाॅयस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बकरीद से पहले छात्रों से नमाज और कलमा पढ़वाने का मामला सामने आया है। मिशनरी स्कूल में 28 जून को हुई इस घटना की जाँच के आदेश एसडीएम ने दिए हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने स्कूल की मान्यता रद्द करने की माँग की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 28 जून को प्रार्थना के दौरान स्कूल की प्रिंसिपल ने 4 मुस्लिम छात्रों को मंच पर बुलाकर उनसे बाकी छात्रों को बकरीद के बारे में जानकारी देने के लिए कहा। इसके बाद उन छात्रों ने मंच से कलमा और नमाज पढ़ी। घर जाकर बच्चों ने इसके बारे में अपने परिजनों को बताया। घटना की जानकारी मिलने के बाद VHP कार्यकर्ताओं ने स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। एसडीएम ने मामले में जाँच के निर्देश जिला शिक्षा विभाग को दिए हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी पीएस सोलंकी ने बताया है कि इस संबंध में स्कूल को नोटिस देकर जवाब माँगा गया है। वहीं स्कूल की प्रिंसिपल विक्टोरिया का कहना है कि वे लोग देश के सभी त्योहार मनाते हैं। इसी क्रम में बकरीद से एक दिन पहले यह कार्यक्रम हुआ था। प्रार्थना सभा के दौरान सभी बच्चों ने मिलकर बकरीदी के बारे में जाना और उसे सेलिब्रेट किया।

VHP का आरोप है कि इस स्कूल में तिलक, कलावा, कड़ा, बाली, पायल, बिंदी इन सब पर भी प्रतिबंध है। VHP के जिला मंत्री अनिमेष जोशी का कहना है कि धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों को लेकर यह स्कूल पहले भी विवादित रहा है। इससे पहले स्कूल में बिना किसी अनुमति के यूथ कन्वेंशन के नाम पर 500 से अधिक जनजातीय छात्रों को ईसाइयत की शिक्षा देने के लिए स्कूल लाया गया था। तब हिंदू संगठनों के विरोध के बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई हुई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया